
अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद : मवई गांव के गौशाला में गायों की संख्या बढ़ती जा रही हैं और आमदनी घटती जा रही हैं, इन हालतों में गाय एंव गौ-रक्षा सदन के लोग काफी मुश्किल में हैं। गौशाला के इन मुश्किलों की तरफ शासन एंव प्रशासन की बिल्कुल ध्यान नहीं हैं। सुना हैं कि गायों की सुरक्षा की दिशा में प्रशासन गौशालाओं की संख्या तो बढ़ा रहा हैं पर फंड बढ़ाने की दिशा में कोई पहल नहीं कर रहा हैं। इस मामले में नगर निगम के संयुक्त आयुक्त सतबीर मान का कहना हैं कि यह मुद्दा तो गंभीर हैं इस बिषय में स्वंय निगमायुक्त समीरपाल सरों से बातचीत करेंगें और इस समस्याओं को जल्द से जल्द समाधान कराने की कोशिश करेंगें।
गौ-रक्षा सदन के प्रधान आर. एस. गांधी का कहना हैं कि फरीदाबाद नगर निगम ने मवई गौशाला को कुल सात एकड़ जमीनों को
आवंटित किया था जिसमें गौशाला को मात्र 6 एकड़ जमीनों पर ही कब्ज़ा दिया बाकि के 1 एकड़ जमीन जो हैं जिस पर नगर निगम ने गौशाला के हिसाब से चार दीवारी करवाई थी उस पर गांव के लोगों ने सूरदास पार्क का जबरन बोर्ड लगा दिया जोकि निंदनीय हैं उनका कहना हैं कि उनका लक्ष्य हैं इस गौशाला में तक़रीबन 2500 गायों को रखनें की हैं। जिसके लिए गौ -रक्षा सदन के लोग पिछले कई सालों से नगर निगम प्रशासन से कब्ज़ा दिए जाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना हैं कि जितना जमीन अभी गौशाला के पास हैं उसमें मात्र 1600 गायों को ही सुरक्षित तरीके से रखा जा सकता हैं पर इस वक़्त मवई के गौशाल में 1962 गाय हैं यानि क्षमता से 362 गाय अधिक हैं।
ऐसे में आप स्वंय समझ सकतें हैं कि इस वक़्त गाय किस हाल में रह रहे हैं। उनका कहना हैं कि इन गायों को सुरक्षित तरीके से रखने के लिए और जमीनों की जरुरत हैं पर नगर निगम हैं कि उनकी इन फरियादों को सुनता नहीं। उनका कहना हैं कि मवई गौशाला में प्रति माह 22 लाख रूपए का खर्च आता हैं इसमें से सरकार मात्र पांच लाख रूपए देकर अपना पल्ला झाड़ लेती हैं के अलावा दूध से तक़रीबन साढ़े सात व लोगों से 3 लाख रूपए का चंदा आता हैं। गौशाला की कूल आमदनी 15. 5 लाख हैं जबकि प्रति महीने 6 लाख 50 हजार रूपए की कमी आती हैं। ऐसे में गौशाला को चलाना काफी मुश्किल हो रहा हैं।
उनका कहना हैं कि सरकार को बाकई गायों की सुरक्षा की चिंता हैं उनको गाय के ऊपर खर्च होने वाले फंड को पांच लाख से अधिक बढ़ाना होगा। इस वक़्त जो गौशाला में खर्च हो रहा हैं वह इस प्रकार हैं :- चारा 10 लाख, भुसा 4 लाख, स्टाफ की सेलरी 4 लाख, खल एक लाख 30 हजार , दवाइयां 50 हजार के अलावा आदि खर्च हैं। उनका कहना हैं कि उनका जिला उपायुक्त व नगर निगम के कमिश्नर समीरपाल सरो के साथ इस संबंध में बातचीत होना हैं और उन्हें उम्मीद हैं कि इनमुश्किलों का हल अवश्य निकलेगा।

