अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: स्मार्ट सिटी फरीदाबाद में एक पुलिस चौकी ऐसा हैं, जहां गर्मियों के मौसम में कार्यरत पुलिसकर्मियों का पसीना, और बारिश में छत से पानी टपकते हैं, और कड़ाके की ठंड में ये जर्जर कमरा उन्हें डराता हैं, मुश्किल सिर्फ इतना ही यहां पर बदबू इतना ज्यादा हैं, यहां रहना, बैठना, सो कर रात गुजरना कठिन हैं, कार्यरत सभी पुलिस कर्मियों की ड्यूटी करना यहां मजबूरी हैं। पुलिस कर्मी भी इंसान हैं, और ये भी हम सब के समाज से ही हैं, और ये लोग आमजनों के दुःख दर्द कम करने का काम करते हैं,
पर ये लोग खुद मुश्किल में रह कर अपनी ड्यूटी करते हैं, और दूसरे के दर्द को कम करते हैं। ऐसे में इनका सूघ लेने वाला कोई नहीं हैं। इस संबंध में एनआईटी डीसीपी अमित यशवर्धन का कहना है कि इस बात की जानकारी उन्हें तो बिल्कुल नहीं हैं, क्यूंकि ये पुलिस चौकी नागरिक बादशाह खान अस्पताल के अधीन हो सकतें हैं, संभवत ये उनकी जिम्मेदारी होगी, जब उन्हें कहा गया कि पुलिस चौकी में कार्यरत पुलिस के जवान आप के हैं, और वह लोग मुश्किल में रहकर ड्यूटी करते हैं, उनकी देखरेख करना आपकी जिम्मेदारी हैं, इस पर उनके पास कोई भी जवाब नहीं था।
देखा गया है कि नागरिक बादशाह खान अस्पताल में जिसका दायरा जिले स्तर का हैं, और यहां पर एक पुलिस चौकी हैं। नागरिक बादशाह खान अस्पताल में जिले भर के लोग इलाज करवाने के लिए आते हैं, और हादसे के शिकार हुए लोग भी इसी अस्पताल में पुलिस द्वारा लाए जाते हैं,कई बार तो आमजन भी हादसे के शिकार लोगों को लेकर नागरिक बादशाह खान अस्पताल में आते हैं, जिसका सही रिपोर्ट इकट्ठा करके सम्बंधित थाने की पुलिस को जानकारी देते हैं। कई बार बड़ी घटनाएं -दुर्घटनाएं होती हैं, तो पुलिस के बड़े से बड़े अधिकारी भी पहुंचते हैं पर वह लोग अपना काम करके सर से निकल जाते हैं,
कोई भी पुलिस के अधिकारी नागरिक बादशाह खान अस्पताल की पुलिस चौकी की जर्जर हालत की तरफ नहीं देखता, और देखता भी हैं,अनदेखी करके चल देता हैं। अब आपको साफ़ तौर पर बतादें कि नागरिक बादशाह खान अस्पताल की पुलिस चौकी के जो कमरे हैं, उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब हैं, वहां पर बिजली सप्लाई की बहुत ज्यादा दिक्कत हैं, पता चला हैं कि अस्पताल के पास जो बूथ हैं,
उसमें बिजली जाने के बाद भी हॉटलाइन बिजली जलती रहती हैं, पर पुलिस चौकी में लिखने -पढ़ने का कार्य होता हैं वह सरकारी, और यहां अक्सर बिजली कट जाती हैं, और कार्यरत पुलिस कर्मियों को अंधेरे में ही मोबाइल की लाइट से लिखना -पढ़ना पड़ता हैं। यहां लेट्रीन -बाथरूम की कोई व्यवस्था नहीं हैं, नाही पानी की व्यवस्था हैं, जो हैं वह बिल्कुल खत्म सा हैं,आसपास में गंदगी इतना ज्यादा हैं, की वजह से बदबू ही बदबू हैं, पुलिस चौकी के कमरे की दीवार के प्लास्टर झड़े हुए हैं, जो कि कार्यरत पुलिस कर्मियों को अक्सर प्लास्टर या छत के पत्थर टूट कर गिरने डर सताता रहता हैं। इस स्थान पर आज के समय के ऑफिसर जो डायरेक्ट आईपीएस व एचपीएस, खास तौर पर महिला ऑफिसर यहां ज्यादा समय तक नहीं रूक सकते हैं, अगर जितने समय वह रुके हुए रहे, सोचों उनकी मजबूरी रही होगी,
क्यूंकि यहां बदबू इतना ज्यादा हैं कि कोई इंसान रुक नहीं सकता, ऐसे में जो भी पुलिस कर्मी इस पुलिस चौकी में अपनी ड्यूटी दे रहे हैं, उनकी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल , गृह मंत्री अनिल विज , पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर , फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर राकेश कुमार आर्य , एनआईटी डीसीपी अमित यशवर्धन को अपना ध्यान तुरंत आकर्षित करना चाहिए, और नागरिक बादशाह अस्पताल पुलिस चौकी के जर्जर कमरे की मरम्मत के साथ- साथ, में कार्यरत पुलिसकर्मियों को मूलभूत सुविधाएं तुरंत मुहैया उपलब्ध करवाना चाहिए, जो पुलिसकर्मी यहां ड्यूटी दे रहे हैं, सबसे पहले वह इंसान हैं, फिर पुलिस कर्मी हैं और मूलभूत सुविधाएं इन सभी का अधिकार है , क्यूंकि ये तनाव मुक्त रहेंगे, तभी तो आमजनों तो अच्छा व्यवहार करेंगे, और वह खुद भी स्वास्थ्य रहेंगे, दूसरों को भी स्वस्थ रखेंगे
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