अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: गुरुग्राम में प्राईवेट डेवलपर द्वारा विकसित ऐसी कॉलोनियां, जिनमें इन्फ्रास्ट्रक्चर में छोड़ी गई कमी की वजह से बिजली के स्थाई व अस्थाई कनेक्शन नहीं दिए जा रहे हैं, उनके लिए राज्य सरकार जल्द ही एक पॉलिसी बनाने जा रही है। इससे इन कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को राहत मिलेगी। यह घोषणा आज मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गुरुग्राम में जिला लोक संपर्क एवं कष्ट निवारण समिति की मासिक बैठक की अध्यक्षता करते हुए की। आज की बैठक में कुल 17 समस्याएं अथवा शिकायतें रखी गई थी, जिनमें से मुख्यमंत्री ने ज्यादात्तर का निपटारा मौके पर ही कर दिया। इसके अलावा भी मुख्यमंत्री ने बैठक में उपस्थित मनोनित सदस्यों द्वारा उठाई गई जनहित की समस्याओं को भी सुना और उनके समाधान के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए।
बैठक में गांव खंडेवला में खेल से संबंधित एक समस्या आने पर जिला खेल अधिकारी के बारे में पूछा गया, लेकिन वे बैठक में बिना किसी सूचना के अनुपस्थित पाए गए, जिसे गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने तत्काल उनके निलंबन के आदेश कर दिए। बैठक में मुख्यमंत्री के समक्ष गुरुग्राम के सुशांत लोक-1,2 व 3, पालम विहार, साउथ सिटी-1 व 2, मालिबु टाउन, आरडी सिटी, मेफिल्ड गार्डन, उप्पल साउथेंड, सनसिटी, विपुल वर्ल्ड, सरस्वती कुंज सहित 16 निजी डेवलपर कॉलोनियों में डेवलपर द्वारा छोड़ी गई इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से उपभोक्ताओं को स्थाई व अस्थाई बिजली कनेक्शन देना बंद करने का मामला उठाया गया। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे उपभोक्ताओं के लिए तीन तरह की ग्रुपिंग करके नई पॉलिसी बनाई जा रही है, ताकि इन कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को राहत पहुंचाई जा सके। उन्होंने कहा कि जिन उपभोक्ताओं ने ईडीसी का सारा पैसा डेवलपर के पास जमा करवा दिया है, वह पैसा डेवलपर से लेकर इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी को दूर किया जाएगा और उपभोक्ताओं को कनेक्शन जारी किए जाएंगे। इसके अलावा, जिन उपभोक्ताओं का ईडीसी का पैसा लंबित है, उनसे वह राशि भरवाकर इन्फ्रास्ट्रक्चर को पूरा करके कनेक्शन दिए जाएंगे।इसी प्रकार, डीएलएफ फेज-3 में बिजली, पानी, सड़क आदि इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी को लेकर रखी गई शिकायत का निपटारा करते हुए मुख्यमंत्री ने डीएलएफ के प्रतिनिधि से कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी को दूर करके 31 दिसंबर को यह कॉलोनी नगर निगम को हैंडओवर कर दें। उसके बाद नगर निगम अगले 15 दिन में डैफिसिट इन्फ्रास्ट्रक्चर का सर्वे करवाएगा और कहीं कमी पाई जाती है तो उसका एस्टिमेट बनाकर डीएलएफ को देगा। एस्टिमेट के अनुसार डीएलएफ को धनराशि जमा करवानी पड़ेगी जिससे उस कमी को निगम दूर करेगा। इसी तर्ज पर गुरुग्राम की 14 अन्य कॉलोनियों में कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन कॉलोनियों के मामले में त्रिपक्षीय अग्रीमेंट करें, जिसमें नगर निगम, संबंधित डेवलपर तथा जिला नगर योजनाकार शामिल हो और नियम अनुसार इन्फ्रास्ट्रक्चर पूरा करवाने की जिम्मेदारी जिला नगर योजनाकार की रहेगी। बैठक में गांव सिकंदरपुर बढ़ा की ड्रेन का गंदा पानी सेक्टर-84 के रिहायशी क्षेत्र में आने का मामला भी मुख्यमंत्री के समक्ष रखा गया। इस मामले में उन्होंने नगर निगम गुरुग्राम के आयुक्त मुकेश आहुजा, जो जिला नगर आयुक्त भी हैं, की देखरेख में नगर निगम मानेसर के आयुक्त तथा गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ तालमेल करके प्रोजेक्ट तैयार कर समस्या का समाधान करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस समस्या को दो महीने बाद पुनः कष्ट निवारण समिति की बैठक में रखा जाए। बैठक में गांव पलड़ा में हनुमान मंदिर से लेकर पलड़ा-सकतपुर रोड़ तक की सड़क पर भारी मात्रा में अवैध निर्माण किए जाने से वहां जाम की स्थिति रहने का मामला आया। इस पर मुख्यमंत्री ने उपायुक्त डॉ. यश गर्ग को कहा कि अवैध निर्माण हटवाएं और रिकॉर्ड देखकर संबंधित सरकारी एजेंसी से सड़क का रख-रखाव करवाएं। आज की बैठक में मामला रखे जाने से सेक्टर-15 पार्ट-1 के ‘रोज गार्डन’ का रास्ता साफ हो गया है। यह गार्डन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण से नगर निगम में जाने के बाद खराब हालत में है। बैठक में नगर निगम के मुख्य अभियंता ने बताया कि वहां पर लगभग ढाई करोड़ रुपये की लागत से सौंदर्यकरण का कार्य शुरू कर दिया गया है, जो तीन महीने में पूरा होगा। इसमें साईकिल ट्रैक, फुटपाथ, बागवानी आदि कार्यों के अलावा, चार दीवारी की मरम्मत करवाई जाएगी। बैठक में बादशाहपुर के विधायक एवं हरियाणा एग्रो इंडस्ट्रीज के चेयरमैन राकेश दौलताबाद, पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता, मुख्यमंत्री के सेफ्टी एडवाईजर अनिल राव, राजनीतिक सचिव अजय गौड, मीडिया सलाहकार अमित आर्य सहित जिला प्रशासन के अधिकारीगण व समिति के मनोनीत सदस्य उपस्थित थे।