अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:साइबर थाना पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया हैं जो किस्त भरने या किसी कारण से लेप्स हुई पॉलिसी पर लोन दिलवाने का झांसा देकर आम जनों से लाखों रुपए की ठगी कर चुके हैं। इस गिरोह के पांच सदस्यों को अरेस्ट किया गया है। इन आरोपितों के पास से पुलिस ने दो मोबाइल फोन कैश एक लाख 17 हजार 500 रुपए बरामद किए हैं। पकड़े गए आरोपितों ने देश भर में लगभग 262 वारदातों को अंजाम दे चुके हैं।
इंचार्ज बसंत कुमार ने आज जानकारी देते हुए बताया कि अरेस्ट किए गए आरोपितों में धर्मेंद्र, विकास उर्फ विक्की, सचिन, मनीष तथा मैक्स उर्फ बिल्लू का नाम शामिल है। आरोपित विकास, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, आरोपित धर्मेंद्र, दिल्ली के त्रिलोकपुरी तथा आरोपित सचिन, मनीष तथा बिल्लू,गुरुग्राम के रहने वाले हैं। आरोपित धर्मेंद्र तथा विकास साइबर क्राइम की वारदातों के मुख्य आरोपित हैं तथा आरोपित सचिन का बैंक खाता धोखाधड़ी की इन वारदातों में प्रयोग किया जाता था। वहीं आरोपित मनीष तथा आरोपित बिल्लू ,आरोपित सचिन और धर्मेंद्र के बीच की कड़ी थी जो सचिन से बैंक एटीएम लेकर धर्मेंद्र तथा विकास को उपलब्ध करवाता था जो धोखाधड़ी से प्राप्त हुई रकम को निकलवा लेते थे। आरोपितों द्वारा फरीदाबाद के आदर्श नगर के रहने वाले सत्य प्रकाश से साइबर फ्रॉड की वारदात को अंजाम देते हुए ₹215949 हड़प लिए थे। पीड़ित की शिकायत के आधार पर 26 दिसंबर 2021 को धोखाधड़ी तथा षड्यंत्र इत्यादि धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करके मामले की जांच शुरू की गई।
उनका कहना हैं कि इस मामले में शामिल आरोपित सचिन, मनीष तथा बिल्लू को गत 20 अप्रैल 2022 को दिल्ली एनसीआर क्षेत्र से अरेस्ट कर लिया। आरोपितों को अदालत में पेश करके 2 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया जिसमें आरोपितों ने अपने साथी धर्मेंद्र तथा विकास के बारे में पुलिस को जानकारी दी। उक्त आरोपितों की जानकारी के आधार पर गत 22 अप्रैल को आरोपित धर्मेंद्र तथा विकास को भी अरेस्ट कर लिया गया। आरोपितों को अदालत में पेश करके 3 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया जिसमें आरोपितों ने फरीदाबाद निवासी के साथ की गई धोखाधड़ी की वारदात के बारे में पुलिस को जानकारी दी। पुलिस पूछताछ में सामने आया कि आरोपित बहुत ही शातिर किस्म के अपराधी हैं। इस मामले का मुख्य आरोपित धर्मेंद्र एक इंश्योरेंस करवाने वाली कॉल सेंटर कंपनी में नौकरी करता था जहां पर उसके पास विभिन्न इंश्योरेंस कंपनियों के ग्राहकों की जानकारी थी। आरोपित धर्मेंद्र कंपनी से जानकारी चुराकर लाता था और इसी जानकारी के आधार पर आरोपित ने अपने साथी विकास के साथ मिलकर पॉलिसी धारकों से संपर्क करना शुरू कर दिया। आरोपित उन कस्टमर को अपना निशाना बनाते थे जिनकी जिनकी पॉलिसी किस्त न भरने या अन्य किसी कारण से लेप्स हो चुकी होती थी। आरोपित पॉलिसी धारकों को कॉल करके उनकी लेप्स हुई पॉलिसी पर बजाज फाइनेंस कंपनी से लोन दिलवाने का लालच देते थे। जब पॉलिसी धारक अपनी लेप्स हुई पॉलिसी पर लोन लेने के लिए राजी हो जाता था तो वह उसे बैंक में नया खाता खुलवाने के लिए बोलते थे जिसमे लोन की रकम डालने का लालच दिया जाता था और खाता खुलवाने के लिए पॉलिसी धारक का आधार, पैन कार्ड तथा अन्य जरूरी कागजात मंगवा लेते थे। इसके पश्चात आरोपित पॉलिसी होल्डर के कागजात के आधार पर बैंक में ऑनलाइन खाता खुलवा कर उसकी नेट बैंकिंग सर्विस एक्टिवेट करवा लेते थे तथा ग्राहक को अपने झांसे में लेकर ओटीपी की सहायता से नेट बैंकिंग का आईडी पासवर्ड तैयार करके अपने पास रख लिया जाता था। आरोपित लोन के पैसे खाते में डलवाने के लिए ग्राहक को लालच देते कि लोन का कुछ हिस्सा उन्हें पहले अपने खाते में जमा करना होगा और उसके पश्चात उन्हें लोन की पूरी रकम उनके खाते में डाल दी जाएगी। लोन की राशि को पाने के लालच में आकर ग्राहक आरोपितों द्वारा बताई गई रकम आरोपितों द्वारा खुलवाए गए ग्राहक के अकाउंट में डलवा देते थे। जैसे ही रकम ग्राहक के खाते में आ जाती थी तो नेट बैंकिंग की सहायता से आरोपित सारी की सारी
रकम अपने साथी आरोपित सचिन के एचडीएफसी बैंक खाते में ट्रांसफर कर लेते थे। इसी प्रकार की धोखाधड़ी को अंजाम देते हुए आरोपितों ने फरीदाबाद निवासी सत्य प्रकाश को उसकी पॉलिसी पर 12 लाख रुपए रुपए का लोन दिलवाने का लालच देकर उसके खाते से ₹215949 अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए और इसके पश्चात आरोपितों ने एटीएम के माध्यम से सारे पैसे निकलवा लिए। साइबर थाना की टीम ने इस मामले में आरोपितों के कब्जे से 2 मोबाइल फोन तथा ₹117500 बरामद किए हैं। साइबर थाना की टीम ने आरोपितों के कब्जे से प्राप्त मोबाइल फोन के माध्यम से जब जानकारी निकलवाई तब पता चला कि इन मोबाइल नंबर के माध्यम से पूरे देश के अंदर आरोपितों द्वारा 262 साइबर क्राइम की वारदातों को अंजाम दिया जा चुका है जिसमें सबसे अधिक उत्तर प्रदेश के 91 तथा दिल्ली के 30 मामले शामिल है। पूछताछ पूरी होने के पश्चात आरोपितों को अदालत में दोबारा पेश करके जेल भेज दिया गया है।