अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
नोएडा की साइबर क्राइम थाना पुलिस टीम ने एक बड़े साइबर ठगी के मामले का खुलासा किया है। पुलिस ने एक रिटायर्ड मेजर जनरल से 2 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह डिजिटल अरेस्ट का नाटक कर बुजुर्ग लोगों और रिटायर्ड अधिकारियों को ठगता था।
ठगी की शुरुआत
मामले की शुरुआत तब हुई जब नोएडा सेक्टर- 31 के निवासी एक रिटायर्ड मेजर जनरल ने शिकायत दर्ज कराई कि 27 सितंबर को साइबर अपराधियों ने डीएचएल कोरियर सर्विस का कर्मचारी बनकर उनसे संपर्क किया था। अपराधियों ने यह दावा किया कि उनके मोबाइल और आईडी का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में हो रहा है और इस मामले की जांच मुंबई साइबर क्राइम द्वारा की जा रही है। इसके बाद उन्होंने फर्जी डीसीपी राजपूत के रूप में खुद को पेश करते हुए मेजर जनरल को ‘स्काई ऐप’ डाउनलोड करवाया। वीडियो कॉल के जरिए अपराधियों ने उन्हें डिजिटल कस्टडी में लेकर उनकी एफडी तोड़कर 2 करोड़ रुपये फर्जी बैंक खाते में जमा करवा लिए।
गिरोह का पर्दाफाश
इस शिकायत के बाद नोएडा साइबर क्राइम थाना ने मामले की जांच शुरू की और लोकल इंटेलिजेंस और गुप्त सूचना के आधार पर तीन आरोपितों को जयपुर के मानसरोवर क्षेत्र से गिरफ्तार किया। पुलिस ने खुलासा किया कि यह गिरोह बुजुर्गों को निशाना बनाकर स्काइप के जरिए डिजिटल अरेस्ट का नाटक कर ठगी करता था।
ठगी का तरीका
गिरोह के सदस्य बुजुर्गों और रिटायर्ड अधिकारियों को पुलिस अधिकारी बनकर फोन करते थे और मनी लॉन्ड्रिंग का डर दिखाते थे। स्काइप के जरिए उन्हें वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट का झांसा देकर उनकी धनराशि को फर्जी खातों में ट्रांसफर करवा लेते थे। इस ठगी की रकम को जयपुर और जोधपुर में रहने वाले छात्रों और अन्य लोगों के बैंक खातों और एटीएम के जरिए कैश में बदलवाया जाता था। इसके बाद यह धनराशि यूएसडीटी के माध्यम से अन्यत्र भेजी जाती थी।
मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी
इस गैंग के अहम सदस्य राजकुमार को मुंबई पुलिस ने 2 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आरोपी सचिन ने बताया कि उनके द्वारा उपयोग किए गए बैंक खातों के खिलाफ एनसीआरपी पोर्टल पर कुल 76 शिकायतें दर्ज हैं।नोएडा पुलिस के अनुसार, इस मामले में जांच जारी है और आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है। पुलिस ने इस गिरोह के अन्य सदस्यों की भी पहचान करने का प्रयास शुरू कर दिया है।
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