अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: मध्यप्रदेश, राजस्थान चुनाव की राजनैतिक तपिश फरीदाबाद में भी दिखाई दे रही है। फरीदाबाद के एकमात्र कांग्रेसी विधायक ललित नागर के निवास पर भी मध्यप्रदेश चुनाव में कांग्रेस की जीत की धमक साफ सुनाई दे रही है। मध्यप्रदेश चुनाव में तिगांव के विधायक ललित नागर को मुरैना जिले की 6 विधानसभा सीटों पर पर्यवेक्षक नियुक्त कर उम्मीदवारों को जिताने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
पार्टी हाईकमान द्वारा इस बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद विधायक ललित नागर ने इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ एड़ी चोटी का जोर लगाते हुए मुरैना में सार्वजनिक तौर पर ऐलान किया था कि इस बार मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री बनाने में मुरैना जिला अपनी अहम् भूमिका निभाएगा।
भाजपा व दूसरी पार्टियों ने इसके बाद मुरैना जिले पर विशेष ध्यान केंद्रित कर दिया और किसी हालत में मुरैना जिले को भाजपामय बनाने के लिए पूरी पार्टी को मुरैना में झोंक दिया। यहां तक कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह स्वयं मुरैना पहुंचकर रोड शो के माध्यम से कांग्रेस को हराने का आह्वान किया था वहीं देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यहां पहुंच ताबडतोड रैलियों के माध्यम से भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया था वहीं बसपा सुप्रीमो व उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती भी मुरैना पहुंचकर भाजपा और कांग्रेस को नकारकर बसपा को चुनने का आह्वान किया था, जिसके बाद विधायक ललित नागर का राजनैतिक भविष्य दांव पर लगा था क्योंकि 2013 विधानसभा चुनाव में इस जिले में कांग्रेस की एक भी सीट नहीं थी। अब चुनाव परिणाम आने के बाद मुरैना जिले की सभी 6 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की विजय पताका लहराने से विधायक ललित नागर का राजनैतिक कद तो बढ़ा ही है, साथ ही उन्हें बूथ मैनेजमेंट का जमीनी स्तर का नेता भी कांग्रेस आला कमान की नजरों में साबित करने का काम किया है और जिस तरह से आज मध्यप्रदेश के चुनाव परिणाम आए है, उससे साफ हो गया है कि मध्यप्रदेश की राजधानी में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाने में मुरैना जिले की छह सीट अह्म भूमिका निभाएगी, जिसके बाद विधायक ललित नागर के निवास और कार्यालय पर बधाईयां देने वालों का तांता लगा हुआ है।
वहीं नवनिर्वाचित सभी छह विधायकों ने भी अपने जिले के पर्यवेक्षक रहे ललित नागर का भी दिल से आभार व्यक्त किया है। बता दें कि 2013 के विधानसभा चुनावों में मुरैना जिले की 6 विधानसभा सीटों में से एक भी सीट पर कांग्रेस विधायक नहीं बन पाए थे और सभी सीटों पर कांग्रेस को पराजय का मुंह देखना पड़ा था। ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने इन सभी छह सीटों पर क्लीन स्वीप करके कांग्रेस पार्टी को मजबूती प्रदान कर मध्यप्रदेश में मुरैना की अलग पहचान कायम की है। यहां यह भी विदित है कि चुनाव घोषित होने के बाद कांग्रेस आला कमान ने तिगांव के विधायक ललित नागर को मुरैना जिले की छह सीटों सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबा का पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। नियुक्ति के उपरांत विधायक ललित नागर ने सभी विधानसभा क्षेत्रों के अलग-अलग बैठकें कर जहां मजबूत प्रत्याशियों का चयन करवाने में अह्म भूमिका निभाई वहीं बूथ मैनेजमेंट के तहत युवा, महिला, सेवादल, एनएसयूआई आदि सभी इकाईयों को एकता के सूत्र में पिरोकर उन्हें प्रत्याशियों के प्रचार प्रसार अभियान में लगाने का काम किया, इसके बाद एक-एक दिन में 12 से अधिक सभाओं के माध्यम से शिवराज सरकार की कथनी और करनी के अंतर को समझाते हुए माहौल को पूरी तरह से कांग्रेसमय करने का काम किया। इसी का परिणाम था कि पूरे मुरैना जिले की छह विधानसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने भारी मतों के अंतर से अपने विरोधियों को हार का मुंह दिखाने का काम किया।
यहां यह भी गौरतलब है कि मुरैना जिले पर पूरे मध्यप्रदेश की नजर थी, जिसको लेकर भाजपा व दूसरी पार्टियों ने भी अपने वरिष्ठ नेताओं को भेज किलेबंदी की थी, लेकिन विधायक ललित नागर की चाणक्यी सोच के तहत राजनैतिक बाणों से भाजपाई जाल को काट कांग्रेस को विजयी दिलाने में अपनी अह्म भूमिका निभाई। जहां मध्यप्रदेश में विधायक ललित नागर ने कांग्रेस के लिए बड़ी विजय पताका लहराने का काम किया है वहीं राजस्थान में उन्होंने टोंक विधानसभा क्षेत्र में लगाई गई जिम्मेवारी को पूरा करते हुए वहां से उम्मीदवार रहे सचिन पायलट के लिए भी जी जान लगाया। यहां गुर्जर मतदाता भारी संख्या में है, ऐसे में ललित नागर का वहां जाना कांग्रेस के लिए लाभदायक साबित होता दिखाई दिया क्योंकि इस सीट से सचिन पायलट ने करीब 55 हजार वोटों से जीत हासिल की है। क्या कहते है ललित नागर विधायक ललित नागर का कहना है कि उन्होंने जमीनी स्तर से उठकर राजनीति का ककहारा सीखा है तथा उनके रोम-रोम में कांग्रेस पार्टी बसी है, पार्टी ने जब-जब भी जो जो जिम्मेदारी उन्हें दी है, उन्हेंं बखूबी निभाया है, ऐसे में मुरैना जिला की छह विधानसभा सीट उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ी थी क्योकि पूर्व के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। उन्होंने जिले की सभी सीटों