अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद की 25 सदस्यीय इंजीनियरिंग विद्यार्थियों की टीम ने सौर ऊर्जा से चलने वाली कार बनाई है। इस कार का प्रदर्शन महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय, मुलाना में आयोजित इंडियन सोलर व्हीकल चैंपियनशिप में किया गया, जिसमें कार को मेन एंड्योरेंस तथा लाइटवेट श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ जबकि टीम ने ओवरआल प्रतियोगिता में दूसरा स्थान हासिल किया। इंडियन सोलर व्हीकल चैंपियनशिप का आयोजन सौर ऊर्जा के प्रभावी उपयोग के नवीनतम विचारों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किया जाता है। विद्यार्थियों द्वारा सौर ऊर्जा से संचालित कार के निर्माण छह महीने का समय तथा लगभग 1.5 लाख रूपये की लागत आई है।
कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने विद्यार्थियों को जीत पर बधाई दी तथा वाहन को डिजाइन एवं तैयार करने में सहयोग देने वाली सभी फैकल्टी सदस्यों एवं विद्यार्थियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की परियोजनाओं से सही मायने में इंजीनियरिंग के कौशल सीखने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा के स्रोत के रूप में जैव ईंधन के नियमित इस्तेमाल के परिणामस्वरूप तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है, जिससे प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा है। उन्होंने कहा कि देश में ऑटोमोबाइल का भविष्य सौर ऊर्जा तथा हाईब्रिड व्हीकल है, जो प्रदूषण कम करने के साथ-साथ ऊर्जा की भी बचत करते है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर तथा परियोजना में विद्यार्थियों के मार्गदर्शक रहे डॉ.कृष्ण वर्मा ने बताया कि विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई सोलर कार का वजन 138 किलोग्राम है और यह एक बार चार्ज होने पर 45 किमी प्रति घंटे की गति से 150 किलोमीटर तक जा सकती है।
यह बिजली द्वारा चार्ज करने पर चार घंटे का समय लेती है और 240 वॉट मोनोक्रिस्टेलाइन (48 वॉल्ट) सोलर पैनल के माध्यम से भी चार्ज हो सकती है। इसमें 48 वाल्ट की लिथियम आयन बैटरी लगी है जो इसे स्टार्ट बैकअप प्रदान करती है।टीम की कैप्टन पल्लवी शर्मा ने बताया कि हालांकि कार को चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के उद्देश्य से बनााय गया था, लेकिन इसका प्रयोग घरेलू उपयोग के लिए भी किया जा सकता है। यह पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले पैट्रोलियम आधारित वाहनों का विकल्प है। अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में टीम के एक अन्य सदस्य कृष्ण झा ने बताया कि हमारा अगला लक्ष्य वाहन को इस तरह से अपग्रेड करना तथा डिजाइन में बदलाव करना है ताकि सोलर ऊर्जा का अधिक से अधिक दक्षता से प्रयोग हो सके।