अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था संदीप खिरवार के द्वारा 45 दलालों के ऊपर गुप्त निगरानी रखने और कॉल डिटेल एकत्रित करने व पकड़ने जाने पर कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश वाले पत्र जिला पुलिस प्रशासन से कैसे लिक हो गई,और पूरे शहर भर में ये चार पेजों के पत्र वायरल होकर बड़ी तेजी से घूमता फिर रहा हैं। इस की वजह से पुलिस के लिस्ट में जिन जिन के नाम हैं,अब उनकी खुलेआम बदनामी हो रही हैं। क्यूंकि इस लिस्ट में कई सरपंच, पूर्व सरपंच, एक केंद्रीय राज्य मंत्री के मामा और भांजे का नाम शामिल हैं। लिस्ट जो वायरल हुआ क्या ठीक हैं,यदि गलत हैं तो पुलिस प्रशासन ने इस बारे में मीडिया को जानकारी क्यों नहीं दी। आज इस बारे में डीसीपी क्राइम मुकेश मल्होत्रा व डीसीपी मुख्यालय नीतीश कुमार से फोन संपर्क किया, तो उन्होंने साफ़ शब्दों जवाब देने से मना कर दिया। कह दिया नो कमेंट।
देखा गया हैं कि बीते दिनों प्रदेश के कुख्यात अपराधियों की लिस्ट तैयार की गई थी, अब तक कई अपराधियों की सम्पत्तियों को तोड़ दिया गया हैं। इस खबर से फरीदाबाद की जनता सहित प्रदेश की जनता भी बहुत खुश हैं, और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की प्रदेश में काफी वाहवाही हो रही थी और हैं। पर पुलिस ने इनके नाम की लिस्ट को अब तक न तो मीडिया को जारी किया गया, ना ही उस आदेश के कॉपी को वायरल किया। वह लिस्ट आज भी गुप्त हैं, पर सरपंच , पूर्व सरपंच व अन्य नामों वाली लिस्ट को वायरल कर दिया गया, इसमें में एक केंद्रीय राज्य मंत्री के मामा और भांजे का नाम शामिल हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल को ध्यान दिलाना चाहता हूँ कि मामा जिसको दलाल बताया गया हैं, असल में ये बीजेपी का कार्यकर्ता हैं, और केंद्रीय राज्य मंत्री का मामा हैं,
ये मामा बीते 30 सालों ने अपने मंत्री भांजे के साथ जुड़ा हैं। आपने भांजे को पार्षद, विधायक से सांसद बनाने में बहुत पसीना बहाया हैं। लिस्ट में लगाए गए आरोप हैं कि चौकियों व थानों में जाकर दलाली करने का,जो कि गलत हैं, क्यूंकि अक्सर देखा गया हैं कि इनके कोठी व ठिकाने पर पुलिस के डीसीपी,एसीपी, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर व एएसआई स्तर अधिकारी पड़े रहते हैं, ये अपने किसी न किसी काम से इनके यहां जाते-आते रहते हैं, ऐसे में ये कहना हैं कि चौकियों और थानों में जाकर जाकर दलानी करना ये तो गलत हैं, यहां तो लोग खुद उनके घरों तक पहुंच जाते हैं, उसे जाने की कोई जरुरत ही नहीं पड़ती हैं। इनके यहां सिर्फ पुलिस ही नहीं, अन्य विभाग के ऑफिसर भी आते- जाते रहते हैं। इस पर सरकार के पास कोई सूचना नहीं हैं, इनके बारे में निष्पक्ष एजेंसी को सूचना रखना और नजर रखना चाहिए। आज प्रदेश के कई जिलों में पंचायत का चुनाव चल रहा हैं, अभी तो दूसरे चरण का चुनाव होना हैं, दलालों के लिस्ट में जिन जिन सरपंच व पूर्व सरपंच के नाम हैं, उन्हें लोग दलाल सरपंच के नाम से पुकारने लगे हैं, वह भी नंबरों के हिसाब से, इतना ही नहीं अब तो उनके बच्चों को भी घर से बाहर आने- जाने में शर्म सी महसूस होने लगी हैं,अब तो उनके बच्चों को घर से निकला मुश्किल हो गया हैं। इन लिस्टों को वायरल करना बहुत बड़ा अपराध हैं, जो पुलिस के किसी बड़े ऑफिसर की शरारत हैं। इनकी शरारत की वजह से अब तो भाजपा के एक सक्रीय विधायक को बदनाम किया जा रहा हैं, कि उसने ही पुलिस में सभी 45 लोगों के नाम लिस्ट में लिखवाए हैं। दलालों के लिस्ट किस आधार बनाई गई हैं और इस लिस्ट को किसने वायरल किया हैं, जो कि बहुत बड़ा अपराध हैं। लिखे पत्र में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक,कानून एवं व्यवस्था संदीप खिरवार ने कहा कि इस निर्देश को निजी गुप्त निगरानी रखे और संदिग्ध गति विधियों में पाए जाने पर कार्रवाई करे, पर ये तो वायरल हो गया, पर इन सभी बातों से पुलिस प्रशासन को कोई नहीं फर्क पड़ता हैं, ये तो समझ में आता हैं, अब तक इस मसले पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल क्यों खामोश हैं, ये नहीं समझ में आता हैं, क्यूंकि वह सरपंच के पद के बारे में भली-भांति जानते हैं, क्यूंकि इनके पीछे लगभग 1000 से 3000 वोट होती हैं, और सरपंच लोग विधानसभा चुनाव व लोकसभा चुनावों में विधायक और सांसद को बनाने में बहुत बड़ा योगदान इनका होता हैं। जरुरत हैं मुख्यमंत्री मनोहर लाल व हरियाणा के डीजीपी पी.के.अग्रवाल व पुलिस कमिश्नर विकास कुमार अरोड़ा को इस मामले को समझने की, अगर उन्हें लगे की पुलिस प्रशासन की बहुत बड़ी चूक हैं, इसे तुरंत सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।
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