अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: यूनिवर्सल अस्पताल में नियो केरेज जो कंबोडिया के निवासी हैं। जिनको शुगर, ब्लड प्रेशर की तकलीफ है तथा वह काफी वक्त से धूम्रपान की लत से भी पीड़ित हैं। उनके दाएं पैर की दो उंगलियां काली पड़ना शुरू हो गई थी, जिसके लिए उन्होंने अपने देश कंबोडिया में भी अस्पतालों को दिखाया। कंबोडिया डॉक्टर्स ने मरीज की परेशानी को देखते हुए बताया कि पैर की रक्त वाहिनी पेट के माध्यम से ही बंद पड़ी हैं तो इसके लिए नया रास्ता बनाना होगा लेकिन नए रास्ते के लिए उनको शरीर में कहीं भी वह रास्ता नहीं मिल रहा था जहां से वह रक्त वाहिनी को जोड़ सकें। इसके बाद कंबोडिया निवासी को जब यह पता चला कि हिंदुस्तान के अंदर विदेशी नागरिकों का इलाज बहुत ही सस्ते और अच्छे तरीके से किया जाता है तो वह हिंदुस्तान आए हिंदुस्तान में उन्होंने दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु में अलग-अलग अस्पतालों में संपर्क किया सबने यही पाया कि पैर के दूसरी तरफ की रक्त वाहिनी भी अच्छी नहीं है यह रक्त वाहिनी पेट से ही बंद पड़ी हुई है तो ऑपरेशन काफी जटिल और एक तरीके से असंभव सा था।
कंबोडिया निवासी यूनिवर्सल अस्पताल में डॉक्टर शैलेश जैन जो हार्ट और नस रोग विशेषज्ञ हैं, से संपर्क किया डॉ शैलेश जैन ने अपनी टीम के साथ चर्चा के बाद यह पाया इनके दोनों हाथों की और दोनों पैरों की रक्त वाहिनियां बंद पड़ी हुई है और हमारे लिए नया रास्ता इन रक्त वाहिनियों से बनाना बिल्कुल असंभव था काफी गहन विचार-विमर्श के बाद यह सुनिश्चित किया गया कि जो गले से रक्त वाहिनी जाती है जो हमारे दिमाग को खून प्रवाहित करती है से मरीज के पैरों की रक्त वाहिनियों को रास्ता दिमाग की रक्त वाहिनी से दिया जाए और उसके पैर को कटने से बचाया जाए। डॉ. शैलेश जैन ने बताया कि इस ऑपरेशन में दो चुनौतियां थी पहली सामान्य आदमी की रक्त की वाहिनी को बायपास करने के लिए हम बंद करते हैं तो काफी संभावना होती है के मरीज को ऑपरेशन के बाद लकवा मार जाए।
दूसरी परेशानी गले की हड्डी क्योंकि वह भी रास्ते में आ रही थी तो उसके नीचे से रास्ता बनाना बहुत जटिल कार्य था। डॉक्टर शैलेश जैन ने अपनी टीम डॉक्टर रहमान, डॉक्टर पवन, डॉ गौरव जैन, डॉक्टर नवीन के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया कि इस मरीज का ऑपरेशन बिना मरीज को बेहोश किए किया जाएगा जिससे मरीज के दिमाग की स्थिति को पल पल देख सकें। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के बाद मरीज के पैरों की रक्त वाहिनी में रक्त का प्रभाव चालू हो गया है और जो उंगली में कालापन आना शुरू हो गया था वह भी धीरे-धीरे कम हो रहा है।
डॉ शैलेश जैन ने बताया कि यह ऑपरेशन बहुत ही चुनौतीपूर्ण था ऑपरेशन के अंदर खून की आवश्यकता नहीं पड़ी लेकिन मरीज को बिना बेहोश किए ऑपरेशन करने से मरीज के अंदर दर्द की बहुत अधिक संभावनाएं बढ़ जाती हैं जिसे एनएसथीसिया देकर कंट्रोल किया गया। अस्पताल की मेडिकल डायरेक्टर डॉ रीति अग्रवाल ने बताया कि यूनिवर्सल अस्पताल फरीदाबाद का मात्र एक ऐसा अस्पताल है जिसके अंदर हाइब्रिड ऑपरेशन थिएटर मौजूद है हाइब्रिड ऑपरेशन थिएटर का मतलब जिसके अंदर आप एंजियोग्राफी एनजीओ प्लास्टि और बाईपास सर्जरी एक ही वक्त पर कर सकते हैं। मतलब किसी मरीज के अंदर उनको लगता है कि एक रक्त वाहिनी का एनजीओ प्लास्टि और दूसरे का बाईपास कर देना चाहिए तो वह एक साथ किए जा सकते हैं जो सुविधा दिल्ली के अंदर मात्र अपोलो अस्पताल और वेदांत अस्पताल के अंदर उपलब्ध है।
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