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फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट उपलब्ध कराने वाले गिरोह का किया पर्दाफाश, डॉ. लाल चंदानी लैब के कर्मचारी हैं, 3 अरेस्ट  

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली:थाना शाहदरा पुलिस ने फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट उपलब्ध कराने वाले एक सक्रिय गिरोह का पर्दाफाश किया हैं। पुलिस ने इस गिरोह के तीन सदस्यों को अरेस्ट किए हैं। जिनके नाम जितेंद्र साहू निवासी दीप एन्क्लेव, चांद विहार एक्सटीएन, विकास नगर, उत्तम नगर ,दिल्ली उम्र 25 वर्ष, .सुनील कुमार निवासी कृष्ण कुंज अप्पर, द्वारका सेक्टर 13, दिल्ली, उम्र- 20 वर्ष व सनी सिंह,विकास नगर, उत्तम नगर, दिल्ली उम्र 29 साल हैं। पुलिस ने इनके कब्जे से एक लेपटॉप व तीन मोबाइल फोन बरामद किए हैं। ये तीनों आरोपित दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित डॉ. लाल चंदानी लैब के कर्मचारी हैं। अब तक ये सभी तीनों आरोपित कोरोना टेस्ट के नाम पर आमजनों से लाखों रूपए ठग चुके हैं।

पुलिस के मुताबिक बीते 05 मई -2021 को आरटी पीसीआर टेस्ट की फर्जी रिपोर्ट मिलने के संबंध में पीएस शाहदरा में पीसीआर कॉल प्राप्त हुई थी।जांच के दौरान यह बात सामने आई कि 21 अप्रैल -2021 को शिकायतकर्ता उमंग गोगिया निवासी ईस्ट गोरख पार्क, दिल्ली ने कहा कि उन्होंने अपने घर से COVID-19 के लिए नमूना संग्रह के लिए एक व्यक्ति को बुलाया।  क्योंकि उसकी मां पहले से ही सकारात्मक थी । इसके बाद एक व्यक्ति उसके घर पहुंचा और उसके परिवार के छह सहविद नमूने लिए थे सदस्यों ने उन्हें 9000 रुपये नकद दिए। हालांकि प्रति नमूना/व्यक्ति 1500  रुपये की दर से। चार दिन गुजर जाने के बाद भी उन्होंने कोई कोविड टेस्ट रिपोर्ट नहीं दी।इसलिए उन्होंने फिर से नमूना एकत्र करने वाले व्यक्ति से संपर्क किया और उन्होंने एक-दो दिन में रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।इसके बाद शिकायतकर्ता को 28 अप्रैल 2021 को उसकी निगेटिव रिपोर्ट उसके व्हाट्स एप पर मिली।रिपोर्टों को आगे बढ़ाते हुए, वह संदिग्ध हो गया। क्योंकि नमूना एकत्र करने की तारीख गलत बताई गई थी । और लैब (डॉ. लाल चंदानी लैब, पंजाबी बाग, दिल्ली) से इसका सत्यापन किया।सत्यापन करने पर रिपोर्ट फर्जी पाई गई।प्रारंभिक जांच कराने के बाद पीएस शाहदरा पर एफआईआर नंबर-116/21, भारतीय दंड सहिंता की धारा  420 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई। इसके बाद  पीएस शाहदरा की एक टीम जिसमें आईएनएसपी शामिल है। प्रहलाद, एटीओ/शाहदरा, एसआई देशपाल, एसआई विशुवेंडर, एएसआई वेद प्रकाश,एचसी प्रमोद कुमार, सीटी।आईएसपी के नेतृत्व में रवि और सीटी राकेश का गठन किया गया। शिवराज सिंह बिष्ट, एसएचओ/शाहदरा और  मयंक बंसल एसीपी/शाहदरा का समग्र पर्यवेक्षण।जांच के दौरान मोबाइल नंबर की सदस्यता डिटेल थी।  एकत्र और स्थानीय खुफिया टीम द्वारा विकसित किया गया था और एक व्यक्ति की पहचान की सनी जो नमूना लेने के लिए आया था और उसे पकड़ा ।इसके बाद उनके एक अन्य सह-अभियुक्त जितेंद्र साहू निवासी  उत्तम नगर दिल्ली उम्र-25 वर्ष और सुनील कुमार निवासी  कृष्ण कुंज अपीर्ट्स द्वारका सेक्टरस  द्वारका एसईसी13, दिल्ली आयु वर्ग-20 वर्ष को भी पकड़ा गया ।पुलिस की माने तो पूछताछ के दौरान आरोपी सनी सिंह ने खुलासा किया कि वह डॉ. लाल चंदानी लैब के लिए कॉविद सैंपल लेने का काम करता था। बीते 21 अप्रैल -2021 को उसके सहयोगी जितेंद्र ने उसे सैंपल लेने के लिए शिकायतकर्ता के घर जाने को कहा। वह वहां पहुंचे और परिवादी के परिवार के छह लोगों के 19 नमूने एक लाख रुपये की दर से एकत्र किए।पंजाबी बाग, दिल्ली स्थित डॉ लाल चडानी लैब्स लिमिटेड की ओर से प्रति व्यक्ति/सैंपल 1500 रुपये प्राप्त किए। 9000/-. उसके बाद इन नमूनों को ठीक से जमा करने के बजाय और प्रयोगशाला में राशि प्राप्त की,पुलिस कहना हैं कि आरोपी सनी ने पेटीएम के जरिए अपने साथियों जितेंद्र को 5700 रुपये ट्रांसफर किए।जब शिकायतकर्ता ने रिपोर्ट की प्रतियां मांगी तो आरोपी जितेंद्र साहू ने फर्जी कॉविड -19 निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट बनाकर सनी को भेज दी है,जिसने आगे शिकायतकर्ता उमंग गोगिया को ही उपलब्ध कराया।शिकायतकर्ता ने जब रिपोर्ट चेक की तो पता चला कि जांच रिपोर्ट में सैंपल कलेक्शन की तारीख में विसंगति है। इसलिए उन्होंने डॉ लाल चंदानी लैब से संपर्क किया तो उन्हें पता चला कि उनके द्वारा टेस्ट रिपोर्ट जनरेट नहीं की गई है और रिपोर्ट फर्जी पाई गई है। आरोपी जितेंद्र साहू ने कबूल किया कि उसे शिकायतकर्ता का सीधे फोन आया और उसने अपने सहयोगी सनी को सैंपल कलेक्शन के लिए भेज दिया।उसने आगे कबूल किया कि उसने सनी से यह रकम हासिल की है और अपने लैपटॉप से ये फर्जी आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट जेनरेट की है।उसने यह भी कबूल किया कि वह फर्जी बिलों के लिए सुनील को प्रति सैंपल 100-150 रुपये का भुगतान करता था । आरोपी सुनील जो लैब के बिलिंग काउंटर पर बैठता था,उसने खुलासा किया कि उसने आरोपी जितेंद्र की मिली भगत से ऐसे कई फर्जी बिल जनरेट किए थे और वह उन बिलों पर प्रति सैंपल 100 से 150 रुपये मिलता था। तीनों आरोपियों ने आगे कबूल किया कि उन्होंने द्वारका और नारायणा इलाके की इसी कार्य प्रणाली से अन्य लोगों को भी ठगा था। पीड़ितों और गिरोह में शामिल अन्य सदस्यों का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। अभी जांच जारी है।

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