अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: उप-मुख्यमंत्री और दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने ‘पैरेंटिग इन द टाइम ऑफ कोरोना’ का दूसरा लाइव सेशन संबोधित किया। जिसमें देशव्यापी लॉक डाउन के दौरान बच्चों के लिए घरों को अभिभावकों के सहयोग से सीखने के क्लास रूम में बदलने की विषय में चर्चा की गई।
बच्चों के लिए आयोजित लाइव सेशन में दिल्ली के शिक्षा निदेशक विनय भूषण, सुश्री भावना सावानानी जोकि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में चल रहे मिशन बुनियाद की मेंटल टीचर हैं और सुश्री नीरु पुरी जोकि हैप्पीनेस मेंटर टीचर हैं वह भी शामिल रहीं। इस संवाद में इस विषय पर चर्चा हुई कि अभिभावक किस तरह एक शिक्षक और मेंटर दोनों की भूमिका अपने बच्चों के लिए घर पर निभा सकते हैं। इस सत्र में शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि “कल से आठवीं तक के बच्चों के लिए उनके अभिभावकों की फोन पर दिल्ली के शिक्षा विभाग द्वारा रिकॉर्डिंग कॉल आनी शुरू हो जाएंगी। जिसमें यह बताया जाएगा कि वह किस तरह अपने बच्चों के लिए शिक्षक की भूमिका निभा सकते हैं? धीरे धीरे रिकॉर्डेड कॉल के जरिए विभिन्न गतिविधियां भी अभिभावकों को बताई जाएंगी जोकि उन्हें घर पर ही हैप्पीनेस क्लास और मिशन बुनियाद चलाने की प्रक्रिया समझाने से संबंधित होंगी।
शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने आगे कहा कि “हैप्पीनेस करिकुलम का उद्देश्य यह था कि बच्चे आत्मावलोकन कर सके और स्वयं को बेहतर तरीके से जान सकें। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 16 लाख बच्चे प्रतिदिन माइंड फुलनेस का अभ्यास करते हैं, आज हम दिन भर तनाव से घिरे हुए हैं। यह एक ऐसा समय है, जब हमें यह नहीं समझ में आता है कि हम किस तरह की उत्साह पूर्ण गतिविधि करें। हम बाहर जा नहीं सकते, फिल्में देख नहीं सकते, पार्क में बैठ नहीं सकते और हम परिवार के साथ घर अपने घर में बंधे हुए हैं, ऐसी परिस्थिति में यह संभव है कि एक दूसरे के साथ थोड़ी सी उलझन हो जाती हो, क्योंकि हम नहीं जानते हैं कि हम अपने दिमाग को इस परिस्थिति में किस तरह रिफ्रेश करें। ऐसे समय में हैप्पीनेस क्लासेज का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए अब हैप्पीनेस क्लासेस की गतिविधियां घर पर प्रतिदिन अभिभावकों द्वारा कराई जाएंगी। हम लगभग 8 लाख बच्चों और उनके परिवारों को मेडिटेशन कराने में कल से सहयोग करेंगे। ये एक ऐसा महत्वपूर्ण कदम साबित होगा जो कि घर पर और परिवार के माहौल को सकारात्मक बनाएगा। दिल्ली सरकार ने 11वीं से 12वीं में जाने वाली बच्चों के लिए डेढ़ घंटे रोजाना की ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था शुरू कर दी है। इसके अलावा नर्सरी से आठवीं तक के बच्चों को प्रतिदिन एस एम एस और आईवीआर कॉल के जरिए गतिविधियां दी जा रही हैं। जिनके साथ अब हैप्पीनेस की गतिविधि भी जोड़ी जाएगी। इस लॉकडाउन में खाली समय का उपयोग बच्चों के लिए घर पर एक शिक्षक के रूप में करने के विषय और उसके महत्व पर दिल्ली के शिक्षा निदेशक विनय भूषण ने कहा कि “हमने अप्रैल में मिशन बुनियाद चलाने का निर्णय लिया था। लेकिन लॉकडाउन के कारण ऐसा नहीं हो सका। ऐसे में हम अभिभावकों से निवेदन करते हैं कि वे अपने बच्चों को प्रतिदिन कुछ पढ़ने और लिखने और गणित के कुछ साधारण सवाल हल करने के लिए प्रेरित करें। यह एक बेहतरीन रास्ता है जिससे कि घर में बच्चों की बोरियत को खत्म किया जा सकता है। और साथ-साथ क्रियात्मक तरीके से शिक्षा दी जा सकती है और इस पूरी प्रक्रिया में हम अभिभावकों का सहयोग करेंगे।
इस लाइव सेशन के दौरान ही सुश्री भावना ने बच्चों और अभिभावकों को मिशन बुनियाद से जुड़ी हुई गतिविधियां आयोजित करने के लिए भी टिप्स दी। उन्होंने कहा कि “अभिभावकों के सामने जो सबसे बड़ा प्रश्न है, वह यह है कि बच्चों के पास किताबें नहीं ह, तो वह कैसे बच्चों को घर पर पढ़ाएंगे? मैं अभी अभिभावकों को कुछ गतिविधियां बताती हूं। जिससे कि वे अपने बच्चों को पढ़ाने में सहयोग कर पाएंगे, जैसे कि वे अपने बच्चों के साथ शब्दों की अंताक्षरी खेल सकते हैं। जिससे कि उनका शब्दकोश मजबूत होगा या फिर अभिभावक अपने बच्चों से उनके दिमाग में चल रही सोच पर चर्चा कर सकते हैं। यह समझने की कोशिश करें और लिखवाने की भी कोशिश करें कि बच्चा कैसा महसूस कर रहा है? इन सब गतिविधियों से बच्चों के लिखने की क्षमता बेहतर होगी। आगे उन्होंने कहा कि मिशन बुनियाद में माइंड मैपिंग की भी एक महत्वपूर्ण गतिविधि होती है। इसके अंतर्गत हम एक शब्द का चयन करते हैं। मान लीजिए वह ‘बाजार’ है तो अब बच्चों को बाजार से जुड़े हुए जो भी शब्द अपने दिमाग में आते हैं वह बताने हैं और उनसे जुड़े हुए वाक्य बनाने हैं। इसलिए यह जरूरी नहीं है कि बच्चों के पास सीखने के लिए अपने घर पर किताबें हों। मिशन बुनियाद का मूल उद्देश्य बच्चों की आधारभूत क्षमता को बढ़ाना है।जिससे कि वे सामान्य गतिविधियां कर सकें और इन गतिविधियों के सहारे भी कुछ सीख सकें। माइंड फुलनेस सेशन के बारे में बात करते हुए सुश्री नीरु पुरी जोकि हैप्पीनेस की मेंटर टीचर हैं। उन्होंने बताया कि हमने 2 साल पहले हैप्पीनेस करिकुलम की शुरुआत की थी, जिसका फल आज हमें मिल रहा है। इस संकट के दौर में पैरेन्ट्स पहले हमेशा यह शिकायत करते थे कि बच्चे अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं केंद्रित कर पा रहे हैं। लेकिन हमने उन्हें यह सिखा दिया है कि वह ऐसा कैसे कर सकते हैं। यह हम सभी के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है। अब हमें आगे बढ़ते हुए बच्चों के अभिभावकों के साथ कुछ ऐसी गतिविधियां साझा करनी होगी जिससे कि वह घर पर ही हैप्पीनेस क्लासेस आयोजित कर सकें।