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हरियाणा

हरियाणा बजट: सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में वर्ष 2014 से वर्ष 2019 के बीच 19,318 किलोमीटर लम्बी सडक़ों का सुधार किया है।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि राज्य सरकार ने सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में समान और निष्पक्ष सुधार के लिए सडक़ रख रखाव नीति-2016 बनाई है। इसके अतिरिक्त, सडक़ प्रयोक्ताओं की सुविधा के लिए सरकार ने वर्ष 2014 से वर्ष 2019 के बीच 19,318 किलोमीटर लम्बी सडक़ों का सुधार किया है, जिसमें से 4,635 किलोमीटर लम्बी सडक़ों को चौड़ा किया गया है। मुख्यमंत्री ने आज यहां हरियाणा विधान सभा के बजट सत्र के दौरान बतौर वित्त मंत्री राज्य का वर्ष 2020-21 का बजट प्रस्तुत करते हुए यह जानकारी दी। वर्ष 2020-21 में लोक निर्माण (भवन एवं सडक़ें) विभाग के लिए 3541.32 करोड़ रुपये का बजट प्रस्ताव किया गया है। 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना-॥। के तहत वर्ष 2020-21 के दौरान लगभग 1000 किलोमीटर सडक़ों का सुधार होने की आशा है। वर्ष 2019-20 में नाबार्ड स्कीम के तहत 138.33 करोड़ रुपये की राशि की 40 परियोजनाएं स्वीकृत हुई। वर्ष 2020-21 में 232.76 करोड़ रुपये की लागत से 81 सडक़ों का सुधार करने का एक प्रस्ताव नाबार्ड को भेजा गया है। राज्य सरकार की पहल पर, पांच परियोजनाएं नामत: भिवानी से चरखी दादरी तक राष्ट्रीय राजमार्ग-148बी को चार मार्गी बनाने और भिवानी बाईपास समेत खरक से भिवानी तक राष्ट्रीय राजमार्ग-709ई को चार मार्गी बनाने, पिंजौर-बद्दी-नालागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग-21ए पर पिंजौर में बाईपास, कैथल से अम्बाला तक राष्ट्रीय राजमार्ग-65 को चार मार्गी बनाने, पंजाब सीमा से जींद वाया नरवाना राष्ट्रीय राजमार्ग-71 को चार मार्गी बनाने और  पंचकूला से यमुनानगर तक राष्ट्रीय राजमार्ग-73 को चार मार्गी बनाने की भारत सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। इन सभी परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है। भारत सरकार ने नवम्बर 2014 से हरियाणा के लिए 17 नये राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित किये हैं, जिनकी कुल लम्बाई 1069.82 किलोमीटर है। इनमें दो मुख्य ग्रीन फील्ड कॉरिडोर नामत: इस्माइलाबाद से नारनौल (राष्ट्रीय राजमार्ग-152डी) और सोहना-वडोदरा (राष्ट्रीय राजमार्ग-148एन) शामिल हैं। इनके निर्माण का कार्य आवंटित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विस्तार और राज्य के रेल सुविधाओं से वंचित क्षेत्रों में रेल कनैक्टिविटी के लिए हरियाणा सरकार ने रेल मंत्रालय के साथ मिलकर एक संयुक्त उद्यम कम्पनी, हरियाणा रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एच.आर.आई.डी.सी) का गठन किया है एच.आर. आई.डी.सी. ने राज्य में कई महत्वपूर्ण रेल  इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं शुरू की हैं। 5600 करोड़ रुपये की लागत से, हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर परियोजना रेलवे मंत्रालय द्वारा स्वीकृत की गई है। इसके अतिरिक्त, 150 किलोमीटर लम्बी जींद-हांसी नई रेलवे लाइन और 61 किलोमीटर लम्बी करनाल-यमुनानगर नई रेलवे लाइनों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को भी अंतिम रूप देकर रेलवे मंत्रालय को भेजा गया है। उन्होंने कहा कि इन सभी परियोजनाओं की शीघ्र स्वीकृतियों के लिए वे केन्द्रीय मंत्री (सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय) से मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य में रेल के सम्पूर्ण विकास के लिए हमारी सरकार ने केन्द्रीय रेल मंत्रालय से निरंतर अनुरोध किया है, जिसके कारण 2020-21 के केन्द्रीय बजट में कई परियोजनाएं शामिल की गई हैं। 



मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि इसके अतिरिक्त, कैथल शहर में लगभग 4.5 कि.मी. लम्बी एलिवेटेड रेलवे लाइन की परियोजना तैयार की गई है जिसे स्वीकृति के लिए रेल मंत्रालय को शीघ्र प्रस्ताव भेजा जायेगा। इस परियोजना से कैथल शहर तीन रेलवे क्रॉसिंग (देवीगढ़ रोड, करनाल रोड, पुराने अम्बाला-हिसार बाईपास) से मुक्त हो जाएगा, जिससे यातायात का संचालन सुचारू रूप से होगा। इसीप्रकार, जींद शहर की चारों रेलवे लाइनों (जींद-पानीपत, जींद-रोहतक, जींद-सोनीपत, प्रस्तावित जींद-हांसी) को आपस में जोडक़र पाण्डु पिंडारा के पास एक नया जंक्षन बनाने का अध्ययन किया जा रहा है। इस परियोजना से जींद शहर में यातायात का सुगम संचालन होगा। उन्होंने कहा कि जनता की भारी मांग को देखते हुए इन सभी परियोजनाओं को शीघ्र शुरू करने के लिए भी वे केन्द्रीय रेल मंत्री से दिल्ली जाकर व्यक्तिगत मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा कि इस मुलाकात के दौरान वे कलानौर और गोहाना रेलवे स्टेशन पर हिसार से हरिद्वार जाने वाली ट्रेन के ठहराव के लिए तथा बवानीखेड़ा में किसान एक्सप्रैस (बठिंडा-दिल्ली ट्रेन) के ठहराव के लिए भी अनुग्रह करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 1966 से 2014 तक हरियाणा में 64 आर.ओ.बी/आर.यू.बी. का निर्माण किया गया था जबकि वर्ष 2014 से 2019 तक 83 आर.ओ.बी./आर.यू.बी. का काम शुरू हुआ, जिनमें से 43 आर.ओ.बी./आर.यू.बी. का निर्माण पूरा किया गया है तथा 40 आर.ओ.बी/आर.यू.बी. का कार्य प्रगति पर है। राष्ट्रीय राजमार्गों को रेलवे क्रॉसिंग मुक्त करने के लिए ‘सेतु भारतम्’ परियोजना के अंतर्गत छ: आर.ओ.बी. का निर्माण किया जा रहा है और शेष दो आर.ओ.बी. को भी निकट भविष्य में बनवा दिया जाएगा। हरियाणा सरकार वर्ष 2020-21 से एक विशेष कार्यक्रम के तहत, सभी राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों, मुख्य जिला सडक़ों पर स्थित रेलवे क्रॉसिंग की जगह रोड ओवर ब्रिज/रोड अंडर ब्रिज का निर्माण करेगी। सरकार द्वारा 10 विभिन्न शहरों के बाईपास के निर्माण के लिए 905.67 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है। ये बाईपास टोहाना, कोसली, हथीन, पुन्हाना, पिंगवाना, छुछकवास, बहादुरगढ़, गोहाना, उचाना और सोनीपत शहर में प्रस्तावित हैं। इनके अलावा, पिंजौर और भिवानी शहर के लिए बाईपास का कार्य प्रगति पर है तथा वर्ष 2020 में ही कार्य पूरा होने की संभावना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 से 2019 तक 538.36 कि.मी. लम्बी 259 नई सडक़ों का निर्माण 437.93 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2019-20 में 438 कि.मी. लम्बी 182 नई सडक़ों का निर्माण 382.29 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। 1130 करोड़ रुपये की लागत से 1566 कि.मी. लम्बे छ: करम या इससे अधिक चौड़े सभी 530 कच्चे रास्तों को पक्की सडक़ में बदलने का कार्य समयबद्ध तरीके से किया जाएगा। इसके उपरांत कोई भी छ: करम या उससे अधिक चौड़ा कच्चा रास्ता सम्पूर्ण हरियाणा राज्य में नहीं बचेगा। इसके अतिरिक्त, पूरे प्रदेश में पाँच करम के सभी रास्ते, जोकि एक गांव को दूसरे गांव से जोड़ते हैं, उन्हें पक्का किया जाएगा। सरकार ने समयबद्ध तरीके से मरम्मत सुनिश्चित करने के लिए ‘स्टेट ऑफ आर्ट’ जेटपैचर मशीनों के माध्यम से पैच और गड््ढों की मरम्मत का कार्य आवंटित किया है। सडक़ों पर गड््ढ़ों की सूचना विभाग के अधिकारी तथा आम जनता द्वारा ‘हरपथ एप‘ पर अपलोड की जा रही है तथा ठेकेदार द्वारा 96 घण्टों में गड््ढे की मरम्मत की जानी है। इस समय-सीमा में मरम्मत न किए जाने पर ठेकेदार पर 1000 रुपये प्रति गड््ढा प्रतिदिन के स्वत: जुर्माने का प्रावधान है। अगर शिकायत 96 घण्टे में दूर नहीं की जाती है तो इस जुर्माने की राशि में से उसी शिकायतकर्ता को 100 रुपये प्रोत्साहन राशि देने की योजना को पहली अप्रैल, 2020 से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सडक़ वाहनों की सुरक्षा के लिए विद्युत लाइनों को ऊँचा करना बहुत आवश्यक है। लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिये जा चुके हैं कि सडक़ों पर से गुजरने वाली उन विद्युत लाइनों का सर्वेक्षण किया जाए जिनकी ऊँचाई सडक़ से 6.5 मीटर से कम है। सभी सरकारी विभागों/बोर्डों/निगमों की सडक़ों का सर्वेक्षण किया जाएगा। अगले तीन महीनों में सर्वेक्षण करने के उपरान्त प्रदेश की हर सडक़ पर विद्युत लाइनों को ऊँचा करने का कार्य बिजली विभाग द्वारा अगले छ: महीनों में पूरा किया जाएगा। 

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