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भारत के इतिहास में पहली बार दो सरकारों ने किया नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम सरदार भगवंत मान ने आज नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए। भारत के इतिहास में संभवतः पहली बार दो सरकारों ने नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट किया है। अब केजरीवाल और मान सरकार दिल्ली और पंजाब के लोगों की तरक्क़ी के लिए एक-दूसरे के अच्छे काम सीखेंगे। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह भारत के इतिहास में एक नया प्रयोग है कि नॉलेज शेयर करने के लिए एग्रीमेंट किया गया है। हमने तय किया है कि दिल्ली और पंजाब के लोगों की तरक्क़ी के लिए हम एक-दूसरे के अच्छे कामों से सीखेंगे। देश में यह एक नई तरह की पहल है। दो सरकारें मिलकर जनता के लिए काम करेंगी। एक-दूसरे के अच्छे कामों को सींखेंगे और सिखाएंगे। ऐसे ही दिल्ली और पंजाब आगे बढ़ेगा, ऐसे ही देश आगे बढ़ेगा। हम सब मिलकर बाबा साहब और सरदार भगत सिंह के सपनों को साकार करेंगे। 

वहीं, पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा कि दिल्ली और पंजाब सरकार का नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट एक ऐतिहासिक कदम है। दोनों सरकारें एक दूसरे से सीखेंगी। हम दिल्ली के क्रांतिकारी काम पंजाब मे भी करेंगे। पंजाब के स्कूल और अस्पतालों का बहुत बुरा हाल है। डॉक्टर और शिक्षक हैं, लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है। अगर हमें अच्छी चीजें सीखने के लिए इटली या किसी दूसरे राज्य में भी जाना पड़ेगा, तो हम जाएंगे। हमें पंजाब को दोबारा हंसता-खेलता रंगला पंजाब बनाना है। इस अवसर पर दिल्ली के डिप्टी सीएम एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और मुख्य सचिव मौजूद रहे। इसके अलावा, पंजाब के शिक्षा मंत्री गुरमीत सिंह मीत, स्वास्थ मंत्री डॉ. विजय सिंगला और मुख्य सचिव भी मौजूद रहे।

नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट से पहले दिल्ली सरकार के शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पंजाब के सीएम भगवंत मान और उनकी टीम को प्रजेंटेशन के माध्यम से स्कूलों और अस्पतालों में हुए क्रांतिकारी बदलाव के बारे में विस्तार से बताया। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के सीएम सरदार भगवंत मान और उनकी टीम को बताया कि पिछले साल दिल्ली सरकार के स्कूलों के 12वीं के नतीजे 99.7 फीसद आए थे। जब हम बताते हैं कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के नतीजे 99.7 फीसद आए हैं, तो लोगों को लगता है कि दिल्ली के सरकारी स्कूल अच्छे हो गए हैं। जबकि करीब चार लाख बच्चों ने प्राइवेट स्कूलों से अपने नाम कटवा कर दिल्ली सरकार के स्कूलों में एडमिशन लिया है। इससे लोगों को लगता है कि काम हो रहा है। हमारा सबसे पहला मकसद है कि हमारे स्कूलों के नतीजे अच्छे आए। बच्चों के नंबर अच्छे आएं। इससे ज्यादा से ज्यादा लोग अपने बच्चों को दिल्ली सरकार के स्कूलों में भेजना चालू करेंगे। हमारा दूसरा ध्यान अकादमिक और सह-पाठ्यचर्या पाठ्यक्रम की सामग्री पर है। छात्रों को क्या पढ़ाया जा रहा है? देशभक्ति, हैप्पीनेस करिकुलम और ईएमसी जैसे विभिन्न अनूठे पाठ्यक्रमों के माध्यम से हम छात्रों में समग्र विकास के लिए महान मूल्यों को विकसित कर रहे हैं। दिल्ली के शिक्षा क्षेत्र में किए गए क्रांतिकारी बदलाव के बारे में बताते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस परिवर्तन के तीन हिस्से हैं। पहला, स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार की जरूरत है, जिसके लिए पर्याप्त बजट की आवश्यकता है।

दिल्ली में, जब हमने स्कूल के बुनियादी ढांचे पर काम करना शुरू किया, तो हमने चार प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया। हमने पाया कि स्कूलों में सफाई नहीं थी, तो सबसे पहले सफाई कराई। टायलेट बहुत खराब थे, तो टायलेट साफ कराए। स्कूलों के अंदर पीने का पानी नहीं था, तो पीने के पानी का इंतजाम किया। इन चार चीजों का एक साथ सारे स्कूलों में इंतजाम किया गया। इसके अलावा छात्र दिन में स्कूल से भाग जाते थे। इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ शिक्षकों को भी प्रेरित किया गया। लोग कहते थे कि सरकारी स्कूल के शिक्षक पढ़ाते नहीं हैं। शिक्षक बैठकर स्वेटर बुनती रहती हैं। शिक्षक भी इंसान हैं। अगर ठीक से माहौल मिले तो वो भी काम करना चाहते हैं। शिक्षकों को प्रेरित करने के लिए हम लोगों ने उन्हें आईआईएम समेत कई जगहों पर भेजा। इसके बाद अभिभावकों पर ध्यान केंद्रिंत किया। स्कूल मैनेजमेंट कमिटी के जरिए अभिभावकों को प्रेरित किया। हम लोगों ने कोशिश की कि जितना संभव हो सके उन्हें अपने बच्चों की पढ़ाई में शामिल किया जाए। इन तीनों में जब निवेश करना चालू किया, तो इंफ्रास्ट्रक्चर भी ठीक हुआ। अभिभावक भी बच्चों की पढ़ाई में शामिल हुए और शिक्षक भी बच्चों को पढ़ाने में लगन के साथ शामिल हुए। इसी के परिणाम स्वरूप नतीजे अच्छे आने लगे।प्रेजेंटेशन के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम सरदार भगवंत ने नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया और संयुक्त प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी। सीएम अरविंद केजरीवाल ने संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि आज पंजाब और दिल्ली सरकार के बीच नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट साइन किया गया है। मैं समझता हूं कि यह भारत के इतिहास में बहुत ही यूनिक किस्म की घटना है कि सरकारें आपस में एक-दूसरे से सीखने के लिए एग्रीमेंट साइन कर रही हैं। यह कहना गलत होगा कि केवल हमारी सरकार ने आज तक अच्छा काम किया। अभी तक 75 साल में ऐसे बहुत सारे वाकये हैं, जब अलग-अलग सरकारों ने अलग-अलग राज्यों की सरकारों ने, अलग-अलग पार्टी की सरकारों ने अलग-अलग समय पर बहुत अच्छे काम किए। लेकिन मुझे लगता है कि एक कमी रह गई कि पूरे देश ने उनसे बड़े स्तर पर सीखकर आपस में काम नहीं किया। हम आपस में राज्यों में बंटे रहे, हम आपस में पार्टियों में बंटे रहे। हम लोगों ने एक-दूसरे से सीखा नहीं। यह जो एग्रीमेंट हुआ है, यह एक नया किस्म का है। आज दिल्ली के अंदर शिक्षा और स्वास्थ्य के अंदर जो अच्छा काम हुआ, उसकी चर्चा पूरे देश और दुनिया में हो रही है। दो दिन से पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान साहब दिल्ली के दौरे पर हैं। उनकी टीम भी उनके साथ है। उनके साथ पंजाब के शिक्षा मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री, मुख्य सचिव और शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी हैं। सब लोगों ने कल दिल्ली सरकार की स्कूल, अस्पताल और मोहल्ला क्लीनिक देखें। उनकी एक इच्छा है कि जैसे दिल्ली में काम हुए हैं। दिल्ली से सीखकर पंजाब में भी काम किए जाएं। पंजाब के अंदर भी बहुत अच्छे काम हुए। आने वाले समय में और अच्छे काम होंगे। उनसे उन कामों को सीखकर दिल्ली सरकार भी दिल्ली के अंदर उसको लागू करेगी। हमारा मकसद है कि जब हम लोग आपस में एक-दूसरे से सीख कर आगे बढ़ेंगे, तभी देश तरक्की करेगा। तभी हम सब मिलकर तरक्की करेंगे। मैं समझता हूं कि यह नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट अपने भारत के इतिहास में एक मील का पत्थर है और बहुत बड़ा डेवलपमेंट है। पंजाब और दिल्ली सरकार के बीच नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट को लेकर सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर जानकारी दी। सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘‘बाबा साहब और सरदार भगत सिंह जी के सपनों को पूरा करने की दिशा में अब पंजाब और दिल्ली मिलकर काम करेंगे।’’ दूसरे ट्वीट में कहा, ‘‘पंजाब सरकार के साथ आज हमने नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट साइन किया। यह भारत के इतिहास में एक नया प्रयोग है कि नॉलेज शेयर करने के लिए एग्रीमेंट किया गया है। हमने तय किया है कि दिल्ली और पंजाब के लोगों की तरक्क़ी के लिए हम एक दूसरे के अच्छे कामों से सीखेंगे।’’ वहीं, सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘देश में यह एक नई तरह की पहल है। दो सरकारें मिलकर जनता के लिए काम करेंगी। एक-दूसरे के अच्छे कामों को सींखेंगे और सिखाएंगे। ऐसे ही दिल्ली और पंजाब आगे बढ़ेगा, ऐसे ही देश आगे बढ़ेगा। हम सब मिलकर बाबा साहब और सरदार भगत सिंह जी के सपनों को साकार करेंगे।’’इस अवसर पर पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत मान ने कहा कि पंजाब और दिल्ली सरकार के बीच नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट हुआ है। लोग कहते हैं कि अच्छी चीज जितनी भी मिले, सीख लेनी चाहिए। हमेशा छात्रा रहना चाहिए, सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए। कई बार छोटे बच्चों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। कई बार बुजुर्गों का अनुभव भी बहुत काम आता है। कल हमने मोहल्ला क्लीनिक, स्कूल और हॉस्पिटल देखें। जब मैं आर्टिस्ट था, तो पूरी दुनिया में शो करने जाता था। हमने कनाडा और अमेरिका के हॉस्पिटल, उनके स्कूल भी देखे हैं। कल हमने दिल्ली सरकार के स्कूलों में अपनाई गई तकनीक और बच्चों के आत्मविश्वास देखा। इसको हम दिल्ली से सीखकर पंजाब में लागू करना चाहते हैं। पंजाब में 19 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूल हैं और 23 लाख के आसपास बच्चे पढ़ते हैं। दिल्ली में 18 लाख बच्चे हैं और 1000 से 1100 सरकारी स्कूल हैं। हमारे पास स्कूलों और ग्राम पंचायत की काफी जमीन पड़ी है, जहां हम बहुत बड़े-बड़े खेल के मैदान बना सकते हैं। पंजाब पहले स्पोर्ट्स के लिए जाना जाता था। उसके बाद कुछ सरकारों ने ऐसा किया कि पंजाब को नजर लग गई। पंजाब के स्कूल और अस्पतालों का बहुत बुरा हाल है। डॉक्टर भी हैं और शिक्षक भी हैं, लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है। अगर मैं एमपी लैंड से कोरोना के समय वेंटिलेटर देता था, तो वेंटिलेटर हमें किसी बड़े अस्पताल को दान देना पड़ता था, क्योंकि जिला स्तर के अस्पतालों में वेंटिलेटर चलाने के लिए डॉक्टर नहीं है। विशेषज्ञ नहीं है। मैं वेंटिलेटर वाला एंबुलेंस देना चाहता था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया कि हमारे पास चालक नहीं है और ना तो वेंटिलेटर के लिए विशेषज्ञ है। सीएम भगवंत मान ने कहा कि दिल्ली आकर देखा कि कल हम राजीव गांधी अस्पताल में गए थे। वहां देखा कि जनरल वार्ड भी आईसीयू से बढ़िया बना रखा है। कोई भी आकर वहां इलाज करवा सकता है। आमतौर पर जब हम सरकारी अस्पताल में जाते हैं, तो दवाई की महक आती है। पंजाब में तो एमआरआई मशीनों में कबूतरों के घोसले हैं। क्योंकि ध्यान नहीं दिया गया। इसी तरह, पंजाब के स्कूल भी हैं। स्कूलों को बाहर से चमका दिया गया और लिख लिया गया कि स्मार्ट स्कूल है। बाहर से रंग लगाने से स्कूल स्मार्ट नहीं बनते। बच्चे अंदर से क्या सीख कर आ रहे हैं, हमें इस पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि कैंसर पर आयोडेक्स लगाकर आप उसका इलाज नहीं कर सकते। कैंसर के लिए तो कीमोथेरेपी ही चाहिए। पंजाब में शिक्षा और स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकताओं में शामिल है। दिल्ली में दिल्ली सरकार की भी यही प्राथमिकता है और हमने पंजाब में जो वादा किया है, उसमें भी शिक्षा और स्वास्थ्य प्रमुख है। इसीलिए यह नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट किया गया है। हमारे विपक्ष कह रहे हैं कि पंजाब सरकार पता नहीं कौन से एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कर दी है। यह सिर्फ नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट है। सीएम भगवंत मान ने कहा कि कृषि के मामले में पंजाब अग्रणी राज्य है। जो हम खेती में अच्छे काम करेंगे, तो दिल्ली के कृषि मंत्री और कृषि विभाग के अधिकारी भी पंजाब आ सकते हैं। वे पंजाब से सीखकर दिल्ली में लागू कर सकते हैं। अच्छी चीज सीखने के लिए हमें इटली भी जाना पड़े, तो हम जाएंगे। हमें किसी दूसरे राज्य में भी जाना पड़ेगा, तो हम जाएंगे। बाहर से किसी को आना पड़े, तो आएंगे। सिंगापुर के सहयोग से दिल्ली में बहुत से प्रोजेक्ट चल भी रहे हैं। दिल्ली के टीचरों को सीखने के लिए फिनलैंड और कैंब्रिज भेजा गया और वे वापस आकर दिल्ली के स्कूलों का कायापलट कर दिया। हमारा मकसद है कि पंजाब को दोबारा पंजाब बनाना। कल हम स्कूलों में गए और बच्चों से पूछा कि क्या बनना है। तो किसी बच्चे ने कहा कि उसे डॉक्टर बनना है। किसी ने कहा कि मैं नीट में जाउंगा। एक लड़की ने कहा कि मैं तो एनडीए में जाऊंगी। यह सुनकर बहुत अच्छा लगा। पहले पंजाब एनडीए के लिए जाना जाता था। पंजाब को दोबारा पंजाब बनाना है। हमें कैलिफोर्निया और लंदन नहीं बनाना है। हमें तो हंसता-खेलता हमारा पंजाब ही वापस हो जाए। पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा कि आज पंजाब का किसान खुदकशी कर रहा है। किसी को यकीन नहीं हो रहा है कि पंजाब का किसान भी खुदकुशी कर सकता है। क्योंकि इन्होंने कुछ किया ही नहीं। सिर्फ नाम का किया। किसान कर्जदार हो गया। हम कृषि के विकास के लिए बहुत अच्छे आइडियाज लेकर आ रहे हैं। पंजाब का वाटर लेवल भी नीचे जा रहा है। उसके लिए भी हम बहुत अच्छी-अच्छी प्लानिंग लेकर आ रहे हैं। हम फसलों में भी विभिन्नता लाएंगे, जिनको कम पानी की जरूरत होती है। नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट की मदद से हम स्वास्थ्य, शिक्षा और बिजली पर दिल्ली से सीखकर काम करेंगे। जब 2015 में सीएम अरविंद केजरीवाल ने शपथ ली थी, तब दिल्ली में सबसे ज्यादा महंगी बिजली थी और आज देश भर में सबसे ज्यादा सस्ती बिजली दिल्ली में है, जबकि दिल्ली में सारी कंपनियां प्राइवेट है। पंजाब में तो बिजली बनती है। दिल्ली तो बिजली बनाती भी नहीं है। दिल्ली ने यह कैसे किया, इसके लिए भी हम रोडमैप तैयार करेंगे। पंजाब के सुनहरे भविष्य के लिए नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करके मुझे बहुत खुशी हो रही है। पंजाब के सीएम सरदार भगवंत मान ने ट्वीट कर कहा, ‘‘दिल्ली सरकार और पंजाब सरकार का नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट एक ऐतिहासिक कदम है। दोनों सरकारें एक दूसरे से सीखेंगी। दिल्ली के क्रांतिकारी काम पंजाब मे भी करेंगे। पंजाब के अच्छे कामों से दिल्ली भी सीखेगी। हर जगह से अच्छी चीज़ें सीखेंगे। हम पंजाब को दोबारा हंसता-खेलता रंगला पंजाब बनाएंगे।’’
दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) और पंजाब सरकार (जीओपी) इस नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट (बाद में केएसए के रूप में संदर्भित) में प्रवेश करती है, ताकि वे जन कल्याण के लिए सहयोग कर सकें। यह केएसए दोनों सरकारों को अपने प्रदेश की जनता के हित में काम करने के लिए नॉलेज, अनुभव और कौशल साझा करता है। केएसए दो सरकारों के अधिकारियों, मंत्रियों और अन्य कर्मियों को सोशल वेलफेयर के लिए अपने नॉलेज, अनुभव और कौशल को सीखने और साझा करने में सक्षम बनाता है।दिल्ली सरकार द्वारा संचालित 1068 स्कूलों में दिल्ली के करीब 18 लाख बच्चे पढ़ते हैं। दिल्ली सरकार द्वारा दो तरह के स्कूल चलाए जाते हैं- यूनिवर्सल और स्पेशलाइज्ड। यूनिवर्सल स्कूल दिल्ली के सभी बच्चे के लिए खुले हैं, जबकि विशेष स्पेशलाइज्ड एक्सैलेन्स स्कूल कक्षा 9-12 के लिए है और यहां प्रवेश एक योग्यता परीक्षा के माध्यम से होता है। डॉ. बी आर अम्बेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस दिल्ली सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर किए जा रहे सुधारों का एक नमूना है। एसटीईएम, ह्यूमैनिटी, हाई एंड 21वीं सदी के कौशल, प्रदर्शन और दृश्य कला और सशस्त्र बल तैयारी स्कूल के क्षेत्र में 31 विशेष स्कूल हैं। स्पेशलाइज्ड स्कूल दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन से जुड़ा हैं, जो इंटरनेशनल बैकलॉरिएट के साथ साझेदारी में काम कर रहे हैं। दिल्ली सरकार द्वारा राज्य के कुल बजट का लगभग 25 फीसद हिस्सा हर साल शिक्षा पर खर्च किया जा रहा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कुशल नेतृत्व और उप मुख्यमंत्री द्वारा संचालित शिक्षा के प्रति मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता , दिल्ली के शिक्षा मॉडल की सफलता का कारण है। सरकारी प्रणाली के भीतर और बाहर के शिक्षकों के साथ एक मजबूत टीम शिक्षा शास्त्र को बेहतर बनाने में मदद करती है। स्कूल स्तर तक सत्ता का विकेंद्रीकरण और निर्णय लेने की क्षमता का विस्तार इस मॉडेल की सफलता का राज़ है। किसी के काम को मान्यता देने और प्रोत्साहित करने की संस्कृति का निर्माण करना, दिल्ली की शिक्षा नीति का एक अहम हिस्सा है। शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार बीते सालों में दिल्ली में 50 नए स्कूल और 20 हजार नए कक्षाओं का निर्माण किया गया। स्टाफ रूम और नर्सरी सेक्शन को अपग्रेड किया गया। स्कूलों के रखरखाव में सहायता के लिए एस्टेट मैनेजर को नियुक्त किया गया है। 12 स्कूलों में एस्ट्रो टर्फ और सिंथेटिक ट्रैक और 23 स्कूलों में स्विमिंग पूल के साथ अत्याधुनिक खेल सुविधाएं भी विकसित की गई हैं। इनके साथ ही आने वाले दिनों में दिल्ली के स्कूलों में 100 मोंटेसरी लैब, साइंस इनोवेशन हब, तारामंडल, संग्रहालय, अत्याधुनिक संगीत स्टूडियो, डिजिटल लैब स्थापित किए जाएंगे। केजरीवाल सरकार ने कनेक्टेड क्लासरूम, स्मार्ट क्लासरूम और टैबलेट तक पहुंच के साथ अपनी कक्षाओं को डिजिटल रूप से सशक्त बनाया है। मजबूत स्कूल समुदाय का निर्माण: मजबूत स्कूल समुदायों के निर्माण के लिए, केजरीवाल सरकार ने एक हजार से अधिक स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) का गठन किया है। इन एसएमसी को नियमित जुड़ाव और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से सशक्त बनाया गया है। एसएमसी को सहयोग देने के लिए 35 हजार स्कूल मित्रों को सूचीबद्ध किया गया है। सरकार ने छात्रों के बीच आउटरीच का विस्तार करने के लिए माता-पिता संवाद भी शुरू किया है। सरकार ने छात्रों को मेंटरशिप और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए ‘देश के मेंटर्स’ कार्यक्रम भी शुरू किया है। शिक्षकों की क्षमता मजबूत कर: शिक्षकों को समाज के चेंजमेकर के रूप में विकसित करने के लिए, केजरीवाल सरकार ने आईआईएम के साथ-साथ सिंगापुर, फिनलैंड और कैम्ब्रिज में अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में दिल्ली के स्कूल के प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के प्रशिक्षण को सुनिश्चित किया है। शिक्षा सुधारों में तेजी लाने और स्कूलों को अकादमिक सहायता प्रदान करने के लिए एक सलाहकार शिक्षक कार्यक्रम भी विकसित किया गया है। शिक्षक विकास समन्वयक (टीडीसी) कार्यक्रम ने स्कूल में सीखने और अभ्यास का एक समुदाय बनाने में मदद की है। क्लस्टर लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम ने पीयर-लर्निंग सेशन के माध्यम से स्कूल लीडर्स को विकसित किया है। इतना ही नहीं, सरकारी स्कूलों के 18 शिक्षकों को प्रसिद्ध फुलब्राइट छात्रवृत्ति प्रदान की गई। अमेरिकी दूतावास के क्षेत्रीय अंग्रेजी भाषा कार्यालय (आरईएलओ) के माध्यम से शिक्षकों का प्रशिक्षण भी सरकार द्वारा सुनिश्चित किया गया है। मिशन बुनियाद को केजरीवाल सरकार ने कोविड-19 के कारण उत्पन्न योग्यता अंतर को कम करने के लिए विकसित किया था। कार्यक्रम का उद्देश्य सभी छात्रों को अपनी पाठ्य पुस्तकों को पढ़ने और बुनियादी संख्यात्मक योग्यता हासिल करने में सक्षम बनाना है। 2022-23 की पहली तिमाही में ग्रेड 3-9 के छात्रों के लिए मूलभूत कौशल पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है। शिक्षार्थियों में महत्वपूर्ण सोच और पूछताछ के कौशल को विकसित करने के लिए हैप्पीनेस पाठ्यक्रम विकसित किया गया था। यह शिक्षार्थियों को स्वयं को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने की शक्ति प्रदान करता है। पाठ्यक्रम के माध्यम से केजरीवाल सरकार ने एक सार्वभौमिक संदर्भ में शिक्षा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण दिया है।
चाहे बच्चे कुछ भी करें, केजरीवाल सरकार चाहती है कि छात्र एक उद्यमी की तरह सोचें- बड़े सपने देखने, नए और चुनौतीपूर्ण लक्ष्यों को आजमाने, अवसरों को पहचानने में सक्षम होने और फिर उन्हें पूरा करने के लिए योजना बनाने और अमल में लाने के लिए तैयार हों। ईएमसी 2019 में लॉन्च किया गया था और तब से ्1000 स्कूलों और ईएमसी समन्वयकों, 19,000 ईएमसी शिक्षकों और 7.5 लाख छात्रों के साथ बड़े पैमाने पर निष्पादित किया गया है। देशभक्ति करिकुलम 28 सितंबर, 2021 को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा तीन लक्ष्यों के साथ शुरू की गई थी। प्रत्येक बच्चे को राष्ट्र के लिए गर्व महसूस हो। बच्चों को देश की महिमा के बारे में सिखाया जाना चाहिए। प्रत्येक बच्चे को देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्य के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए। बच्चों में राष्ट्र के लिए योगदान और बलिदान के लिए तैयार रहने की प्रतिबद्धता पैदा की जाए।स्पोकन इंग्लिश क्लास: सरकार का लक्ष्य 180 घंटे के पाठ्यक्रम के माध्यम से कम से कम एक सीईएफआर (कॉमन यूरोपियन फ्रेमवर्क ऑफ रेफरेंस) स्तर में सुधार करना है। वरिष्ठ माध्यमिक छात्रों के लिए स्पोकन इंग्लिश की कक्षाएं दी जाती हैं, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत मानदंडों के अनुसार वो अपने अंग्रेजी बोलने के स्तर को सुधार सकें। इस कार्यक्रम के तहत 64,000 से अधिक छात्रों को पढ़ाया गया है। परियोजना से पहले 62.5 फीसद छात्र ए1 के स्तर पर थे, परियोजना के 40 फीसद सुधार दिखाने के बाद केवल 22.5 फीसद ए1 पर बने रहे। केवल 6 फीसद छात्र बी-वन या उच्चतर स्तर पर थे। कक्षा के बाद 22 फीसद छात्र बी-1 या उच्चतर स्तर पर थे। दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (डीबीएसई) की स्थापना तीन उद्देश्यों के साथ की गई है। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप शिक्षा प्रदान करना, जो रटने की व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित नहीं करता है। ऐसी शिक्षा देना जो अंतःविषय प्रकृति की हो और बाल केंद्रित शिक्षा शास्त्र पर आधारित हो। निरंतर मूल्यांकन स्थापित करना, जो शिक्षण और सीखने की प्रथाओं को सूचित करता है। डीबीएसई को 10 के 8 स्कूलों और 31 एएसओएसई में संचालित किया गया था। उन्नत शिक्षा शास्त्र के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्नातक के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। डीबीएसई का लक्ष्य अगली पीढ़ी के मूल्यांकन सुधारों को शुरू करना है, ताकि शिक्षा व्यवस्था को रटने की व्यवस्था से अलग किया जा सके।—-
दिल्ली हेल्थ मॉडल का मकसद आम आदमी के लिए मोहल्लों से अस्पतालों तक सुलभ, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। करीब 2 करोड़ की आबादी वाली दिल्ली में 13,500 व्यक्तिं/वर्ग किमी के जनसंख्या घनत्व है। लोगों को उच्च स्तरीय हेल्थकेयर प्रदान करने के लिए, दिल्ली सरकार ने 12,603 बिस्तरों वाले 38 अस्पताल स्थापित किए हैं, जिनमें से 34 एलोपैथी और 4 आयुष अस्पताल हैं। दिल्ली सरकार के कुल 30 पॉलीक्लिनिक और 414 औषधालय हैं। वहीं, 28,862 बिस्तरों के साथ 1,068 निजी अस्पताल और नर्सिंग होम हैं।इनोवेटिव हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर का एक उदाहरण पेश करते हुए, केजरीवाल सरकार ने शहर भर में 519 मोहल्ला क्लीनिक और 20 स्कूल स्वास्थ्य क्लीनिक भी स्थापित किए हैं। सेवाओं में अंतराल को भरने के लिए, केजरीवाल सरकार ने हेल्थ केयर सेवाओं के पुनर्गठन में एक 4 टायर हेल्थकेयर सिस्टम बनाया है। जोकि इस प्रकार है-1- प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए आम आदमी मोहल्ला क्लिनिक2- डायग्नोस्टिक्स सहित विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा ओपीडी परामर्श के रूप में माध्यमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए मल्टी स्पेशलिटी पॉली क्लिनिक3- आईपीडी देखभाल के लिए (जिसे पहले सेकेंडरी लेवल अस्पताल कहा जाता था।) मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल4- सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल- (जिसे पहले तृतीयक स्तर का अस्पताल कहा जाता था।)केजरीवाल सरकार के सत्ता में आने से पहले अस्पतालों और औषधालयों में निर्धारित दवाओं की कमी हुआ करती थी। सरकारी सुविधाओं में केवल सीमित संख्या में टेस्ट होते थे और टेस्ट की अनुपलब्धता थी। एमआरआई, सीटी स्कैन जैसी सुविधाओं की कमी थी और लोगों से उनकी आय के अनुसार शुल्क लिया जाता था। केजरीवाल सरकार के सत्ता में आने के बाद मरीजों को निर्धारित दवाओं की अनिवार्य आपूर्ति का आदेश जारी किया गया। सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों के लिए एक हजार से अधिक दवाओं, मल्टीस्पेशलिटी अस्पतालों के लिए 300 से अधिक दवाओं, डिस्पेंसरी में 257 से अधिक दवाओं और मोहल्ला क्लीनिकों में 144 के साथ एक आवश्यक दवा सूची (ईडीएल) तैयार की गई थी। सीपीए की ओर से प्रदान न की जाने वाली दवा के लिए अस्पतालों में दवाओं की खरीद का विकेंद्रीकरण किया गया। निर्धारित दवाओं की अनुपलब्धता की शिकायतों के लिए 1031 हेल्पलाइन जारी की गई है। सभी मोहल्ला क्लीनिक में 238 टेस्ट की जांच की सुविधा है। अब, 29 प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर सरकार द्वारा सूचीबद्ध किए गए हैं। सभी के लिए निःशुल्क डायग्नोज के साथ केंद्रों पर मरीजों के लिए कैशलेस सुविधा सुनिश्चित की गई है। केजरीवाल सरकार की ओर से ‘फरिश्ते दिल्ली के’ योजना के तहत सड़क दुर्घटनाओं, जलने और तेजाब हमलों के पीड़ितों को मुफ्त इलाज सुनिश्चित करने के लिए एक तरह की पहल है। यह योजना सभी पीड़ितों को, जोकि किसी दिल्ली से बाहर का भी हो, उसे निजी और सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपचार प्रदान करती है। यह योजना लागत की कोई सीमा के बिना पूरी तरह से कैशलेस इलाज प्रदान करती है। पीड़ितों को अस्पतालों में ले जाने वाले को 2000 रुपये का नकद प्रोत्साहन और सरकार से प्रशंसा प्रमाण पत्र मिलता है।केजरीवाल सरकार सभी लोगों के लिए समय पर देखभाल सुनिश्चित करने के लिए एक इनोवेटिव ओप्रोच फॉलो करती है। यदि दिल्ली सरकार के किसी अस्पताल में सर्जरी की आवंटित तिथि के लिए प्रतीक्षा समय 1 महीने से अधिक है तो रोगी सर्जरी के लिए एनएबीएच प्रमाणित 62 में से किसी भी निजी अस्पताल से संपर्क कर सकता है। यह पूरी तरह से कैशलेस योजना है, जिसके तहत 1578 प्रक्रियाएं कवर होती हैं। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में हेल्थकेयर के कैपिटल बजट में 5.5 गुना बढ़ोतरी की है। दिल्ली सरकार ने 442 मीट्रिक टन बफर रिजर्व, 6000 डी प्रकार के सिलेंडर, 97 पीएसए प्लांट्स और 2 क्रायोजेनिक प्लांट्स के साथ अपने ऑक्सीजन के बुनियादी ढांचे को बढ़ाया है।केजरीवाल सरकार ने शहर भर में 30 अत्याधुनिक पॉलीक्लिनिक स्थापित किए हैं। जल्द ही ऐसे 64 और पॉलीक्लिनिक शुरू होंगे। ये पॉलीक्लिनिक केंद्र में मौजूद मेडिसिन, सर्जरी, गायनोकोलॉजी, पीडियाट्रिक, ईएनटी, स्किन, ऑर्थाे और आई के विशेषज्ञों के माध्यम से समग्र उपचार प्रदान करते हैं। मार्च 2022 में 20 स्कूलों में एक पायलट के तौर पर लॉन्च किया गया। इन स्कूलों के हेल्थ क्लीनिक शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, दोनों तरह की सेवाएं प्रदान करते हैं। शारीरिक उपचार के लिए चिकित्सक व एएनएम क्लीनिक पर मौजूद हैं। जबकि छात्रों के उचित मानसिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए एसएचसी में मनोवैज्ञानिक अवेलेबल हैं। आम आदमी मोहल्ला क्लिनिक का उद्देश्य दिल्ली की जनता को सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करना है। दिल्ली में मोहाला क्लिनिक जेजे क्लस्टर, मलिन बस्तियों, गैर-अधिकृत कॉलोनियों, घनी आबादी वाले क्षेत्रों, ग्रामीण क्षेत्रों आदि में बनाए गए हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में गरीब और कमजोर तबके के लोग रहते हैं। एएएमसी की स्थापना की परिकल्पना प्री-इंजीनियर्ड इंसुलेटेड बॉक्स टाइप री-लोकेटेड स्ट्रक्चर (पोर्टा केबिन) के रूप में की गई है, जिन्हें पीडब्ल्यूडी के माध्यम से निर्मित और स्थापित किया जाना है। पूरे दिल्ली में ऐसे 1000 क्लीनिक खोले जाने का प्रस्ताव है। दिल्ली सरकार का मकसद गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने और राज्य के नागरिकों को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) प्रदान करना है। एएएमसी का मिशन लोगों के घर के दरवाजे पर बुनियादी प्राथमिक हेल्थ केयर सर्विसेज पहुंचाना और सभी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा कर सार्वभौमिक स्वास्थ्य का चैंपियन बनाना है। हेल्थ इंफार्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम लागू होने के बाद लोगों को अस्पतालों की लंबी कतारों से मुक्ति मिलेगी। वे घर बैठे आराम से एक ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग कर डॉक्टर से अपॉइंटमेंट ले सकेंगे। डॉक्टर से मिलने के लिए एक समय सीमा निर्धारित की जाएगी और वे उसी के अनुसार परामर्श ले सकेंगे।दिल्ली सरकार जल्द से जल्द दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों में हेल्थ इंफार्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम (एचआईएमएस) को लागू करने जा रही है। निजी अस्पतालों को भी चरणबद्ध तरीके से इससे जोड़ा जाएगा। अस्पताल प्रशासन, बजट और योजना, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, बैक एंड सेवा और प्रक्रियाओं जैसी सभी पेशेंट केयर संबंधी सेवाओं को इस प्रणाली के तहत लाया जाएगा। इस प्रणाली के माध्यम से स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जाएंगे और जोकि इस्तेमाल के लिए ऑनलाइन अवेलेबल होंगे। इससे दिल्ली के लोगों को एक ही छत के नीचे सारी जानकारी मिल सकेगी और आपात स्थिति में तत्काल मदद मिलेगी। इसके लागू होने के बाद दिल्ली देश का एकमात्र ऐसा राज्य बन जाएगा, जिसके पास क्लाउड आधारित स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली होगी। वर्तमान में स्वीडन, युगांडा और जर्मनी जैसे कुछ विकसित देशों में यह सिस्टम अवेलेबल है।
एचआईएमएस परियोजना को लागू करने के लिए दो स्तरों पर एक सेंट्रलाइज कॉल सेंटर स्थापित किया जाएगा। पहले स्तर पर कॉल सेंटर संचालकों को लोगों के कॉल और मैसेज प्राप्त होंगे। सीआरएम में लॉग इन करने के बाद, वे मामले का आकलन करेंगे और इसे सुलझाएंगे और मौके पर अवेलेबल हेल्थ केयर कर्मचारियों को सूचित करेंगे। ऑपरेटर कॉलर को प्रासंगिक जानकारी देगा और अंत में एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। वहीं, दूसरे लेवल में दिल्ली सरकार के डॉक्टर और विशेषज्ञ कॉल और मेसेज रिसीव करेंगे और मरीज को अप्वाइंटमेंट देंगे। यदि मामला आपात स्थिति में है, तो हेल्पलाइन उनकी कॉल को तुरंत स्वीकार करेगी और समस्या को हल करने के लिए उनसे बात करेगी। जरूरत पड़ने पर संबंधित रोग के विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करेंगे।

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