अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:आज ईमानदारमुख्यमंत्री मनोहर लाल की नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों के बारे में जिक्र करते हैं, आप इस खबर में उनके कारनामे उजागर भी समझ सकतें हैं, जी हैं सूरजकुंड के निकट की लक्कड़पुर से लेकर चार्मवुड कॉलोनी तक शायद, इससे भी आगे तक, लगभग 80 फुट चौड़ाई वाली नाले पर प्रभावशाली लोगों ने बड़ी -बड़ी बिल्डिंगें बना ली , जबकि इस नाले की लम्बाई कितने दूर तक हैं, ये नगर निगम के पटवारी को नहीं पता, इसमें रिहायशी पक्के मकानें और बैंकेट हाल, आरा मशीन,टिम्बर व बड़े-बड़े शेड लोगों ने अवैध रूप से कब्ज़ा करके बना ली। इसमें भारतीय जनता पार्टी के एक नेता का नाम शामिल हैं,जिसने नाले के जमीन के ऊपर एक बैंकट हॉल बनाई हुई हैं,वही, नाले की इस जमीन पर चार्मवुड में किसी ने एक बड़ी सी हॉस्पिटल भी बनाई हुई हैं।
वर्षों बाद जब फरीदाबाद नगर निगम की नींद खुली तो पहुँच गए तोड़ने,उसमें भी आमजन द्वारा किए गए कब्जों के ऊपर बुल्डोजर चला कर उनके शेड और मकानों को बुरी तरह से तोड़ दिया , पर भारतीय जनता पार्टी के नेता द्वारा बनाई गई बैंकेट हॉल पर नाम मात्र तोड़ फोड़ की कार्रवाई की गई। नाले की लंबाई के अनुसार देखें तो अभी भी नाले के ऊपर बहुत से बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें हैं जो नगर निगम छोड़ आई हैं। एनआईटी नगर निगम की टीम ओल्ड फरीदाबाद नगर निगम की संयुक्त आयुक्त डॉ शिखा के नेतृत्व में तोड़फोड़ दस्ता आज सुबह लगभग साढ़े 10 बजे सूरजकुंड के समीप लक्क्ड़पुर में पहुंच गई,
पर संयुक्त आयुक्त डॉ शिखा वहां खुद मौजूद नहीं थी। वहां पर ड्यूटी मजिस्टेट के रूप में नगर निगम के अधिशासी अभियंता ॐ वीर सिंह और कार्यकारी अभियंता पदम् भूषण मौजूद थे, इसके अलावा एसडीओ सुरेंद्र हुड्डा, सुमेर सिंह व तहसीलदार बी. एस. ढिल्लों के साथ अन्य कर्मचारी गण उपस्थित थे.ने पांच अर्थमूवर मशीनों की सहायता से तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू की, जो नाले के ऊपर बने हुए बड़े- बड़े शेडों व पक्के मकानों को तोडा। इसमें आरा मशीन व टिम्बर आदि मकान शामिल हैं। इसके बाद नाले के ऊपर बने एक बैंकेट हॉल को तोड़ने की बारी आई तो वहां नगर निगम की अर्थमूवर मशीन बहुत ढीली पड़ गई, क्यूंकि ये बैंकेट हॉल एक भारतीय जनता पार्टी के नेता की हैं।
ये भेदभाव कानून के रखवाले क्यों कर रहे थे,जबकि उनके पास पुलिस बल भी काफी तादाद में थी जिसका नेतृत्व एसीपी विष्णु सिंह कर रहे थे। सवाल हैं कि अजगर छोटे -छोटे जानवरों को अक्सर निगलते हुए आपने देखा होगा हैं, यह तो पहली बार देखा गया होगा कि इंसान भी काफी लम्बें-चौड़े नाले पर कब्ज़ा करके, एक तरह से पूरे नाले को निगल गया होगा, ये नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारी की बिना मिलीभगत से संभव हो ही नहीं सकता, इसमें पटवारीगण की अवश्य मिली भगत होगी।
इसकी जांच कौन करेगा, इसके लिए नगर निगम के कमिश्नर जितेंद्र दहिया और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास समय नहीं होगा, नाही उन्हें कोई समझा पाएगा । ना इन सब पर कोई सख्त कार्रवाई कभी होगी, नुकशान आम जनता का ही होगा। इन हालातों में नगर निगम अधिकारियों को बने हुए निर्माणों को तोड़ते हुए बिल्कुल शर्म नहीं आती होगी। चाहे पीड़ित पक्षों का जीवन भर की पूंजी लूट जाए। इतनी बड़ी -बड़ी बिल्डिंगें साल -दो साल में तो बनी नहीं हैं,बीते लगभग 20 सालों में बनी होगी, उस समय से लेकर अब तक की सरकार और नगर निगम प्रशासन कुम्भ करण की नींद सो रही थी,अब तोड़फोड़ के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति के लिए,ये तोड़फोड़ की कार्रवाई की हैं , ताकि सुप्रीम कोर्ट में दिखा सकें, और बता सके की वह बहुत बड़ी कार्रवाई करके आए हैं, ये बिल्कुल नहीं बताएंगे की वह लोग बहुत से लोगों को बर्बाद करके आए हैं, उनका धंधा पानी नष्ट करके आए हैं , और बहुत सारे लोगों को बेघर करके आए हैं।
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