अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद : नगर निगम प्रशासन द्वारा बुधवार को उन पांच फार्म हाऊसों के मालिकों को नोटिस भेजा हैं,जिनसे निगम अधिकारीयों ने बहुत ही मोटी रकम लेकर एलओयू जारी किया गया था। इस घपले का उजागर atharv news ने कल बुधवार को प्रकाशित खबर में किया था। इस संबंध में नगर निगम के कमिश्नर मोहम्मद साइन का कहना हैं कि जिन पांचों फार्म हाउसों को एलओयु जारी किया गया हैं उन लोगों ने वक़्त रहते हुए जो भी फोर्मल्टी होती हैं, उसको बिल्कुल पूरी नहीं की।
इसके बाद नगर निगम को जो कार्रवाई पांचों फार्म हाऊसों के खिलाफ करनी चाहिए थी वह नहीं की गई। उनका कहना हैं कि इस प्रकरण में नगर निगम की बहुत बड़ी गलती हैं। इस वजह से इन पांचों फार्म हाऊसों के मालिकों को बुधवार को नोटिस जारी किया गया हैं। इससे नगर निगम को करोड़ों रूपए का फायदा होना था जोकि भ्रष्ट अधिकारीयों ने अपने जेब भरने के चक्कर में नगर निगम को चुना लगा रहे थे। इस घपले के उजागर होने के बाद अपने भ्रष्ट अधिकारीयों पर निगमायुक्त मोहम्मद साईन को कड़ी कार्रवाई करना चाहिए था पर उस दिशा में अभी नहीं सोच रहे,ऐसा लगता हैं। जैसा कि आपको मालूम हैं कि इसमें कई ऐसे लोग हैं जोकि एक कैबिनेट मंत्री के नजदीकी हैं और इन्हीं लोगों ने राजनितिक पहुंच के साथ लाखों रूपए खर्च करके निगम से एलओयू ले लिया था निगम ने बुधवार को ईडन गार्डन, खालसा गार्डन, जन्नत वैल्ली, योगी फार्म व के. के उज्वल को नोटिस जारी किया हैं। खबर मिली हैं कि जिस दिन से फार्म हाऊसों के संचालकों को एलओयु किया जाता हैं उसके 30 दिनों के अंदर सम्बंधित विभागों के एनओसी आदि कागजात को जमा कराना होता हैं जॉकी इन फार्म हाऊस के मालिकों ने नहीं कराया और सभी लोगों का समय काफी ओवर हो गया। किसी का 15 दिन, किसी का 25 दिन व किसी के दो महीने लेट हो चूका हैं। इस तरीके से तय सीमा से कहीं जाएदा हो गया । इन हालतों में नगर निगम को चाहिए था कि उन पांचों फार्म हाऊस के खिलाफ इसके आगे की कार्रवाई करें जोकि बिल्कुल नहीं किया।
atharv news को यह भी मालूम हुआ हैं कि नगर निगम अगर अपनी कार्रवाई करता तो एलओयु लेने के दौरान जो निगम में फीस जमा होती जोकि फार्म हाऊस के मालिकों द्वारा जमा कराया गया होता हैं निगम के ही खातों में रह जाता हैं वह रकम कभी वापिस नहीं होता हैं संभवता इन्हीं कारणों से निगम के अधिकारीयों ने फार्म हाऊस के मालिकों के खिलाफ इसके आगे की कार्रवाई नहीं की । इससे साफ़ जाहिर होता हैं कि इस एलओयु के एवज में निगम अधिकारीयों ने लाखों रूपए रिश्वत में लिए और नौकरी निगम की कर रहे हैं और वफादारी फार्म हाऊस के मालिकों के निभा रहे थे।
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