अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरुग्राम:भारत की राजधानी दिल्ली के दिल मे 50 वर्षों से जलती हुई “अमर जवान ज्योति”, जो भारत के गुमनाम सैनिक की श्रद्धांजलि का प्रतीक थी उसे बुझा दिया गयाl पास के वॉर मेमोरियल की इंटरनल फ्लेम मे मिला दिया गया हैl इंडिया गेट जिसे पहले भारतीय वॉर मेमोरियल कहा जाता था 90,000 सैनिकों को समर्पित है जिन्होंने ब्रिटिश इंडिया आर्मी मे 1914-1921 के बीच शहादत दी. ब्रिटिश आर्मी के 13,300 सैनिक और अफसरों के नाम इंडिया गेट पर लिखे हुए हैंl 1972 मे बांग्लादेशी स्वतंत्रता युद्ध के बाद इंडिया गेट के अंदर काले मार्बल पर उल्टी बंदूक और सैनिक की हेलमेट के साथ अमर जवान ज्योति का निर्माण हुआ और इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा किया गया।
गुमनाम सैनिक को श्रद्धांजलि का प्रतीक अमर जवान ज्योति पिछले 50 वर्षों से लगातार जल रही थी। आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के एक सैनिक 24 घंटे अमर जवान ज्योति की निगरानी पर तैनात रहते थे। साधारण भारतीयों को अपने सैन्य बल के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बहुत ही भावनात्मक स्थल रहा है। डॉ. सारिका वर्मा आम आदमी पार्टी बादशाहपुर अध्यक्ष ने कहा पिछले 50 वर्षों से दो पीढ़ियों के जज्बात और यादों के प्रतीक को कल बुझा दिया गया है l 400 एम् दूर राष्ट्रीय समर स्मारक की इंटरनल फ्लेम मैं अमर जवान ज्योति का स्थानांतरण कर दिया गया। साधारण नागरिकों ने अफसोस जताया है की उनके बचपन की याद को बिना किसी विशेष वजह से खत्म कर दिया गया। महावीर वर्मा ने कहा इंडिया गेट के आसपास पिकनिक मनाना, बोट राइडिंग करना, चिल्ड्रन पार्क में खेलना और राजपथ पर आइसक्रीम खाना यह सब हमारे बचपन का हिस्सा है। अमर जवान ज्योति को जलते देख सभी अनगिनत सैनिकों का स्मरण किया जाता है जिन्होंने देश की रक्षा और आजादी के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे दी। इसे बुझाना हमारी पीढ़ी के नागरिकों के लिए बहुत दर्दनाक है। मुकेश डागर आम आदमी पार्टी अध्यक्ष जिला गुड़गांव ने कहा मोदी सरकार इतिहास बना नहीं सकती लेकिन इतिहास मिटाने का काम जरूर कर रही है।कौन सा देश है जो अपने वीर सिपाहियों के नाम दो ज्योति को ऊर्जा नहीं दे सकता? करोना महामारी के काल में घातक दूसरी लहर के दौरान जब गंगा मे लाशें बह रही थी सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट को आपातकालीन घोषित करके उसका काम जारी रखा गया l ऐसा लगता है की भारत के इतिहास को बदलने की कोशिश की जा रही है और 2014 के पहले के राष्ट्रीय चिन्हों को खत्म करने का प्रयास हो रहा है।
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