अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: हरियाणा की बिजली वितरण कंपनियां-उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन) ने पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी) द्वारा आयोजित नौंवी डिस्कॉम्स इंटेग्रेटिड रेटिंग में देश में दूसरा स्थान हासिल किया है, पहले स्थान पर गुजरात की बिजली वितरण कंपनियां रही हैं। पीएफसी देश की बिजली वितरण कंपनियों के कार्य का मूल्यांकन करती है, इसमें डीएचबीवीएन को ए-प्लस तथा यूएचबीवीएन को ए ग्रेड मिला है। देशभर की 41 बिजली वितरण कंपनियों की वित्त वर्ष 2019-20 के परर्फोमेंस के आधार पर यह रेटिंग तैयार की गई थी। महत्वपूर्ण बात यह है कि जहां 2015-16 में यूएचबीवीएन बी रेटिंग के साथ देश में 24 वें नंबर पर तथा डीएचबीवीएन भी बी रेटिंग के साथ 22 वें नंबर पर थी। लेकिन, उसके बाद से इन दोनों कंपनियों के परर्फोमेंस में निरंतर सुधार हुआ है।
गत वर्ष भी राष्ट्रीय स्तर पर की जाने वाली वार्षिक इंटेग्रेटिड रेंकिंग में जहां डीएचबीवीएन ए-प्लस रेटिंग के साथ देश में चौथे नंबर पर तथा यूएचबी वीएन ए रेटिंग के साथ सातवें पायदान पर रही थी। वहीं, शुक्रवार को जारी इस रेटिंग में डीएचबीवीएन का स्कोर ए-प्लस के साथ 80 से 100 के बीच रहा और यूएचबीवीएन का स्कोर ए ग्रेड के साथ 65 से 80 के बीच रहा है। वित्त वर्ष 2019-20 में हरियाणा की बिजली वितरण कंपनियों का समग्र तकनीकी एंव वाणिज्यिक हानि (एटीएंडसी) 17.17 प्रतिशत रहा है, जिसमें यूएचबीवीएन का 19.61 प्रतिशत तो डीएचबीवीएन का 15.41 प्रतिशत रहा है। बिजली उपभोक्ताओं को पर्याप्त एवं निर्बाध बिजली उपलब्ध कराई जा रही है, बिजली उपभोक्ताओं की समस्याओं का तुरंत प्रभाव से निवारण किया जाता है।
जानकारी के अनुसार , हरियाणा में 70 लाख 54 हजार 796 बिजली उपभोक्ता हैं, जिसमें से 32 लाख 82 हजार 824 उपभोक्ता यूएचबीवीएन के तथा 37 लाख 71 हजार 972 उपभोक्ता डीएचबीवीएन के हैं। आज हरियाणा के 75 प्रतिशत से अधिक गांवों में यानी 5287 गांवों में 24 घंटे बिजली उपलब्ध है, 5 गांव ऐसे हैं जहां 21 घंटे, 20 गांव ऐसे हैं जहां 18 घंटे और 1797 गांवों ऐसे हैं जहां 16 घंटे बिजली उपलब्ध है। यूएचबीवीएन और डीएचबीवीएन की परर्फोमेंस सुधरने के पीछे मुख्य कारण हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के इस दिशा में किए गए नये-नये प्रयोग हैं। उन्होंने अपने प्रथम कार्य काल में बिजली विभाग अपने पास रखा, पहली बार भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी की बजाए उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी को इन दोनों बिजली वितरण निगमों की कमान सौंपी , जिसके चलते एटीएंडसी लॉस घटा, बिलिंग कलेक्शन बढ़ी, इतना ही नहीं बिजली उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई, टैरिफ आर्डर और ट्रू-अप ऑर्डर जारी करने के लिए अनुकूल नियामक वातावरण भी एक मुख्य कारण रहा है। यहां यह बता दें कि पीएफसी की यह इंटेग्रेटिड रेटिंग वित्त वर्ष 2019-20 की है, उस दौरान यूएचबीवीएन एवं डीएचबीवीएन के सीएमडी शत्रुजीत कपूर थे।
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