अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
गुरुग्राम: माघ पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन दान पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। माघ पूर्णिमा पर दान,हवन,व्रत और जप किए जाते हैं। श्रेष्ठ व्यक्ति के गुणों में से एक है दानी होना। दूसरों की सहायता के लिए अपनी वस्तुओं का दान करना मानवता की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जाता है। यहां तक कहा जाता है कि जब मनुष्य दान देने के योग्य ना हो, तब उसका जीवन निरर्थक हो जाता है। बड़े-बड़े धर्म-कर्म कांडों से भी अधिक महत्ता दान को दी गई है,जिसे कई तपस्या के फल के बराबर कहा गया है। अतः मनुष्य का यही कर्तव्य है कि उससे जितना बन पड़े, उतना अधिक परोपकार करना चाहिए।
इसीलिए समाजसेवी सूर्य देव ने अपने गांव नखरौला के 41 अति गरीब परिवारों को चिन्हित करके उन सभी परिवारों में से एक -एक महिला को एक-एक सूट और 50-50 रूपये माघ पूर्णिमा पर दान दिया। सूर्य देव मानते हैं कि उनके द्वारा किया गया यह दान कोई बड़ा दान नहीं है परंतु फिर भी उन्होंने इसे अखबार के माध्यम से जनता तक भेजना उचित समझा जिससे लोग दान पुण्य करने के बारे में जागरूक व प्रेरित होंवे। समय-समय पर अपनी क्षमता अनुसार दान पुण्य करते रहने से गरीब व्यक्तियों का भी समाज में गुजर बसर हो सकता है। इसलिए समय-समय पर दान-दक्षिणा देते रहना चाहिए। जिन महिलाओं को दान दिया गया.उनमें शीला यादव पत्नी रामजीवन, बाल्मीकि समाज से पार्वती,राधा,प्रीति, पूनम, चंद्रपति,बिमला, कमलेश, नीरू, लाली,सुनीता पत्नी रविंदर, प्रजापत समाज से संतोष, सरोज, सुषमा, रामा, कृष्णा, रीना, पांचाल समाज से मिश्री, सुनीता, मनीषा, सिमरन, कांता, हरिजन समाज से सावित्री, औमबती ,अनीता, बीरबती, किरन, सुरेश, कृपाली, द्रोपती, मुकेश, अशर्पी, सनेश, राजो, राजकुमारी, राजबती, बती पत्नी बिस्मबर, सुनीता व कई दूसरी महिलाएं मौजूद रही। तुलसी पंक्षी के पिए, घटे न सरिता नीर। दान दिए धन ना घटे, जो सहाय रघुबीर।।