अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच वार्ता का होना जरूरी है क्योंकि बिना वार्ता कोई निष्कर्ष नहीं निकलता है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर केंद्र सरकार निरंतर बातचीत कर रही है और सुप्रीम कोर्ट ने भी चर्चा करने को कहा है इसलिए जो 40 किसान संगठनों के नेता इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, उन्हें किसानों की बेहतरी को लेकर बातचीत के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कई बड़े आंदोलनों का उदाहरण देते हुए कहा कि आज तक जितने भी आंदोलन हुए हैं, उन्हें वार्ता के जरिए ही सुलझाया गया है। दुष्यंत चौटाला ने उम्मीद जताई कि आगामी दिनों में किसानों और केंद्र के बीच जरूर वार्ता होगी और उससे सकारात्मक परिणामों के साथ निष्कर्ष निकलेगा। वे वीरवार को यहां आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि लोकपाल को लेकर अन्ना हजारे के आंदोलन में भी चर्चाओं के बाद ही निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि किसान संगठन नए कृषि कानूनों में क्या-क्या बदलाव चाहते हैं, उनके बारे में सरकार को बताएं और एक-एक बिंदु पर चर्चा कर निष्कर्ष निकालें।
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि केंद्र सरकार निरंतर किसान संगठनों को वार्ता के लिए आमंत्रित कर रही है, अब किसान संगठनों के नेतृत्व करने वाले नेताओं को किसानों के भले के लिए अपनी जिम्मेदारी समझते हुए अपने सुझाव केंद्र को देने चाहिए ताकि निष्कर्ष निकले। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों में बदलाव होने चाहिए और इसको लेकर पहले ही केंद्र सरकार को सुझाव दिए जा चुके हैं और उन्हें केंद्र ने भी माना है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी को लिखित में शामिल करने, बिजली संशोधन बिल में बदलाव करने आदि कई मांगों को लेकर तैयार है। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि बिलों में बदलाव के तौर पर कौन सी ऐसी मांगें है जो शामिल नहीं हो पा रही हैं, उन पर चर्चा के लिए केंद्र उनकी जिम्मेदारी लगाता है तो वे इस मध्यस्तता के लिए तैयार हैं। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि वे हमेशा किसानों के हितैषी हैं और इस विषय में पहले ही स्पष्ट कर चुके है कि वे फसलों पर निर्धारित एमएसपी (न्यूतम समर्थन मूल्य) व्यवस्था को सुनिश्चित करते हुए किसानों को उनकी फसलों का दाम दिलाने का काम कर रहे है और जिस दिन इस व्यवस्था पर कोई आंच आई तो वे इस्तीफा देने से पीछे नहीं हटेंगे और सबसे पहले राज्यपाल के पास जाकर खुद अपना इस्तीफा देकर घर बैठने का काम करेंगे। एक अन्य सवाल के जवाब में दुष्यंत चौटाला ने कहा कि उनके प्रयास से ही पिछली केंद्र सरकार को ट्रैक्टर को कमर्शियल श्रेणी से बाहर करना पड़ा क्योंकि उन्होंने ट्रैक्टर पर संसद जाकर अच्छे से इसका विरोध किया, जिसके बाद सरकार ने ट्रैक्टर को कमर्शियल श्रेणी से बाहर किया और आज तक कृषि के कार्यों के लिए किसानों की ट्रैक्टर-ट्रॉली पर कोई टैक्स नहीं लगता है।
डिप्टी सीएम ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि जननायक चौधरी देवीलाल जी और भाजपा नेता स्वर्गीय मंगल सेन ने प्रदेश के अधिकारों के लिए अपना इस्तीफा दिया था। उन्होंने राजीव लोंगोवाल समझौते के तहत राज्य के अधिकारों को दरकिनार करने पर अपना इस्तीफा दिया था। दुष्यंत ने कहा कि जब कभी प्रदेश के अधिकारों की कोई बात आएगी तो वे भी पीछे नहीं हटेंगे। किसान आंदोलन को लेकर भी सबसे पहले उन्होंने स्पष्ट किया था कि वे एमएसपी की मांग के साथ हैं। उन्होंने कहा कि जेजेपी पर कोई दवाब नहीं है और प्रदेश हित में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि विपक्षी दल शुरू के 30 दिन में ही सरकार को गिराने का सपना देख रहे थे लेकिन गठबंधन सरकार का 400 दिनों का कार्यकाल हो गया है। वहीं उन्होंने कांग्रेसियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेसी नेताओं को खरीब और रबी सीजन की फसलों का भी पता नहीं है। – बिजली कम्पनियां गांवों के विकास के लिए पंचायतों के खाते में डालेगी पैसे- डिप्टी सीएमराज्य सरकार द्वारा बिजली बिलों पर दो फीसदी पंचायत टैक्स लगाने के सवाल पर डिप्टी सीएम ने स्पष्ट किया कि यह कदम ग्राम पंचायतों के विकास की दिशा में नया कदम है। उन्होंने बताया कि टैक्स के रूप में मिलने वाला पैसा प्रदेश सरकार के खजाने में नहीं बल्कि बिजली कम्पनियों द्वारा गांवों के विकास के लिए सीधा ग्राम पंचायतों के खाते में डाला जाएगा। उन्होंने कहा कि इसी तरह गांवों की रजिस्ट्रियों के टैक्स का पैसा भी उसी ग्राम पंचायतों को देने का कानून बनाया गया है। इससे ग्राम पंचायतों को गांवों में विकास कार्यों के लिए राज्य सरकार पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इससे गांवों को फायदा मिलेगा, इस दिशा में आगे यह भी कदम उठाया जाएगा कि ग्राम सभा अपने अधिकार से टैक्सेशन शुरू कर सके ताकि गांव से ही गांव के विकास के लिए राजस्व इकट्ठा हो। उन्होंने दो फीसदी पंचायत टैक्स पर यह भी स्पष्ट किया कि इसमें सरकार ने विशेष तौर से ये बात शामिल कर रखी है कि न तो कृषि को लेकर लिए जाने वाले बिजली कनेक्शनों पर कोई टैक्स लगेगा और न ही कृषि आधारित उदयोगों पर यह निर्णय लागू होगा।