अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: हरियाणा में बेदखल मजदूर परिवारों के पुनर्वास को लेकर वर्ष- 2010 में स्टेट गवर्नमेंट द्वारा एक पुनर्वास की योजना बनाई गई थी जिसमें कट ऑफ डेट वर्ष 2003 है अर्थात बेदखल परिवार वर्ष 2003 से पहले से किसी सरकारी जमीन पर काबिज है और सरकार अगर उन्हें हटाती है तो पहले राज्य सरकार को पीड़ित परिवार को इस पॉलिसी के तहत पुनर्वास देना होगा। किंतु वर्ष 2010 की पॉलिसी में कट ऑफ डेट बहुत पुरानी होने की वजह से मजदूर आवास संघर्ष समिति ने इस पॉलिसी को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में माह फरवरी 2021 में चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका फाइल की जिसकी अगली सुनवाई कल दिनांक 9 सितंबर 2021 को होगी। यह जनहित याचिका मजदूर आवाज संघर्ष समिति के सदस्य ने फाइल की जिसका नाम गोवडा प्रसाद वर्सेस स्टेट ऑफ हरियाणा है।
मजदूर आवाज संघर्ष समिति के सदस्य निर्मल गोराना ने बताया कि हाल ही में हरियाणा सरकार द्वारा बनाई गई पुनर्वास की पॉलिसी जिसमें कट ऑफ डेट 2021 है किंतु इस पॉलिसी में बहुत कमियां होने की वजह से मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव ने फिर से इस पॉलिसी को चुनौती देने के लिए आज एक एप्लीकेशन सुप्रीम कोर्ट में फाइल की है। जैसा कि मजदूर आवाज संघर्ष समिति खोरी गांव की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पुरानी पॉलिसी को चैलेंज किया गया था किंतु आज यह एप्लीकेशन मजदूर आवाज संघर्ष समिति की ओर से अमेजमेंट एप्लीकेशन के रूप में फाइल की जा रही है ताकि खोरी गांव के पुनर्वास के लिए बनाई गई पॉलिसी में जो कमियां हैं उनमें संशोधन कर पीड़ित बेदखल मजदूर परिवारों को उचित पुनर्वास प्रदान किया जा सके।
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