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फरीदाबाद हरियाणा

फरीदाबाद: संजय नगर रेलवे झुग्गी का मामला पहुंचा हाई कोर्ट।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
हरियाणा के फरीदाबाद जिले में जहां अरावली की पहाड़ियों एवं पर्यावरण की आड़ में मजदूर परिवारों के मानवाधिकारों को कुचल कर वैश्विक महामारी के दौर में कई बस्तियों को उजाड़ कर फेंक दिया गया जिसमें खोरी गांव, महालक्ष्मी डेरा, जमाई कॉलोनी पुनर्वास के लिए दर -दर की ठोकर खा रहे हैं किंतु हरियाणा सरकार और नगर निगम बेदखल मजदूर परिवारों के साथ असंवेदनशीलता बरतता नजर आ रही है। वहीं दूसरी ओर रेलवे प्रशासन ने भी गरीब मजदूर परिवारों को कोरोना की महामारी के दौरान बेदखल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। हाल ही में रेलवे प्रशासन द्वारा इंदिरा नगर की 200 झुग्गियों को बिना पुनर्वास के बेदखल कर दिया गया जो अमानवीय कृत्य है। साथ ही फरीदाबाद न्यू टाउन रेलवे स्टेशन के पास में बसी संजय नगर की झुग्गियों को नॉर्दन रेलवे प्रशासन द्वारा दिनांक 14 सितंबर 2021 को नोटिस दिया गया जिसके कारण मजदूर परिवार अत्यंत भयभीत हो गए है।

मजदूर आवास संघर्ष समिति के सदस्य एवं बस्ती निवासी दीपक शर्मा ने बताया कि संजय नगर में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर जैसे घरेलू कामगार, निर्माण मजदूर, हॉकर्स, फैक्ट्री मजदूर जिनके लभभग 500 से ज्यादा परिवार पिछले 50 वर्षों से रह रहे हैं। लगभग 3000 की जनसंख्या वाले संजय नगर में 575 से ज्यादा गर्भवती एवं धात्री महिलाएं हैं जबकि दो आंगनवाड़ी केंद्र एवं एक सामुदायिक केंद्र भी बना हुआ है। मजदूर आवास संघर्ष समिति द्वारा संजय नगर में लगभग 3 बैठके की गई जिसके दौरान संजय नगर के मजदूर परिवारों ने चंडीगढ़ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है और इसी फैसले को अंतिम रूप देने के लिए दीपक शर्मा ने मजदूर आवास संघर्ष समिति की ओर से संजय नगर रेलवे झुग्गियों के आवास का मामला आज पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में रिट डालकर स्टे एवं पुनर्वास की गुहार लगाई है।

“संजय नगर रेलवे झुग्गी वासियों को मिला मजदूर आवास संघर्ष समिति का साथ”

मजदूर आवाज संघर्ष समिति के नेशनल कन्वीनर निर्मल गोराना ने बताया कि वैश्विक महामारी में रेलवे द्वारा बेदखली के नोटिस जारी करना असंवेदनशील एवं अमानवीयता का परिचय देता है”। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने आज रीट को स्वीकार कर लिया है और यह मामला सुनवाई के लिए दिनांक 28 सितंबर 2021 को रखा गया है। समिति ने हरियाणा सरकार से “बस्ती के नियमितीकरण एवं इन सीटू रिहैबिलिटेशन तथा जीरो इविक्शन पॉलिसी की मांग की है”। गोराना ने आगे बताया की ओल्गा टेलिस बनाम मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन1985, सुदामा सिंह बनाम दिल्ली सरकार 2010, अजय माकन एंड अदर्स बनाम भारत सरकार 2019 सहित कई मामलों में मजदूर परिवारों को आवास के मुद्दे पर राहत मिली है और कई अदालतों ने लाखों घरों को इन आदेशों के आधार पर स्टे दिया हुआ है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट आवे आवास के आदेशों एवं संविधान के अनुच्छेद 21 के आधार पर पीड़ित परिवारों को राहत दे सकता है ऐसी उम्मीद है। संजय नगर बस्ती निवासी ज्ञान देवी ने बताया की उसके पास वर्ष1994 का वोटर कार्ड है। केला देवी ने बताया की वर्ष 1990 से उसका परिवार राशन कार्ड के द्वारा सरकार से राशन ले रही है जबकि एकाएक रेलवे उजाड़ने के लिए छाती पर खड़ा है। ऐसे दौर में हमारे पास न रोजगार है न धन, न सरकार का सहयोग।

“झुग्गियों को बचाने के लिए मानवाधिकार अधिवक्ता आगे आए”

फरीदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे एडवोकेट नीलम ने बताया की संजय नगर बस्ती में चिपके नोटिस के अनुसार मजदूर परिवारो के पास न समय है और न पैसा है की वो कही अपने लिए कही घर किराए पर ले पाए। ऐडवोकेट विनोद कुमार ने बताया की इस महामारी में मजदूर परिवारों को बिना पुनर्वास के बेदखल करना मानवाधिकारों का घोर उलंघन होगा।

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