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फरीदाबाद हरियाणा

हरियाणा: फर्जी बिक्री जैसे हस्तांतरणों पर रोक लगाकर संपत्ति मालिकों के अधिकारों की रक्षा करने के नियमों में किया संशोधित

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़:हरियाणा सरकार ने फर्जी बिक्री जैसे हस्तांतरणों पर रोक लगाकर संपत्ति मालिकों के अधिकारों की रक्षा करने के मद्देनजर हरियाणा पंजीकरण मैनुअल में पैरा 159-ए जोडक़र उसे संशोधित करते हुए 23 दिसंबर,2020 को एक अधिसूचना जारी की है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं वित्तायुक्त संजीव कौशल ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि यह संशोधन यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि वैध व्यक्तियों को फर्जी तरीके से की गई बिक्री डीड रद्द करवाने के लिए कानूनी सहारा न लेना पड़े और वे अपनी संपत्ति पर अधिकार बनाए रख सकें। उन्होंने कहा कि यह संशोधन पंजीकरण अधिकारियों को ऐसे व्यक्ति, जो संपत्ति को हस्तांतरित करने के हकदार नहीं हैं, द्वारा पहले फर्जी तरीके से दर्ज की गई बिक्री डीड्स को रद्द करने वाली निरस्तीकरण डीड्स को स्वीकार एवं पंजीकृत करने का अधिकार देगा।

यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति के पास संपत्ति में कोई अधिकार है और कोई अन्य व्यक्ति उसकी सहमति के बिना उसे हस्तांतरित करता है तो वास्तविक मालिक का उस संपत्ति में अधिकार बना रहेगा और इस तरह के टाइटल पर हस्तांतरण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। संशोधन के अनुसार, यदि कोई दस्तावेज किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा दर्ज किया गया है जिसे ऐसे दस्तावेज प्रस्तुत करने का अधिकार नहीं है तो दस्तावेज के तहत दावा करने वाला कोई भी व्यक्ति ऐसी जानकारी प्राप्त होने की तिथि से चार महीने के भीतर ऐसे दस्तावेज प्रस्तुत कर सकता है जो यह बताते हों कि मामले में वे दस्तावेज अमान्य हैं। पंजीकृत अधिकारी पंजीकरण अधिनियम, 1908 के तहत उचित प्रक्रिया का अनुपालन करने उपरांत दस्तावेज अर्थात निरस्तीकरण डीड को फिर से ऐसे ही पंजीकृत कर सकता है, जैसे कि उसका पहले पंजीकरण नहीं किया गया हो। यदि बिक्री, उपहार, रेहन, विनिमय, पट्टे या अन्यथा के माध्यम से हस्तांतरण से संबंधित दस्तावेज, पंजाब सांझा भूमि(विनियमन)अधिनियम,1961 या हरियाणा नगरपालिका अधिनियम ,1973 और हरियाणा नगर निगम अधिनियम,1994 के तहत नगर निगमों सहित नगर पालिकाओं में पंचायत देह में निहित ‘शामलात देह’ भूमि के रूप में पंजीकृत या मानी जाती है तो खंड विकास पंचायत अधिकारी, सचिव या कार्यकारी अधिकारी या आयुक्त, नगर निगम या जिला नगर आयुक्त द्वारा उपायुक्त या अन्य वरिष्ठ प्राधिकारी के अनुमोदन प्राप्त करने उपरांत निरस्तीकरण डीड को पंजीकृत किया जाएगा। लागू होने पर यह मानदंड संबंधित प्राधिकारी या अदालत द्वारा संबंधित कानून के तहत स्थगित किए बिना अवैध रूप से विभाजित और अतीत में ‘शामलात देह’ की भूमि पर लागू होगा।

इसके अलावा, ऐसी कई परिस्थितियां हो सकती हैं, जब निष्पादित करने वाला व्यक्ति स्वयं की वकालत पंजीकरण अधिकारी के सामने करता है और पहले के दस्तावेज को रद्द करवाने की इच्छा व्यक्त करता है। ऐसे मामलों में पंजीकरण अधिकारी पहले के पंजीकरण को पूरी तरह से अनदेखा करते हुए पंजीकरण अधिनियम,1908 की धारा 23 ए के तहत दस्तावेज को रद्द कर सकता है अर्थात, फिर से पंजीकरण कर सकता है।संशोधन में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारतीय स्टाम्प अधिनियम,1899 और भारतीय स्टाम्प(हरियाणा संशोधन)अधिनियम, 2018 की अनुसूची 1क, अनुच्छेद 17, जैसे हरियाणा पर लागू हैं, के अनुसार 500 रुपये की स्टाम्प फीस के साथ निरस्तीकरण डीड को कानून में एक कानूनी दस्तावेज के रूप में मान्यता प्राप्त है और अचल संपत्ति के हस्तांतरण के लिए लेनदेन कोई अपवाद नहीं है।  

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