अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
दिल्ली: एसोचैम के राष्ट्रीय शिक्षा परिषद द्वारा केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल के साथ शिक्षा संवाद का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कोविड-19 के खतरे को शिक्षा के नए मॉडल में कैसे बदला जाए इसपर चर्चा की गई. ऑनलाइन आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में देशभर से शिक्षा जगत से जुड़े 2000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया.डॉ. रमेश पोखरियाल ने अपने संबोधन में सबसे पहले एसोचैम का धन्यवाद किया. उन्होंने हा, एसोचैम 1920 में स्थापित किया गया था आज 2020 में एसोचैम में 4.5 लाख लोग शामिल हैं. यह गर्व की बात है कि 100 साल पुरानी एक संस्था एक ही विजन के साथ काम कर रही है. उन्होंने कहा, यह 100 साल पुराना एक ऐसा वट वृक्ष है जिसकी जड़ें काफी मजबूत हैं और कई आंधी-तूफान और कठिनाइयां झेल कर आज इस मुकाम पर पहुंचा है. उन्होंने कहा, आज के गंभीर समय में पूरा देश एक साथ है. उन्होंने कहा, सभी संस्थानों को अपने सीएसआर फंड शिक्षा में निवेश करने चाहिए क्योंकि यह एक पूंजी है,
इससे हमारे देश का भविष्य तैयार होता है.उन्होंने कहा, एमएचआडी घर-घर तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है और 60 प्रतिशत छात्रों तक पहुंचा भी है. चालीस प्रतिशत छात्र बाकि हैं जो कि रूरल ही नहीं बल्कि अर्बन एरिया के भी हैं. उन्होंने बताया कि आने वाले समय में शिक्षा के 32 चैनल चलाए जाएंगे जो कि 24*7 कार्य करेंगे और छात्रों को टीवी के माध्यम से शिक्षा मिल सकेगी. इसके अलावा जहां टीवी और इंटरनेट की सुविधा नहीं होगी वहां कम्यूनिटी रेडियो की भी मदद ली जाएगी.उन्होंने इस दौरान सरकार द्वारा चलाए जा रहे ARPIT, SWAYAM PRABHA, YUKTI, SMART INDIA HACKATHON के बारे में चर्चा की. उन्होंने बताया कि, राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन रिसर्च और डेवलप्मेंट में सालाना 20000 करोड़ रुपए निवेश करेगा. एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने माननीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का स्वागत और इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए धन्यवाद किया. उन्होंने कहा, कोरोना महामारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर काफी असर हुआ है. शिक्षण संस्थान भी इससे अछूते नहीं हैं. आज 1.5 बिलियन छात्र घर पर हैं. उन्होंने इस दौरान फिजिटल, यानि की फिजिकल और डिजिटल मॉडल की बात सबके समक्ष रखी. घर में पढ़ाई करने के लिए छात्रों को कनेक्टिविटी चाहिए,लेकिन हर छात्र के पास यह सुविधा मौजूद नहीं है. उन्होंने गांव में रहने वाले छात्रों की शिक्षा के प्रति चिंता जाहिर की. दीपक सूद ने कहा हालांकि प्री और पोस्ट कोविड बिल्कुल अलग होगा लेकिन यह नए अवसर भी लेकर आया है.
जो काम देश के लोग पाँच साल में नहीं कर सकते थे 90 दिन में कर रहे हैं.एसोचैम राष्ट्रीय शिक्षा परिषद के चेयरमैन और मानव रचना शैक्षणिक संस्थान के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत भल्ला ने भी डॉ. रमेश पोखरियाल के सामने अपने विचार रखे. उन्होंने कहा, इस विपदा के समय में सरकार ने साथ दिया है और सभी शिक्षण संस्थानों ने आपदा को अवसर में बदला है. शिक्षण संस्थानों ने ऑनलाइन क्लासिस देकर एक भी दिन छात्रों की शिक्षा से वंचित नहीं रखा है. डॉ. प्रशांत भल्ला ने स्टडी इन इंडिया पर भी जोर दिया. उन्होंने अनुरोध किया कि देश में हर यूनिवर्सिटी को एक ही स्थान देना चाहिए डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी, प्राइवेट यूनिवर्सिटी आदि जैसे टाइटल्स को हटाना चाहिए. उन्होंने मेधावी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए राष्ट्रीय स्तर के स्कॉलरशिप प्रोग्राम और कम दरों पर ऋण देने की बात कही. उन्होंने कहा, जिस तरह से हेल्थ सेक्टर में आयुष्मान योजना है उसी तरह से शिक्षा में भी एक ऐसी ही स्कीम आनी चाहिए.एसोचैम राष्ट्रीय शिक्षा परिषद के को-चैयमैन विनीत गुप्ता ने कहा, 21 वीं सदी ज्ञान की सदी है और भारत ज्ञान का भंडार है, हम भारत को शिक्षा में एक महाशक्ति बनाने के लिए सरकार के साथ काम करना चाहेंगे। दूसरे देशों के छात्रों को अध्ययन करने के लिए यहां आने दें. उन्होंने राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन स्थापित करने के लिए 20,000 करोड़ की सालाना राशि देने का स्वागत किया। उन्होंने अनुरोध किया कि यह धनराशि निजी संस्थानों को भी उपलब्ध हो।शोभित यूनिवर्सिटी के चांसलर कुंवर शेखर विजेंद्र ने कहा कि एसोचैम भगवान राम की गिलहरी की तरह कार्य कर रहा है. शोभित यूनिवर्सिटी में रूद्राक्ष पर रिसर्च किया जा रहा है. प्राचीन जड़ों को मजबूत बनाने के लिए जो एमएचआरडी द्वारा कार्य किया जा रहा है उन्हीं कदमों पर प्राइवेट यूनिवर्सिटी भी कार्य कर रही है.
वोकल फॉर लोकल होने के लिए हमें समाज के लिए भी रिसर्च करना होगा. उन्होंने बताया, शोभित यूनिवर्सिटी ने महामारी के दौरान जहां शैक्षणिक कार्यों को जारी रखा वहीं 200 बेड का क्वारंटाइन सेंटर बनाकर राष्ट्र को समर्पित भी किया.चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के फाउंडर चेयरमैन सतनाम सिंह संधू ने कहा कि, जिस तरह देश में सिविल सर्विसिस के लिए एक कैडर बनाया जाता है, उसी तरह शिक्षा के लिए भी एक राष्ट्रीय स्तर का कैडर बनाया जाए. यह एक ऐतिहासिक कदम होगा. उन्होंने अनुरोध किया कि जनवरी से कॉलेज में छात्रों को आने की अनुमति दी जाए, ताकि अंतरराष्ट्रीय छात्र भी आ सकें. उन्होंने कहा कि एसोचैम, सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है. लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के चांसलर अशोक कुमार मित्तल ने कहा,कोरोना के कारण पूरे देश के सामने बड़ी चुनौती आई, लेकिन इस मुश्किल को अवसर में तबदील किया. 33 करोड़ छात्रों को घर बैठे शिक्षा दी गई. ऐसा एमएचआरडी द्वारा महज दो दिन में निर्देश दिया गया, जिसका सबने पालन किया. उन्होंने कहा, बीते पचास साल में शिक्षा क्षेत्र में ऐसे फैसले नहीं लिए गए जितने बीते एक साल में लिए गए हैं. इसके अलावा न्यू एजुकेशन पॉलिसी भी उनके द्वारा जल्द लॉन्च की जाएगी. माननीय मंत्री से अनुरोध किया कि, न्यू एजुकेशन पॉलिसी को लॉन्च करने से पहले पाँच प्राइवेट और पाँच सरकारी यूनिवर्सिटी के नुमाइंदों से मिलकर चर्चा करें, ताकि आने वाले 50 साल तक लागू रहने वाली एजुकेशन पॉलिसी में कोई कमी न रह जाए.कार्यक्रम में शिक्षा जगत के कई गणमान्य लोग मौजूद रहे.