अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: हरियाणा सरकार द्वारा राज्य में बाढ़ नियंत्रण उपायों को और मजबूत करने के उद्देश्य से 604 नई बाढ़ नियंत्रण योजनाओं को सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति प्रदान की गई। कुल 1,205.89 करोड़ रुपये के बजट वाली इन योजनाओं को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में सोमवार को यहां आयोजित हरियाणा राज्य सूखा राहत और बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की 55वीं बैठक के दौरान स्वीकृति प्रदान की गई। इनमें से अधिकांश योजनाएं मुख्य रूप से आबादी की सुरक्षा, कृषि भूमि की सुरक्षा, बाढ़ पानी निकासी की मशीनरी की खरीद, कृषि भूमि का सुधार, पानी का संरक्षण और पुनः उपयोग तथा नदी नालों के सुचारू प्रवाह के लिए संरचनाओं के नवीकरण या पुनर्निर्माण पर केंद्रित हैं। बैठक में उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चैाटाला और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल भी मौजूद रहे।
स्वीकृत नई बाढ़ योजनाओं में यमुनानगर के लिए 77, सोनीपत के लिए 42, झज्जर के लिए 67, रोहतक के लिए 36, अंबाला के लिए 53, कैथल के लिए 43, कुरूक्षेत्र के लिए 31, हिसार के लिए 16, चरखी दादरी के लिए 22, फतेहाबाद के लिए 27, करनाल के लिए 20, जींद के लिए 28, पानीपत के लिए 17, भिवानी के लिए 15, नूंह के लिए 18, महेंद्रगढ़ और फरीदाबाद के लिए 5-5, पलवल के लिए 14, पंचकूला के लिए 42, सिरसा के लिए 10 और रेवाड़ी और गुरुग्राम के लिए 3-3 योजनाएं शामिल हैं। बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री ने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया कि वे बाढ़ के खतरे को कम करने हेतु बांध निर्माण के लिए अपने-अपने जिलों के स्थानीय लोगों से मांग पत्र लें। इस संबंध में पंचायत का प्रस्ताव संबंंिधत मंडल आयुक्त के माध्यम से मुख्यालय में भेजने का भी निर्देश दिया। नहरों, नदियों या नालों से गाद निकालने के संबंध में, मुख्यमंत्री ने कितनी गहराई पर गाद या रेत निकालने का काम किया जाना चाहिए, इसके लिए एक निर्धारित मानक स्थापित करने का सुझाव दिया। एक निर्दिष्ट गहराई तक गाद निकालने की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग की होगी, यदि गाद का स्तर उस बिंदु से नीचे है तो खनन विभाग इसकी जिम्मेदारी लेगा। इसके अलावा, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विभाग मानसून के मौसम के दौरान बाढ़ को रोकने के लिए नहरों या नालों में न्यूनतम जल प्रवाह क्षमता निर्धारित करें। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य इन जल निकायों में गाद और जल प्रवाह के प्रबंधन में सुधार करना है।मुख्यमंत्री ने सभी उपायुक्तों को एक निर्धारित समय सीमा के भीतर सभी बाढ़ नियंत्रण योजनाओं का शीघ्र कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने जल संरक्षण को प्राथमिकता देने और वर्षा जल के पुनः उपयोग के महत्व पर भी जोर दिया। इससे न केवल बाढ़ प्रबंधन उपयों को मजबूती मिलेगी बल्कि भूजल पुनर्भरण और शुष्क क्षेत्रों में जल संसाधनों के कुशल उपयोग में भी सहयोग मिलेगा, जिससे स्थायी जल प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा मिलेगा।मुख्यमंत्री ने किसी भी प्रतिकूल स्थिति को रोकने के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि बाढ़ से जान और माल दोनों की महत्वपूर्ण क्षति हो सकती है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, हरियाणा राज्य सूखा राहत और बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठक अब साल में दो बार बुलाई जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बाढ़ से संबंधित सभी कार्यांे को पहले ही अंतिम रूप दे दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह बैठक मूल रूप से निर्धारित समय से तीन महीने पहले आयोजित की जा रही है, जो शीघ्र तैयारी और आपदा की रोकथाम के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराती है।सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के सलाहकार श्री देवेन्द्र सिंह ने राज्य में हाल की बाढ़ की स्थिति बारे में उपायों की जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार 680 गांवों की लगभग 1.95 लाख एकड़ भूमि बाढ़ के पानी से प्रभावित हुई। विभाग इस मुद्दे के समाधान के लिए स्थायी, दीर्घकालिक समाधानों की पहचान करने और उन्हें लागू करने की दिशा में कार्य कर रहा है। संपत्ति और जीवन के नुकसान को कम करने के लिए, विभिन्न योजनाएं तैयार की गई हैं, जो मुख्य रूप से आवासीय क्षेत्रों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
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