अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: हरियाणा पुलिस ने साल 2020 में कुख्यात व जघन्य अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए 293 मोस्टवांटेड अपराधियों को गिरफ्तार कर उनके अंजाम तक पहुंचाया है। पुलिस महानिदेशक मनोज यादव ने आज यहां यह खुलासा करते हुए बताया कि काबू किए गए ये सभी अपराधी न केवल हत्या, हत्या का प्रयास, जबरन वसूली, लूट, डकैती जैसी जघन्य वारदातों के आरोपी थे, बल्कि उनकी गिरफ्तारी पर 5000 रुपये से लेकर 2.50 लाख रुपये तक का इनाम भी था।
डीजीपी ने बताया कि क्राइम रफतार पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश में साल भर की गई कार्रवाई के दौरान पुलिस ने 3653 उद्घोषित अपराधियों (पीओ) और 3183 बेल जंपर्स को भी गिरफ्तार किया है। इनमें से 537 पीओ और 557 बेल जंपर्स को राज्य अपराध शाखा द्वारा गिरफ्तार किए गया तथा बाकी को फील्ड इकाइयों द्वारा दबोचा गया। इनमें से कई लंबे समय से फरार थे।
“आर्म एक्ट के तहत भी बड़ी कार्रवाई”
यादव ने बताया कि पुलिस द्वारा गत वर्ष कोविड महामारी के बावजूद अवैध हथियारों के नियंत्रण पर विशेष जोर देते हुए शस्त्र अधिनियम के तहत 21 82 मामले दर्ज किए गए, जो 2019 की तुलना में 9.26 फीसदी अधिक हैं। काबू किए गए आरोपियों से 1637 पिस्तौल, 52 रिवाल्वर, 2947 कारतूस और 88 चाकू बरामद किए गए। उन्होंने कहा कि क्राइम पर रोक लगाने के लिए हमारी रणनीति बहुत ही स्पष्ट है और किसी भी तरह के आपराधिक तत्व या आदतन अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा। गिरफ्तारी के जिलेवार आंकड़ों का ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा कि मेवात से सर्वाधिक 53 मोस्टवांटेड अपराधी गिरफ्तार किए गए। इसी प्रकार गुरुग्राम से 34, सोनीपत से 32, पलवल से 31, झज्जर से 28 और फरीदाबाद तथा रोहतक से 18-18 मोस्ट वांटेड बदमाशों को काबू कर उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाया गया। यादव ने कहा कि अपराध जगत की इन बड़ी मछलियों की गिरफ्तारी के लिए विश्व सनीय सूत्र प्रदान करने वाले मुखबिरों को 31 लाख 70 हजार रुपये की इनाम राशि दी गई। संगठित अपराध से निपटने के लिए गठित हमारी स्पेशल टास्क फोर्स ने भी ऐसे बदमाशों को काबू करने में सराहनीय योगदान दिया।
“डीजीपी की क्रिमीनल्स को चेतावनी”
डीजीपी ने अपराधियों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि प्रदेश में अपराध के लिए कोई जगह नहीं है। अपराधी जगत में सक्रिय या तो प्रदेश छोड़ दें या मुख्यधारा में शामिल हो जाएं। एसटीएफ के अतिरिक्त, सभी पुलिस आयुक्तों और जिला पुलिस अधीक्षकों को पहले से ही स्पष्ट रूप से कट्टर अपराधियों, संगठित गिरोह और किसी भी प्रकार के असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।