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नोएडा

किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए किसान आयोग का गठन हो : ठाकुर भानु प्रताप सिंह

अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट 
भारतीय किसान यूनियन भानु के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने नोएडा के सेक्टर- 29 में प्रेस वार्ता करते हुए केंद्र सरकार से मांग की है, किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए किसान आयोग का गठन किया जाना चाहिए।   उनका कहना था कि अभी तक जो लोग फसलों की कीमत तय कर रहे हैं,  उन्हें जरा भी खेती-बाड़ी का अनुभव नहीं है।  वे केवल किताबी या आंकडे़बाजी का ज्ञान रखते जिस कारण किसानों की समस्याए बढ़ रही है।   इसलिए किसान आयोग में केवल किसान ही पदाधिकारी बने कोई आईएएस या ऐसा व्यक्ति ना हो जो बीज खाद पानी अन्य किसानों की समस्याओं की जानकारी ना रखता हो.

भाकियू (भानु)  गुट राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सन 1965 में निवर्तमान मुख्यमंत्री ने गेहूं की खरीद का मूल 76 तय करवाया था.  उस समय सरकारी टीचर को 70 हजार तनखा मिलती थी. आज उस टीचर को 70 हजार तनखा मिल रही हैं, हमारी गेहूं की भी कीमत उसी हिसाब से 76 हजार होनी चाहिए, लेकिन आज उसकी कीमत 2 हज़ार  भी नहीं है.महेंद्र सिंह टिकट के साथ मैं किसान यूनियन के अध्यक्ष के रूप में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू कराया था। कांग्रेस की शासन में उस समय गेहूं की कीमत 3 हज़ार रखी गई थी लेकिन यह कीमते आज तक लागू नहीं गई।  हमारे प्रधानमंत्री ने 2014 में प्रधानमंत्री पहले बनने से पहले कहा था कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करूंगा और किसानों की हालत सुधार आ जाएगा. लेकिन न तो किसान की हालत में ही सुधार होगा ना ही स्वामीनाथन आयोग रिपोर्ट लागू किया गया है..ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए केंद्र सरकार से किसान आयोग के गठन की मांग की है। उन्होंने किसान आयोग की गठन की मांग उठाते हुए कहा कि आयोग में केवल किसान ही पदाधिकारी हो। कोई भी आईएएस या ऐसा व्यक्ति न हो जो बीज, खाद, पानी व अन्य तरह की समस्याओं के बाद उगने वाली फसल के बारे में केवल किताबी या आंकड़ेबाजी का ज्ञान रखता हो। आयोग में किसान चाहे वह आलू पैदावार वाला हो या फिर अन्य फसलों की पैदावार करने वाला किसान, जिसे खेतीबाड़ी का अनुभव हो उसे ही रखा जाए, ताकि वह अपनी फसल की कीमत तय कर सके। अभी फसल की कीमत ऐसे लोग तय कर रहे हैं जिनका खेतीबाड़ी से कोई सरोकार नहीं है। ऐसे में किसान को फसल में दिए जाने वाले खाद पानी की भी कीमत अपनी फसल बेचने पर नहीं मिल पा रही है। उन्होंने कहा कि जो किसानों की हित की बात करेगा वहीं सरकार बना कर किसानों पर राज करेगी। इस बार किसान आगामी चुनाव में किसको वोट करेंगे यह अब सरकार की किसान हित और विरोधी नीतियों पर निर्भर है। अभी भी समय है सरकार चेते और किसानों के हित में फैसला ले। इस प्रेसवार्ता में उनके अलावा राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय राणा व केपी सिंह भी मौजूद रहे।

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