अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
रणदीप सिंह सुरजेवाला, महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बयान:आज कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा सांसद, राहुल गाँधी ने लोकसभा में मुखरता और दृढ़ता से देश के अन्नदाता किसान की शहादत पर सरकार को आईना दिखाया और शहीद किसानों को आर्थिक मदद की गुहार लगाई। साथ-साथ एमएसपी पर आंदोलन कर रहे किसानों का मज़बूती से साथ देते हुए सरकार से जवाब मांगा। राहुल गाँधी ने सदन में सरकार की पोल खोलते हुए बताया कि 30 नवंबर, 2021 को जब सरकार से पूछा गया कि किसान आंदोलन में कितने किसानों की शहादत हुई है और सरकार ने क्या मुआवजा किसानों को दिया है तब मोदी सरकार ने उस प्रश्न पर बेहद असंवेदनशील व अहंकारी जवाब देते हुए लिखित में बताया था कि सरकार के पास उन शहीद किसानों का कोई आँकड़ा ही नहीं है।
आज राहुल गाँधी ने एक बेहद सकारात्मक प्रतिपक्षीय नेता का दायित्व निभाते हुए सरकार के मिथ्या प्रचार की कलई खोल दी। गांधी ने रेखांकित किया कि असंवेदनशील मोदी सरकार और किसानों के प्रति सद्भावना रखने वाली कांग्रेस सरकार में क्या अंतर है। गाँधी ने सदन के पटल पर मोदी सरकार को पंजाब प्रांत के 403तथा हरियाणा-यूपी प्रांतों के 71 शहीद किसानों की न सिर्फ़ सूची रखी अपितु सदन को यह भी बताया कि पंजाब की कांग्रेस सरकार ने 400 शहीद किसानों के परिजनों को पाँच-पाँच लाख रु का मुआवजा तथा उनमें से 152 शहीदों के परिजनों को सरकारी नौकरियाँ दी हैं। बाकी शहीद किसानों के परिजनों को भी सरकारी नौकरी देने की प्रक्रिया भी पंजाब सरकार की ओर से चल रही है।राहुल गांधी ने मोदी सरकार से अतारांकित प्रश्न पूछ मरने वाले किसानों की संख्या, तफ़सील व मुआवजे की राशि बारे पूछा था। राहुल गांधी जी द्वारा लिखित में दिए गए प्रश्न की प्रतिलिपि संलग्नक A1 है। मोदी सरकार की दुर्भावना देखिए, आज ही दिनांक 7 दिसंबर को यह अतारांकित प्रश्न संख्या नंबर 1440 पर श्री राहुल गांधी के हवाले से लगा व जवाब दिया गया। इस जवाब की प्रतिलिपि संलग्नक A2 है। मोदी सरकार की किसान विरोधी दुर्भावना केवल इस बात से साबित होती है कि श्री राहुल गांधी के प्रश्न के जवाब में मरने वाले किसानों की संख्या व मुआवजे की राशि बारे प्रश्न को मनमर्जी से उड़ा दिया गया। सदन, लोकतंत्र व किसानों के अधिकारों के हनन का इससे बड़ा सबूत क्या होगा। जरा विडंबना देखिए कि जिस मोदी सरकार के पास 300 से अधिक सांसदों का नंबर है, उनके पास शहीद किसानों के आँकड़े नहीं है, नंबर नहीं है। असल में मोदी सरकार के पास मानवता नहीं है, इंसानियत नहीं है, संवेदनाएं नहीं हैं और शर्म बची नहीं है। मोदी सरकार के पास न महामारी में ऑक्सीजन की कमी से मारे गए लोगों के नंबर थे, न नोटबंदी में बैंकों की कतारों में मारे गए लोगों के नंबर। जिन्होंने किसानों को तड़पा-तड़पा कर मारा है, उनकी किसानों की मदद की नीयत ही नहीं है। जिनके पास किसानों के सिर फोड़ने के लिए डंडे हैं, उन्हें रौंदने के लिए जीप है, उनकी राह में बिछाने के लिए कील और काँटे हैं, मगर उन्हें मुआवजा देने के लिए उनके नंबर नहीं हैं। उनके पास झूठ है, जुमले हैं, मगर ज़मीर नहीं है। उन किसानों के लिए हमदर्दी नहीं है जो देश का पेट पाल रहे हैं। जब कांग्रेस की सरकार पंजाब में जानकारी एकत्रित करके मुआवजा दे सकती है तो क्या बहुमत की मोदी सरकार सिर्फ़ पीड़ा और प्रताड़ना देने के लिए है?मोदी सरकार में ज़रा भी शर्म बची हो तो वो अपने पाप का पश्चाताप और प्रायश्चित करे और किसानों की मदद करे।अब मोदी सरकार के पास कोई बहाना भी नहीं रह गया कि शहीद किसानों की सूची नहीं है क्योंकि राहुल गाँधी जी ने आज सदन के पटल पर एक प्रामाणिक सूची रख दी है।
हम मोदी सरकार से मांग करते हैं कि हज़ारों किसानों के खिलाफ दुर्भावना से लगाए गए मुकदमे तुरंत वापस लिए जाएं, समर्थन मूल्य को वैधानिक जामा पहनाया जाए, 700 शहीद किसानों को आर्थिक मदद की जाए तथा हत्या के षड़यंत्र में आरोपित केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त किया जाए।