अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि पूरा विश्व देख रहा है भारत के किसानों को दिल्ली के बाहर सड़क पर इस सर्दी में बैठे हुए। दिन-रात लाखों किसान प्रतीक्षा कर रहे हैं, आस लगाए बैठे हैं कि कब देश की निष्ठुर सरकार का मन पसीजेगा।
बुनियादी सवाल क्या है – बुनियादी सवाल यह है कि ऐसी स्थिति पैदा ही क्यों हुई? आखिर क्या वजह है कि आनन-फानन में जून में अध्यादेश लाए जाते हैं। जब देश का ध्यान कोविड़ पर केन्द्रीत हो, तब देश की सरकार चुप-चाप अपने चंद उद्योगपति मित्रों की सेवा में हाजिर दिखाई देती है। ये प्रश्न बहुत वाजिब है, ये प्रश्न, ये सवाल हम सबके दिमाग में है। आखिर क्यों जल्दबाजी में संसदीय परंपराओं की धज्जियां उड़ाते हुए इन तीनों बिलों को पारित किया जाता है, विपक्ष को निलंबित कर दिया जाता है, ताकि कोई अपोजिशन दिखे ही नहीं और चुपचाप से बिल पास हो जाए और कानून बन जाएं? आखिर क्या कारण है कि जिन किसानों के तथाकथित लाभ के लिए आप सामने ये दिखाते हो पूरे विश्व को कि इनका लाभ होने वाला है और ऐसे कानून पारित कर जाते हो, उन कानून को बनाने की प्रक्रिया में उन्हीं किसानों की सलाह नहीं ली जाती है? तो ये स्थिति इन कारणों से बनी है, इस स्थिति का ये छोटा सा इतिहास है, जो आप सबने देखा इस जून से लेकर और अब तक।
आज जो स्थिति हम देख रहे हैं, उसके पीछे सरकार का एक षड़यंत्रकारी रवैया रहा है। जिसके चलते क्रोधित किसान दुखी मन से अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहा है और दिल्ली के दरवाजे पर खड़ा है। एक तो आपने किसान को सड़क पर आने को मजबूर कर दिया और वहीं दूसरी और आपके मंत्री, आपके राज्यों के मंत्री गैरजिम्मेदाराना बयान देकर किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कते हैं। कुछ मंत्री हमारे किसानों को चीन और पाकिस्तान का एजेंट करार देते हैं और पड़ोस के हरियाणा के मुख्यमंत्री उन्हें खालिस्तानी करार देते हैं। माफ कीजिएगा चाटूकार मीडिया में तो प्लांट भी कराया जाता है कि ईडी की जांच होगी किसानों की फॉरेन फंडिग हो रही है। मजाक बना रखा है आपने। देश के किसान हैं, 62 करोड़ किसान हैं इस देश में, लाखों किसान बाहर दरवाजे पर खड़े हैं दिल्ली के और इस तरह की बात कर रहे हैं उनके विषय में। इस देश के किसानों की समस्या की मुख्य वजह क्या रही है – एमएसपी। स्वामीनाथन कमेटी के बारे में आप बार-बार बोलते हैं कि हमने लागू कर दी। पूछिए ना, कौन सा फॉर्मूला लागू किया? किसान उससे व्यथित हैं और अब आपने एपीएमसी और एमएसपी पर एक बहुत बड़ा संकट ले आए, जिससे किसान क्रोधित हुए। सीधे-सीधे आपने एपीएमसी व्यवस्था पर चोट की है, जिसके चलते आपने एमएसपी पर भी चोट की है। मेरे साथी रणदीप सिंह सुरजेवाला जी ने परसों बहुत स्पष्ट तौर से एमएसपी का मुद्दा समझाया था आपको। तो अपने पूंजीपति मित्रों को मुनाफा पहुंचाने की नीयत से ही जो जमाखोरी को प्रोत्साहन देने के लिए इन कानूनों को लागू किया जा रहा है, ये स्पष्ट हो जाता है, कृषि मंत्री गलती से ही सच निकल गया उनके मुँह से। उन्होंने तो परसों एक इंट्रव्यू में बोल ही दिया कि अगर हम ये कानून वापस लेते हैं, तो उद्योगपति हमारे पास आएंगे और कहेंगे कि ये कानून वापस क्यों ले रहे हैं? उन्होंने तो उद्योगपतियों के नाम भी लिए।
ये हम भूल जाते हैं, सरकारें भूल जाती हैं कि लॉकडाउन में अगर एक वर्ग निरंतर काम कर रहा था, तो वो था इस देश का किसान। लॉकडाउन में भी वो खेत में था। इस देश की अर्थव्यवस्था में अगर कुछ भी बचा है इस लॉकडाउन के बाद तो वो इस किसान की मेहनत का नतीजा के कारण बचा है।
एक तरफ किसानों से वार्तालाप का स्वांग रचा जा रहा है, ढोंग किया जा रहा है। वहाँ वार्तालाप शुरु होने से पहले वाराणासी में प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि ये कानून वापस ही नहीं लिए जाएंगे। क्या ऐसे होती हैं समझौता वार्ताएं? हमने भी कई समझौता वार्ताएं की हैं। आप पहले ही दरवाजे बंद कर दो अपने दिमाग के, राजधानी के दरवाजे बंद कर दो और फिर कहो कि हम आपसे वार्तालाप करना चाहते हैं। आपकी नीयत स्पष्ट हो जाती है कि आप नहीं चाहते कि ये वार्तालाप सफल हो। आप नहीं चाहते कि कि किसानों की बात मानी जाए। आप नहीं चाहते कि आप ये कानून वापस लें, क्योंकि आपके मंत्री, केंद्रीय कृषि मंत्री स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि उद्योगपति नाराज हो जाएंगे। नोटबंदी से लेकर और कृषि के इन तीन काले कानूनों तक का सफर अगर आप मोदी जी के प्रधानमंत्रीत्व काल का देखेंगे तो बड़ा स्पष्ट हो जाएगा कि जो-जो निर्णय उन्होंने स्वयं लिए जिसमें पिछली सरकारों का कोई योगदान नहीं था, वो निर्णय इस देश को नागवार गुजरे हैं, इस देश को नुकसान पहुंचा कर गए हैं। कांग्रेस पार्टी ने, विशेष तौर पर राहुल गांधी ने किसानों के पक्ष में सदैव अपनी आवाज़ उठाई है। पिछले कुछ महीनों से हमारी पार्टी ने निरंतर किसान सम्मेलनों, हस्ताक्षर अभियानों व ट्रैक्टर रैलियों के माध्यम से किसानों के हक़ की आवाज़ सरकार तक पहुँचाने का प्रयास किया है। आगामी 8 दिसम्बर को होने वाले भारत बंद को कांग्रेस पार्टी का पूर्ण समर्थन है। ज़िला व प्रदेश मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन कर हम यह सुनिश्चित करेंगे के किसानों की माँगों के समर्थन में आहूत भारत बंद पूर्णतः सफल रहे।