अजीत सिन्हा की रिपोर्ट /नई दिल्ली
सरदार मनप्रीत सिंह बादल ने कहा – मुझे तकरीबन साढ़े तीन साल हो गुजरे हैं, जबसे मैंने पंजाब में फाईनेंस की जिम्मेदारी संभाली है और ये सारे जीएसटी का निजाम जबसे शुरु हुआ है, तो सबसे कोई अहमियत की कोई चीज, वो है जीएसटी का कंपनसेशन, क्योंकि इस सारे जीएसटी के निजाम की बुनियाद रखी गई थी तो बुनियाद इस बात पर रखी गई थी कि अगर किसी भी स्टेट को अगर कोई नुकसानात होते है, तो उसकी जो भरपाई है, वो गवर्मेंट ऑफ इंडिया करेगी। तो प्रेस में भी और एक तासुल दिया जा रहा था और इसको शक के घेरे में लिया जा रहा था कि क्या केन्द्र सरकार कंपनसेशन के लिए लीगली अकाउंटेबल है या नहीं और ये जो कंपनसेशन है अगर सेस में इक्कट्ठी नहीं हो रही तो क्या borrowing allowed (ऋण लेने की अनुमति ) है या नहीं? तो एक बात तो हो सकती है कि फंड अवेलेबल नहीं कंपनसेशन के लिए, एक दूसरा मुद्दा है कि गवर्मेंट ऑफ इंडिया की कोई कमिटमेंट ही नहीं है। तो आज की जो मीटिंग हुई 5 घंटे चली और मैं नहीं कहूंगा कि ये बहुत खुश गुमार माहौल में चली, क्योंकि दो बातें हुई।
एक तो पहले गवर्मेंट ऑफ इंडिया ने, सेंट्रल ने एक अटोर्नी जनरल के जो व्यू हैं, वो पढ़कर सुनाए कि दरअसल कोई लीगल कमिटमेंट नहीं है और ये मेरी समझ से बाहर है कि क्या वजह थी कि ऑनरेबल अटोर्नी जनरल के व्यू सर्कुलेट क्यों नहीं किए? मीटिंग के अंदर लाने का क्या, तो एक मैं समझता हूं, जिसको अंग्रेजी में बोलते हैं ट्रस्ट डेफिसेट, वो हमें समझ आया।
दूसरा मीटिंग के दौरान ये भी बताया गया, सेक्रेटरी रेवेन्यू ने प्रेजेंटेशन दी, जो कि गैर माहौली हालात हैं, कोविड का जो महामारी है, उसकी वजह से गवर्मेंट ऑफ इंडिया के खुद के टैक्स इक्कट्ठे नहीं हो रहे, इस वजह से, पर क्योंकि चीफ मिनिस्टर पंडुचेरी, छत्तीसगढ़ और कुछ अपोजिशन स्टेट, उन्होंने बहुत बेहतरीन पेशकश की, जो स्टेट का नुक्ते नजर था और कांग्रेस पार्टी का नुक्ते नजर था। तो इवेंचुअली गवर्मेंट ऑफ इंडिया है, वो इस बात पर तो सहमत हो गई कि हां, हमें ये जो कंपनसेशन है और सिर्फ इस साल के लिए 20-21 का जो साल चल रहा है, अगले साल के कंपनसेशन का मुद्दा अभी ओपन छोड़ा हुआ है, तो उसमें जो…मेरे कहने का मतलब है कि एक सोल्यूशन जो है, वो हमारे पर मुस्सलत कर दिया है। A solution has been trust on us, बेसिक्ली स्टेट जो है, वो बोरो कर सकेंगे। Government of India facility the borrowing और इसकी जो भरपाई है, जो कंपनसेशन होगी वो 2022 के बाद जो सेस है, वो एक साल, दो साल, जितने साल भी चलना हुआ, ताकि ये जो लोन लिया है, जो बोरोईंग हुआ है, वो इस सेस से दी जाए। but basically जो मेरा नुक्ते नजर(view) है और कांग्रेस पार्टी का भी यही नुक्ते नजर है कि गवर्मेंट ऑफ इंडिया ने ये जो हमारा मुस्तफिक बिल है, फ्यूचर है, स्टेट है, क्योंकि अगर ये 2 साल, 3 साल आगे चलता है तो ये स्टेट को रेवेन्यू आना था, वो रेवेन्यू कब आएगा? ये तो यही है कि मैं आज कुछ चीज ले लूं और आगे जो मेरी तनख्वाह है आज से डेढ़ साल बाद, उससे मैं ये लोन वापस कर दूं। We are not happy with this outcome, कि ऐसा क्यों किया? परंतु इसके अलावा हमारे पास कोई च्वाइस नहीं थी कि हम इससे सहमत ना हों क्योंकि other option would have been कि जैसे वो बोल रहे थे कि कोई लीगल ओब्लिगेशन नहीं है, अगर सारे स्टेट इक्कट्ठे ना होते, खासकर चीफ मिनिस्टर पुडुचेरी और छत्तीसगढ़, जैसे स्टेट्स इक्कट्ठे ना होते तो शायद ये भी ऑप्शन ना होते। हम ये चाहेंगे भविष्य में भी, मैंने पिछली प्रेस वार्ता में कहा है, क्योंकि 7 दिन का समय इन्होंने मांगा है अपोजिशन के स्टेट्स ने।
हम जवाबदेह हैं अपनी कैबिनेट को, हम जवाबदेह हैं अपनी लेजिस्लेचर को। तो आज जो दिल्ली में जो भी फैसला किया है, this will we have to at least हमें अपनी कैबिनेट और लेजिस्लेचर में डिस्कस करना पड़ेगा। इस प्रेस वार्ता के जरिए मैं एक चीज की मांग जरुर करुंगा और ये जमुरियत का हुस्न है, its healthy democratic tradition में, अगर गवर्मेंट ऑफ इंडिया के साथ कोई स्टेट एग्रीबल नहीं हो त इसका मतलब ये नहीं है कि अगर उनकी मैज्योरिटी है तो फैसला वही होगा, हम चाहेंगे कि कॉस्टिट्यूशन ऑफ इंडिया में 279 सेक्शन A, सब सेक्शन 2, उसमें जो डिस्प्यूट रेजोल्यूशन मैकेनिज्म है, वो डिस्प्यूट रेजोल्यूशन मैकेनिज्म एक्टिवेट किया जाए, So that we have a legal records to something which we don’t agree on.
दूसरा हम ये भी चाहेंगे कि जो आईजीएसटी का पैसा है, जो रोंगफुली गवर्मेंट ऑफ इंडिया ने कंसोलिटेड़ फंड में ले लिया है, इसकी रकम तकरीबन 54 हजार करोड़ है, ये कंपनसेशन आईजीएसटी में वापस चला जाए, ताकि ये कंपनसेशन जो है, वो दी जाए और मुझे इस बात का दुख है कि ये जो कंपनसेशन थी, कंपनसेशन जो थी as a last resort, चाहिए तो ये था कि कंपनसेशन की नौबत नहीं आती, पर इन्होंने पिछले साढ़े तीन साल में जो मोदी सरकार की तर्जे हकुमत है और जिस तरीके से इन्होंने इंडिया की इकोनॉमी के साथ खिलवाड़ किया है, मसला ये पहुंच गया है कि almost every state is seeking compensation, 2022 तक every compensation for any state would over be 30% और मैं ये भी बताता चलूं कि ये कोई हमारे पर अहसान नहीं कर रहे हैं। 2015-16 में जो हमारी इकोनॉमी थी, it was growing at constant rate of 8.5%, in 2016-17 it was 7.3%, तो करंट प्राईस में 12-13 प्रतिशत था। हमें उन्होंने बताया कि जीएसटी के आने से लिकेज बंद हो जाएंगे, जीडीपी बढ़ेगा, एक्सपोर्ट बढेंगे और ये 14 प्रतिशत increase was a realistic ये कोई रियलिस्टिक फिगर था, अनरियलिस्टिक फिगर नहीं था। अंत में, मैं ज्यादा बोलना नहीं चाहता, पिछले साढे तीन-चार साल में इन्होंने स्पेशल सेस, स्पेशल एक्साइज में गवर्मेंट ऑफ इंडिया ने जो स्टेट्स का हिस्सा था, तकरीबन 6 लाख करोड़ रुपए इन्होंने ये स्पेशल सेस और एक्साइज से पेट्रोलियम वगैरह से कलेक्ट किया है। हमारे