नई दिल्ली / अजीत सिन्हा
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन बहुत महत्व रखता है, इसलिए क्योंकि जो देशभर का किसान आंदोलन चल रहा है, हमारी राजधानी दिल्ली के चारों ओर जिस तरह से किसान लोग शांतिपूर्वक बैठे हैं, अपनी मांगों को लेकर और राजनीतिक रुप से कांग्रेस पार्टी ने और दूसरी विपक्ष की पार्टियों ने कृषि मुद्दों को उठाया है, जबसे ये तीन काले कानून बने या उससे पहले अध्यादेश लाए गए। इन की असलियत आप सबके सामने रखी गई, बार-बार रखी गई, कांग्रेस पार्टी द्वारा, विपक्ष द्वारा और किसान संगठनों द्वारा। नई बात नहीं है। 7 बार केन्द्र सरकार ने किसान संगठनों को बुलाया डायलॉग के लिए। आज फिर, आज 30 तारीख है। नया साल आने वाला है, कड़ाके की ठंड पड़ रही है, लेकिन ऐसा लगता है कि केन्द्र सरकार केवल किसानों को उलझाए हुए है, अपने हठ में। जहाँ ये तक कह दिया जाए कि झुकने वाले नहीं हैं, तो इस चीज को जो प्रेस्टीज प्वाइंट बना लें तो वो कैसे आगे बढ़ सकते हैं। क्या आगे बढ़ने का केवल दिखावा और ढोंग चल रहा है? नया साल आ रहा है, हमारी मांग भी है और हमारा सरकार से अनुरोध भी है, केन्द्रीय सरकार से कि राजहठ छोड़ें, लोकतंत्र में आम लोगों की, किसानों की, मजदूरों की बात सुनें। 62 करोड़ किसान जो कृषि पर आधारित है, किसान मजदूर, जिसकी आजीविका उस पर आधारित है और देशभर की 139 करोड़ जनसंख्या उन पर निर्भर है। देश की अर्थव्यवस्था हमारे कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। हमारी अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई है, तो क्या ये राजहठ उचित है?
बात ये है, मूल बात यही है कि आज एक बार फिर आपने किसानों को बुलाया है। हम उम्मीद करेंगे,हम आग्रह करेंगे, हम मांग कर रहे हैं कि सरकार को अपना हठ छोड़ना चाहिए, किसानों की बात को, हमारी बात को मानना चाहिए। तीनों काले कानून पहले खत्म करें और उसके बाद नए सिरे से एक नई शुरुआत नए साल में करें। देश को सौगात दें, किसान, मजदूर को नए साल की सौगात दें। 2020 अच्छा साल नहीं रहा है, किसी भी प्रकार से, चाहे अर्थव्यवस्था की बात करें,चाहे कोरोना की बात करें,चाहे हमारे अन्नदाता और मजदूर की बात करें। नई शुरुआत करने का मौका है इस सरकार के पास। अपना हठ छोड़कर आगे बढ़ें। जो आप हाथ आगे बढ़ाने का ढोंग कर रहे हैं, आप असलियत में आगे बढ़िए, अन्नदाता को गले लगाईए और इस देश को एक नई सौगात दीजिए। बहुत सी बातें इस सरकार ने कहीं हैं कि हम ये करने को तैयार हैं, वो करने को तैयार हैं। कभी हमारे ऊपर लांछन लगाए जाते हैं कि ये तो कांग्रेस पार्टी गुमराह कर रही है। अलग-अलग जगह जो भी बात,मैं हरियाणा के बारे में आपको कहना चाहूंगी कि हमारा किसान, हमारा मजदूर आज इतना ज्यादा ऐजीटेटिड है, दुखी है, सड़कों पर है, जगह-जगह पर,ना केवल दिल्ली के आस-पास, लेकिन हरियाणा भर में जगह-जगह पर हमारा किसान और मजदूर बैठा हुआ है। हड़ताल कर रहा है, अपनी आवाज सुना रहा है, लोग उनके साथ जुड़े हुए हैं। सारा देश उनके साथ जुड़ा हुआ है।
भारतीय जनता पार्टी सरकार का प्रोपेगेंडा कुछ भी हो, लेकिन आज के दिन जो भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, वो लोगों में अपना मत खो चुकी है। हमारे यहाँ अकेले हरियाणा प्रदेश से 10 से ज्यादा किसान अपनी जान दे चुके हैं। सरकार को आगे बढ़ना चाहिए, उनके परिवारों को मुआवजा दें, नौकरी की बात करें। किसानों को आप दिखाईए कि किसान भी आपका हिस्सा है, हमारा हिस्सा हैं। हरियाणा की सरकार एकदम इस बात में पीछे हट चुकी है। कायदे से हमारे मुख्यमंत्री को क्योंकि हरियाणा कृषि बाहुल्य प्रदेश है, हमारे मुख्यमंत्री को डेलिगेशन ले जाकर प्रधानमंत्री से मिलना चाहिए था। हरियाणा के किसान, मजदूर की पीड़ा को प्रधानमंत्री जी को बताते, कोशिश करते उनको समझाने की, क्योंकि दिल्ली में बैठे इनको सारी बातें नीचे की नजर नहीं आती हैं, बहुत ऊंचा बैठे हैं, जमीन की बात नजर नहीं आती है। तो मुख्यमंत्री जी को जाना चाहिए था प्रधानमंत्री के सामने। हरियाणा के किसान, मजदूर की पीड़ा उनको सुनानी चाहिए थी। आप देखते हैं कि हरियाणा में कितने विधायक है, चाहे रुलिंग पार्टी के हो, रुलिंग पार्टी के सपोर्टिंग पार्टी के हों, निर्दलीय हों, कितने लोग आज के दिन समय-समय पर अपने आपको किसानों के साथ जुड़ता हुआ दिखा रहे हैं, लेकिन ये सरकार उनकी भी नहीं सुन रही है।
तो सरकार को तो आप देखते हैं कि कार्यशैली, जो एक तानाशाह सरकार होती है, जो हर बार कोई ना कोई फरमान जारी कर देती है, बिना लोगों से बात किए। इसमें कोई शर्म नहीं होनी चाहिए। कोई प्रेस्टिज प्वाइंट, कोई ईगो नहीं होना चाहिए। देश की बात है, अन्नदाता,मजदूर की बात है, लोकतंत्र में लोगों की बात सर्वोपरी होनी चाहिए और उसके लिए सरकार को, बात झुकने की नहीं है, बात जिद्द छोड़ने की है। किसानों को गले लगाने की बात है, आगे आना चाहिए, वो आने वाला समय है। जैसा कि बार-बार कहा गया है, राहुल गांधी जी ने बार-बार कहा है, ये जो कॉर्पोरेट को ये गले लगाते है, किसान और मजदूरों के वनिस्पत, ये देश की अर्थव्यवस्था के लिए कोई अच्छी बात नहीं है कि कुछ लोगों को तो आप फायदा दें और जो किसान है हमारा! धीरे-धीरे आगे क्या होगा- क्या नजर आ रहा है। आप मंडियां खत्म कर रहे हैं, प्रिक्योरमेंट कैसी होगी, जो हमारा गरीब इंसान है, उस तक आप राशन, अनाज, आटा कैसे पहुंचाएंगे, प्रिक्योरमेंट आप करेंगे नहीं, मंडियां खत्म हो जाएंगी। बड़े-बड़े कॉर्पोरेट हैं, उनके दफ्तर खुल जाएंगे, चाहे उनकी मिल हों, चाहे कहीं हों, तो उनको रेगुलेट कौन करेगा कि किसान को क्या हो रहा है। हाँ, जहाँ तक कॉर्पोरेटाइजेशन की बात है, that is to regulation, रेगुलेशन होगा, जीएसटी है, टैक्स है, ये टेढ़ा रास्ता है। आप देखेंगे कि पीछे के रास्ते से आगे ये टैक्स का बर्डन किसान तक भी पहुंच जाएगा। आगे-आगे कॉर्पोरेटाइजेशन