अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फ़रीदाबाद:हंसी और व्यंग्य से भरपूर ब्लैक कॉमेडी पर आधारित बीसवीं सदी के लोकप्रिय रूसी नाटक ‘द सुसाइड’ के आधुनिक रूपांतरण को दिल्ली के मैड वन थिएटर द्वारा जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के विवेकानन्द सभागार में प्रस्तुत किया गया। नाटक का आयोजन विश्वविद्यालय के संचार और मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा किया गया था।हँसी, ठहाकों और गुदगुदाने वाली कॉमेडी से भरपूर इस नाटक के सभी किरदारों को मैड वन थिएटर की 15 सदस्यीय टीम ने बखूबी निभाया, जिसे विश्वविद्यालय के छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों सहित सभी दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया।मूल रूप से 1928 में रूसी नाटककार निकोलाई एर्डमैन द्वारा लिखित सोशल कॉमेडी को भारतीय परिदृश्य के अनुसार अनुकूलित और प्रासंगिक बनाया गया है, जिसका निर्देशन सैफ अंसारी ने किया है।
यह नाटक सैम (सैफ अंसारी द्वारा अभिनीत) नामक एक बेरोजगार युवा के जीवन पर केंद्रित है, जिसका मानना है कि उनकी सभी समस्याओं का हल टुबा बजाना सीखना है। हालाँकि, उसकी योजना विफल हो जाती है और वह आत्महत्या के बारे में सोचता है। तब उसका पड़ोसी एलेक्स उसकी आत्महत्या का फायदा उठाकर पैसा कमाने का फैसला करता है।नाटक नायक के माध्यम से बेरोजगारी की दुर्दशा को दर्शाता है जो आत्महत्या करके मरने के लिए बेताब है। साथ ही, वह देखता है कि कैसे समाज के विभिन्न समूह- बुद्धिजीवी वर्ग, राजनीतिक दल, धार्मिक नेता, नागरिक समाज और अन्य लोग अपने स्वयं स्वार्थ के लिये सैम के दुखों का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। इस प्रकार, नाटक की कहानी मानव स्वार्थ को व्यंग्य के साथ हास्यास्पद तरीके से सामने लाने का प्रयास करती है। सैम के किरदार को सैफ अंसारी और सैम की बीवी माशा के किरदार को पूजा कांजीलाल ने शानदार ढंग से निभाया है। एलेक्स की भूमिका में जितेंद्र हुडा, आरके के किरदार में हर्षवर्धन, सेराफिमा की भूमिका में सुरभि वर्मा, विक्टर बने मोहित कुमार और योगेश दत्त बने अमन सूद के किरदारों ने नाटक को जीवंत बनाये रखा। सैफ अंसारी ने समय-समय पर नाटक में चित्रित मुद्दों की गंभीरता को कम करने के लिए संगीत का बेहतरीन उपयोग किया है। जब सैम का पड़ोसी एलेक्स (जितेंद्र हुडा) मंच पर आता है, तो कबीर सिंह (2019) फिल्म का एंट्री संगीत बजता है। नाटक में सभी कलाकार फाखिर महमूद के ‘माही वे’ पर ढाई मिनट तक प्रस्तुति देते हैं। नाटक ऐसे दर्शकों को प्रभावित करने में कामयाब है जो कुछ ऐसा देखना चाहते हैं जो उन्हें हंसाए लेकिन, उन्हें दुनिया के गंभीर मुद्दों पर विचलित न करें। संगीत और कॉमेडी दर्शकों को नाटक में पूरी तरह बांधे रखने में कामयाब रहे।विश्वविद्यालय में नाटक के एक के बाद एक लगातार दो शो आयोजित हुए और सफल रहे। नाटक के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता एवं लेखिका जयमाला तोमर भी उपस्थित रहीं और प्रस्तुति का आनंद लिया।मैड वन थिएटर की टीम ने इस आयोजन को सफल बनाने में विश्वविद्यालय, विशेष रूप से संचार और मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ. पवन सिंह का आभार व्यक्त किया।
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