अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
पंचकूला:किसी भी परिवार के लिए उनके बच्चे उनकी खुशियां होते है और अगर किसी के बच्चे खो जाए तो उनके माँ बाप की स्थिति का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता है। देश में रोज़ाना ऐसा कई मामले आते रहते है, जिनमें कई बार परिवार को ढूंढ लिया जाता है और कई बार कई कई साल तक बच्चे बिना परिवार आश्रमों में रहने के लिए मजबूर है। कई केस में तो बच्चे को विदेश में गोद दे दिया जाता है तो ऐसे मामलों में बच्चे को वापस लाना और भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे ही एक केस में हरियाणा पुलिस की प्रमुख जांच एजेंसी, स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने सफलतापूर्वक एक ऐसे ही केस में दिल्ली से लापता बेटी को उत्तर प्रदेश में ढूंढ निकाला। काबिले गौर है की लापता बेटी को इटली के एक परिवार ने गोद लेना था और उसके लिए प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग पंचकूला यूनिट ने मात्र 6 दिन में दिल्ली से 2 वर्ष से लापता बेटी को उत्तर प्रदेश से ढूंढने में सफलता हासिल की है। एएचटीयू पंचकूला यूनिट को प्राप्त शिकायत में दिल्ली निवासी शकील अहमद ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पंचकूला से संपर्क किया और बताया कि मेरी नाबालिग बेटी जिसकी उम्र सिर्फ 5 वर्ष थी, 2021 के मार्च महीने में दिल्ली से लापता हो गई थी। पिता ने इस संबंध में शिकायत दिल्ली के जगतपुरी के नज़दीकी थाने भी में दर्ज भी करवाई थी। लेकिन 2 साल बीतने के बाद भी उसकी बेटी का कोई पता नहीं चल पाया था। पिता ने बताया उसने दिल्ली उत्तर प्रदेश के आस-पास का कोई भी जगह नहीं छोड़ी है और लगभग 50,000 रूपए भी खर्च कर चुका था। स्टेट क्राइम ब्रांच में शिकायत प्राप्त होने के बाद केस की ज़िम्मेदारी एएसआई राजेश कुमार को सौंपी गई। केस की संजीदगी समझते हुए एएसआई राजेश कुमार ने शकील अहमद से जानकारी प्राप्त की तो पता चला कि बेटी अपनी माँ के साथ जाते हुए गुम हो गई थी। इसी बात को आधार बनाते हुए एएसआई राजेश कुमार ने दिल्ली के आस पास के सभी निजी आश्रमों में फोटो लेकर संपर्क करना शुरू किया। इसके अलावा सभी आश्रमों के संचालकों से फ़ोन पर संपर्क कर नाबालिग के बारे में जानकारी लेनी शुरू की। इसी दौरान , घरौंडा चिल्ड्रन होम जिला गाजियाबाद उत्तर प्रदेश में बातचीत की गई तो फोटो के आधार पर ए एस आई राजेश कुमार ने बेटी को वहां पर ट्रेस किया। आश्रम संचालक ने जानकारी दी की पिछले 2 साल में बेटी ने कभी आश्रम में अपना नाम नहीं बताया था और प्यार से सब वहां उसे मछली बोलते थे।पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि नाबालिग बेटी को गाज़ियाबाद पुलिस द्वारा रेस्क्यू किया था और निजी आश्रम में सुरक्षित पहुँचाया गया था। बातचीत में पता चला कि बेटी थोड़ी सी मानसिक बीमार थी, जिसके कारण वह किसी से बातचीत भी नहीं करती थी ।नाबालिग का नाम आश्रम में मछली रखा गया था। नाबालिग के परिवार की किसी प्रकार की जानकारी न मिलने के कारण गोद लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। पहले नाबालिग को गोद लेने के लिए चेन्नई के एक परिवार ने इच्छा जताई थी लेकिन किसी कारणों से बात नहीं बन सकी। वहीँ अब नाबालिग बेटी को गोद लेने के लिए इटली के एक परिवार ने क़ानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी थी और 15 दिन के भीतर ही बेटी को इटली चले जाना था। अगर थोड़ा सा भी समय और लग जाता तो नाबालिग इटली चली जाती और शायद फिर उसे ढूँढना नामुमकिन हो जाता। लेकिन उससे पहले ही प्रदेश पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने बच्ची का पता लगा लिया और उसे उसके पिता को सकुशल सौंप दिया। विदित है कि मात्र 6 दिन में एएचटीयू पंचकूला यूनिट में कार्यरत एएसआई राजेश कुमार ने 2 साल से अधिक समय से लापता बेटी को उसके पिता से मिलवा दिया। नाबालिग बेटी को ढूंढते ही पिता के नंबर पर वीडियो कॉल करवा पहचान करवाई गई। दिल्ली निवासी शकील अहमद ने हरियाणा पुलिस का तहेदिल से धन्यवाद किया है।
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