अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस ने अनुच्छेद 370 को लेकर कहा है कि देश के संविधान के अंदर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अंतिम होता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अनुच्छेद 370 को लेकर बहस खत्म हो चुकी है। कांग्रेस ने यह मांग भी की है कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा तुरंत बहाल किया जाए और तुरंत विधानसभा चुनाव कराए जाएं।यह बात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम और डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने सोमवार को अनुच्छेद 370 को लेकर आए उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहीं। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस संचार विभाग में मीडिया और पब्लिसिटी के चेयरमैन पवन खेड़ा भी मौजूद थे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्वागत करती है। कांग्रेस का मानना है कि चुनाव तुरंत होने चाहिए। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और कांग्रेस जम्मू कश्मीर की सुरक्षा, शांति, विकास और प्रगति के लिए काम करने के अपने संकल्प को दोहराती है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी ने कभी भी अनुच्छेद 370 की बहाली की बात नहीं की थी, लेकिन वह पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली की मांग जरूर करती रही है। कांग्रेस ने हमेशा जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की है। पूर्ण राज्य का दर्जा तुरंत बहाल किया जाना चाहिए। लद्दाख के लोगों की आकांक्षाएं भी पूरी होनी चाहिए। प्रथम दृष्टया, जिस तरीके से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया, उस फैसले से हम सम्मानपूर्वक असहमत हैं। हम अनुच्छेद 370 पर सीडब्ल्यूसी के संकल्प को दोहराते हैं।वहीं डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि भाजपा जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र कब बहाल करेगी। जम्मू कश्मीर को रिमोट कंट्रोल के जरिए चलाया जा रहा है। 2014 के बाद से जम्मू कश्मीर में चुनाव नहीं हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में 2018 के बाद चुनाव होने थे, वह नहीं हुए हैं। एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि देश के संविधान के अंदर उच्चतम न्यायालय का अंतिम निर्णय होता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अनुच्छेद 370 को लेकर बहस खत्म हो चुकी है। इन याचिकाओं में कांग्रेस किसी रूप से पार्टी नहीं है, जो कांग्रेस कोई पुनर्विचार की याचिका डालेगी। कांग्रेस ना इसमें हिस्सेदार है, ना पार्टी है। इसलिए फैसले की समीक्षा की मांग करने का कोई सवाल ही नहीं है।
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