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फरीदाबाद

फरीदाबाद:झुग्गी झोपड़ी हटाकर 1 लाख लोगों को पुनर्वास दिए बिना बेघर करने के विरोध में ट्विटर पर उतरे युवा पर्यावरण कार्यकर्ता

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
फरीदाबाद-दिल्ली की सीमा पर बसे खोरी गाँव पर सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने विस्थापन का खतरा खड़ा कर दिया। जंगल की जमीन पर रह रहे लोगों के घर हटाने का आदेश दिया गया है। इस आदेश के अनुसार यहां के 10000 घरों के निवासियों को 6 हफ़्तों के भीतर अपने घरों को खाली करना होगा, लेकिन आदेश केवल घरों को खाली करने के लिए हुआ है, यहां के निवासियों के पुर्नवास की व्यवस्था नहीं की गई है।

इन लोगों के पुनर्वास की मांग के साथ 13 जून 2021 को पर्यावरण और युवा संगठनों द्वारा INDIA_STANDS_WITH_KHORI जो भारत में लगातार ट्रेंड करता रहा। यूथ फ़ॉर स्वराज, युगमा नेटवर्क, यूथ फ़ॉर क्लाइमेट इंडिया, क्लाइमेट फ्रंट ऑफ इंडिया,फ्राइडे फ़ॉर फ्यूचर इंडिया पंजाव, फ्राइडे फ़ॉर फ्यूचर ट्राईसिटी नार्थ और लेट इंडिया ब्रीध, एनीपिम, क्लाइमेट फ्रंट जम्मू जैसे संगठनों ने इस मुद्दे को उठाया और अभियान को चलाया। यूथ फ़ॉर स्वराज इस विपदा की घड़ी में ‘खोरी’ निवासियों के साथ खड़ा है। हमारा प्रयास है कि इस अन्याय के खिलाफ देशभर से समर्थन जुटाया जाए और लोगों के लिए पुर्नवास की व्यवस्था हो पाए। इसी प्रयास के अंतर्गत यूथ फ़ॉर स्वराज द्वारा आज 13 जून 2021 को इंस्टाग्राम लाइव का आयोजन किया , जिसमें यूथ फॉर स्वराज पर्यावरण फ्रंट की सदस्या जाहन्वी सोढ़ा ने कहा कि अगर किसी स्थान से लोगों को हटाया जाता है तो उनके पुनर्निवास की व्यवस्था करना सरकार का कर्तव्य होता है,लेकिन दुःख की बात यह है कि सरकार इस समय इन 1 लाख लोगों के लिए कुछ नहीं कर रही है। एक तरफ सरकार कहती है कि इस कोरोना महामारी में लोगों को घर से नहीं निकलना चाहिए लेकिन दूसरी तरफ एक लाख लोगों से उनका घर छीना जा रहा है ऐसी महामारी में यह लोग कहां रहेंगे। यूथ फॉर स्वराज के पर्यावरण मोर्चे के संयोजक कपिल अग्रवाल व सह-संयोजक हकीकत बीर ने कहा है कि सरकार ने अभी 12 जून को बाल दिवस मनाया है और महिला सशक्तिकरण पर भी गाजे-बाजे के साथ खूब प्रचार करती है लेकिन इसमें 5 हजार के करीब गर्भवती महिलाएं व 20 हजार बच्चे शामिल हैं; ऐसे में इन लोगों के बारे में सरकार मौन क्यों धारण किए हुए हैं?इस कैंपेन की मांग है कि लोगों के पुनर्वास की जिम्मेदारी सरकार ले और उसके बाद ही उन्हें विस्थापित करे। साथ ही अरावली में और भी जो लोग हैं- बड़ी होटलें, कंपनियां, वगैरह जो जंगल की जमीन पर हैं और जिनसे अरावली नष्ट होने के कगार पर है; उनके खिलाफ भी कार्रवाई  हो।

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