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फरीदाबाद

फरीदाबाद : ग्रीन फील्ड कालोनी में तोड़फोड़ की कार्रवाई तो सिर्फ दिखानें के लिए करतें असल में तो बिल्डरों से मोटे नोट कमाने हेतु करते हैं,अवैध निर्माण मामला

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 

फरीदाबाद : ग्रीन फील्ड कॉलोनी में जिन -जिन अवैध निर्माणों को डीटीपी इंफोर्स्मेंट ने बीते कुछ महीनों में तोडा था, उन निर्माणों को फिर से बिल्डरों ने उन्हीं की मिलीभगत से बना लिया हैं। इस मामले में डीटीपी इंफोर्स्मेंट ने पीछे ब्यान दिया था कि प्लाट नंबर -1968 ए व एक अन्य प्लाट के मालिकों पर केस दर्ज करने की शिकायत पुलिस को बीते 31 अगस्त -2017  को भेज दी थी पर उन बिल्डरों के खिलाफ केस आज तक क्यों दर्ज नहीं हुआ। यह बात तो उन्हें बिल्कुल नहीं मालूम। इस    संबंध में सूरजकुंड थाना प्रभारी पंकज कुमार का कहना हैं कि डीटीपी इंफोर्स्मेंट कार्यालय से उनके पास अभी तक एक भी शिकायतें नहीं आई हैं, अगर उनके पास शिकायतें आती तो वह जरूर केस  दर्ज करते। जब पुलिस के पास  दरखास्त नहीं पहुंचा तो आखिरकार भेजा गया  दरखास्त गया तो कहा गया, यह बात कौन बताएगा। सब के सब गड़बड़ झाला हैं।

ग्रीन फील्ड कालोनी में बिल्डरों द्वारा अवैध निर्माणों को बना कर ग्राहकों को लूटने का काम खुलेआम किया जा रहा हैं पर इसे रोकेगा कौन यह बात आमजनों को नहीं मालूम। दरअसल मामला यूँ हैं कि ग्रीन फील्ड कालोनी में एक प्लाट पर एक ही यूनिट कानूनी तौर बनना  चाहिए परबिल्डर लोग अवैध रूप 6 से  8 फ्लैटों को बना कर ग्राहकों को प्रति फ्लैट 40 से 50 लाख रूपए में बेच रहे हैं, यह सब संबंधित महकमें के लोगों के नजरों के सामने हो रहा हैं। वावजूद इसके पूरा का पूरा महकमा हाथ पर हाथ धरे बैठा  हैं जैसे की उन्हें बिल्कुल नहीं मालूम। लोग बतातें हैं कि प्रशासन जो हैं सिंगल यूनिट वालों को सीवर, पानी व बिजली की सूविधा देती हैं वह यूनिट 4 से 6 लोगों के लिए होता हैं पर बिल्डर लोग उसमें 6 से 8 के बीच फ्लैटों को  बना कर बेचतें हैं उसमें तक़रीबन 40 से 50 के बीच लोग रह सकतें हैं। ऐसे में इस ग्रीन फील्ड कालोनी में बिजली, पानी, सीवर जाम की समस्या लाजमी हैं पर बिल्डरों का  क्या हैं वह अपना फ्लैट बेचा कर चैन की नींद सो गया , मुश्किल उनके लिए हैं जिन्होनें लाखों रूपए देकर रहने के लिए यह फ्लैट ख़रीदा हैं।  यह सभी बाते डीटीपी इंफोर्स्मेंट कार्यालय के संबंधित अधिकारीगणों  को भली भांति मालूम हैं वावजूद इसके  वह लोग कोई मजबूत कार्रवाई नहीं करते हैं जिसे बिल्डर लोग दोबारा से इस तरह का निर्माण न  कर सकें। यह दिखावा के लिए थोड़ी बहुत तोड़फोड़ की कार्रवाई करते हैं वह दूसरे ही पल में फिर से बिल्डर लोग बना लेते हैं। इसके बाद आप कितनी भी शिकायतें कर लो, चाहे कितनी ही बार अख़बार में छाप लो या टीवी पर दिखा लो। इन अधिकारीयों के ऊपर जूं तक नहीं रेंगती हैं। बताया गया हैं कि इसके पहले प्लाट नंबर 312 व 1968 ए में पोकलेन व जेसीबी मशीन से तोड़फोड़ की कार्रवाई की थी, इसमें सम्बंधित विभाग को  लाखों रूपए का खर्च आया था। नतीजा क्या निकला फिर से उन बिल्डरों ने अपना अवैध निर्माण तैयार कर लिया। सवाल के जवाव में प्लाट न. 312 के मालिक योगेश अग्रवाल का कहना हैं कि ऊपर के फ्लैटों को मैंने किराए पर नहीं दिया हैं क्यूंकि में कोई वेवकूफ आदमी नहीं हूँ कि 40 -50 लाख रूपए के फ्लैट को किराए पर देकर हर महीना 10 -10 हजार रुपए महीना लेता रहूं।
मैंने अपना ऊपर का फ्लैट ग्राहकों को बेच दिया हूँ और निचे में जो 5 -7 दुकानें हैं वह अभी नहीं खोल रहे हैं। लोग बता रहे हैं कि निचे के दुकानों को उसने बना लिया हैं और उसमें एक -एक ईटों की दीवारों को खड़ी करके बंद कर दिया हैं। उसका मक़सद साफ हैं कि धीरे -धीरे डीटीपी इंफोर्स्मेंट  कार्यालय को आंख में धुल झोंक कर एक -एक करके तक़रीबन सभी दुकानें खोल लेंगें। इसी प्रकार प्लाट नंबर -1968 ए में डीटीपी इंफोर्स्मेंट ने तोड़फोड़ की कार्यवाई को अंजाम दिया था। इसके बाद बढ़ी हुई कीमत देकर उसने और जयदा एरिया कवर करके अपना निर्माण कर लिया हैं। इस मामले में डीटीपी इंफोर्स्मेंट नरेश कुमार का कहना हैं कि 1968 ए व एक अन्य बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई हेतु बीते 31 अगस्त को दी थी पर उस पर पुलिस ने अभी तक  कोई कार्रवाई नहीं की। वहीँ सूरजकुंड थाना प्रभारी पंकज का कहना हैं कि उनके पास डीटीपी इंफोर्स्मेंट कार्यालय से एक भी शिकायतें नहीं आई हैं तो कार्रवाई कैसे करेंगें। इन अधिकारीयों की इस सोच को क्या कहा सा सकता हैं पर इतना जरूर कहा जा सकता हैं कि  इन लोगों की मिलीभगत से कानूनी चंगुल में फंसे बिल्डरों ने उन अवैध फ्लैटों को धीरे -धीरे बेचना शुरू कर दिया हैं। आप साफ़ शब्दों में कह सकतें हैं कि ग्राहकों को जमकर लुटना शुरू कर दिया।

   

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