अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद में बसे खोरी गांव को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नगर निगम ने पूरे जोर शोर से धराशाई तो कर दिया किंतु पुनर्वास के मामले में नगर निगम वेंटीलेटर पर नजर आ रही है। बिना सुप्रीम कोर्ट के धक्का दिए नगर निगम फरीदाबाद पुनर्वास की गाड़ी को आगे नहीं बढ़ा पा रहा है जबकि बेदखल मजदूर परिवार कोरोना काल में बारिश का कहर झेल रहा है। आज सुप्रीम कोर्ट में खोरी गांव रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन बनाम हरियाणा सरकार एवं सरीना सरकार बनाम हरियाणा सरकार के मामले में आज जस्टिस खानविलकर की डबल बेंच ने याचिकाकर्ताओं एवं नगर निगम फरीदाबाद को सुना याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि नगर निगम ने पुनर्वास के लिए 3 दस्तावेज मांगे जिसमें बिजली बिल दूसरा परिवार पहचान पत्र एवं तीसरा वोटर आईडी कार्ड था किंतु परिवार पहचान पत्र हरियाणा की सरकार ने वर्ष 2019 के अंत में शुरू किए इसलिए कई परिवारों को परिवार पहचान पत्र नहीं मिल पाए हैं क्योंकि कोरोना के कहर से सरकार ने लोक डाउन की घोषणा कर दी थी। ऐसी स्थिति में पुनर्वासके लिए आधार कार्ड को मान्य किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम फरीदाबाद के काउंसिल से पूछा कि क्या पुनर्वास के लिए आधार कार्ड को मान्य किया जा सकता है इस पर काउंसिल का कहना था कि अगर आधार कार्ड को करेंगे तो हर कोई व्यक्ति आधार कार्ड लेकर आ जाएगा और अपना क्लेम प्रस्तुत करेगा। इसके पश्चात कोर्ट ने फरीदाबाद नगर निगम के कमिश्नर से पूछा कि क्या कोई सर्वे खोरी गांव में करवाया गया है ? इस पर फरीदाबाद नगर निगम कमिश्नर ने बताया कि एक ड्रोन सर्वे किया गया है। अदालत ने हरियाणा सरकार के काउंसिल से जवाब मांगा की ड्रोन सर्वे के आधार पर आधार कार्ड को स्वीकार कर लिया जाए तो यह संभव है कि अधिकतम विस्थापित परिवारों को पुनर्वास किया जा सकता है। क्योंकि ड्रोन सर्वे में उस समय में स्थित हर मकान का मकान नंबर आ गया होगा उसके आधार पर आधार कार्ड के साथ परिवार आवेदन कर सकता है। इस संबंध में अगली सुनवाई जोकि 4 अक्टूबर 2021 को होगी उसमें हरियाणा सरकार अपना रुख आधार कार्ड एवं ड्रोन सर्वे पर स्पष्ट करें।मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य निर्मल गोराना ने बताया कि समिति ने खोरी से मजदूर परिवारों की बेदखली से पहले कई बार नगर निगम एवं फरीदाबाद नगर प्रशासन तथा हरियाणा सरकार से खोरी गांव का संयुक्त सर्वे करवाने की मांग कर चुकी है किंतु नगर निगम और नगर प्रशासन की आंखें ही नहीं खुली जबकि आज कोर्ट ने सर्वे के रास्ते पर नगर निगम को खड़ा कर दिया है। मजदूर आवास संघर्ष समिति के सदस्यों ने हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री के ओएसडी के साथ बैठक करके भी सर्वे का मुद्दा रखा किंतु किसी ने नहीं मानी और आज पुनर्वास के लिए सर्वे की आवश्यकता पड़ रही है। दूसरा जिस आधार कार्ड को सरकार ने जबरदस्ती जनता के ऊपर थोपना शुरू किया आज उसी आधार कार्ड को आवश्यक एवं प्रमुख दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल करने के लिए हरियाणा सरकार एवं नगर निगम पीछे हट रही है फिर सरकार इस प्रकार के दस्तावेजों को क्यों बनाती है इससे स्पष्ट होता है कि सरकार दोहरी नीति चलाती हैं जहां पर मजदूर एवं गरीब परिवारों को लाभ लेना होता है, वहां पर इन दस्तावेजों को या तो थोप दिया जाता है या इन्हें माना ही नहीं जाता है यह मजदूरों के साथ भद्दा मजाक है। आवास के आवंटन को लेकर निर्मल गोराना का कहना है कि नगर निगम तत्काल खोरी गांव के समुदाय, फ़रीदाबाद प्रशासन को साथ में लेकर एक संयुक्त कमेटी बनाएं ताकि जो आवेदन आए हैं उनमें से योग्य एवं अयोग्य आवेदनकर्ता की घोषणा करें और वो वेबसाइट पर अपडेट की जाए ताकि पारदर्शिता के साथ पीड़ित परिवार एवं अन्य उसको देख कर अग्रिम कार्रवाई कर सके। नगर निगम अगर आवंटन में पारदर्शिता नहीं लाएंगे तो मजदूर आवास संघर्ष समिति इसका पुरजोर विरोध करेगा।मजदूर आवास संघर्ष समिति की ओर से आधार कार्ड के साथ कई दस्तावेज लगाकर सामूहिक रूप से 25 सौ परिवारों का आवेदन नगर निगम में किया गया जो अभी विचाराधीन है। फार्महाउस एवं होटल की बेदखली के मामले में आज सुनवाई नहीं थी इसलिए इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हो पाई परंतु 4 अक्टूबर 2021 को हम हाउस के मामले में भी चर्चा की उम्मीद है।
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