अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत की अध्यक्षता में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के संबंध में बैठक हुई जिसमे केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने आज दिल्ली में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के क्रियान्वयन के संबंध में दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के सफल क्रियान्वयन के लिए इस बैठक की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस राष्ट्रीय समीक्षा बैठक का आयोजन मुख्य आयुक्त दिव्यांगजन कार्यालय भारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष किया जाता है। जिसमें सभी राज्यों के राज्य आयुक्त भाग लेते हैं। यह समीक्षा बैठक मुख्य आयुक्त दिव्यांगजन एवं आयुक्त दिव्यांगजन के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा है कि यह संवाद अधिनियम के क्रियान्वयन तथा दिव्यांग जनों के अधिकारों के संरक्षण एवं समाज में उनके सफल समायोजन की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने में कारगर साबित होगा।उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 में पहले के 7 दिव्यांगता श्रेणियों के स्थान पर अब 21 प्रकार की दिव्यांगता श्रेणियों को शामिल किया गया है। दिव्यांगता अभिशाप न बन पाए, इसलिए नये अधिनियम में 21 प्रकार की दिव्यांगता के तहत दिव्यांगजनों को लाभ पाने का हकदार बनाया गया है। इस लाभ को प्राप्त करने में दिव्यांगता प्रमाण पत्र एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि सभी को सूचित किया जाता है कि दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दिशा-निर्देश दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग भारत सरकार के द्वारा जारी कर दिया गया है। जो दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम को दिशा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 को लागू हुए एक वर्ष से अधिक का समय हो गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सभी राज्य सरकार इस अधिनियम को लागू करने की दिशा में कार्यशील होंगी। कई राज्य सरकार इस अधिनियम को लागू करने में पूरी तरह से सफलता भी प्राप्त कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि मुख्य आयुक्त कार्यालय भारत सरकार अधिनियम का सफल क्रियान्वयन के लिए पूर्ण रूप से प्रयत्नशील है। इसी कड़ी में मुख्य आयुक्त ने अब तक 27 राज्यों में क्रियान्वन संबंधी समीक्षा की है,सभी राज्यों में उचित परामर्श देकर इस अधिनियम को सफल बनाने की दिशा में कार्य करने को कहा है। इसके अतिरिक्त मुख्य आयुक्त कार्यालय द्वारा पिछले 2 वर्षों में 10 संयुक्त सत्र न्यायालय का आयोजन किया गया है, जो एक बहुत प्रशंसनीय कदम है।
उन्होंने बैठक में उपस्थित अधिकारियों का आह्वान किया कि दिव्यांगजनों के अधिकार संरक्षण एवं सफल समायोजन के लिए उनकी विभिन्न आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देश तय करें तथा उनके क्रियान्वयन में सरकार से जो अपेक्षाएं हैं,वह राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी बताएं ताकि इस अधिनियम के सफल क्रियान्वयन के लिए आवश्यक निर्णय लिया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मेरी अपेक्षा है कि सभी राज्य अपने राज्य में स्वतंत्र राज्य आयुक्त की नियुक्ति करें, जिससे इस अधिनियम में दिए गए प्रावधानों को सफलतापूर्वक लागू किया जा सकें। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिव्यांग जनों के लिए सुनिश्चित करने में मुख्य आयुक्त एवं राज्य आयुक्त अति महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। इस भूमिका के लिए ही अनुभवों को सांझा करने में यह बैठक काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इसे लागू करने में राज्य सरकार तत्पर रहेंगी। इस बैठक मे केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले विजय सांपला श्रीमती शकुंतला गैवलीन,डा.कमलेश पांडेय, समस्त राज्य के आयुक्त तथा मंत्रालय के अधकारीगण मौजूद रहे।
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