अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे साथी पूर्व केन्द्रीय मंत्री, प्रदीप जैन ‘आदित्य’ साहब और मैं आज आपके सामने एक बहुत ही संजीदे मुद्दे को लेकर आए हैं। बहुत प्राचीन धर्म है, जैन धर्म और जो आक्रोश पूरे जैन धर्म में, पूरे देश में नहीं, पूरे विश्व में फैला हुआ है। कल भी जैन समुदाय का एक प्रतिनिधिमंडल हमारे नेता राहुल गांधी से मिला, अपना ज्ञापन भी दिया, प्रदीप जैन वहाँ थे और जो झारखंड में रघुवर दास सरकार ने सम्मेद शिखर, पारसनाथ की पहाड़ी, बहुत पवित्र मानी जाती है हमारे प्रदीप जी इस पर और रोशनी डालेंगे।
जो लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का षडयंत्र रचा गया और कोई एक उदाहरण होता, तो चलिए मान सकते थे कि गलती से हो गया। ऐसे उदाहरण आपको गुजरात में, पालीताना में वहाँ भी पूरा जैन समुदाय, भावनगर में देख लीजिए, सड़कों पर है, और बड़ा शांतिप्रिय समुदाय है। अपना आंदोलन शांति से वो कर रहे हैं। लेकिन उनकी बात सुनी जाए, उनको समर्थन दिया जाए, यह हम सबकी प्राथमिकता है, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता है। हम लोग राहुल गांधी जी के नेतृत्व में भारत जोड़ो का नारा दे रहे हैं और कैसे एक समुदाय को दूसरे से लड़वाने का काम करने वाली सरकार भारत को तोड़ने का काम कर रही है, नफरत घोलने का काम कर रही है।
आपके कई सवाल होंगे, लेकिन उससे पहले मैं चाहता हूं कि सम्मेद शिखर पर, पालीताना के शत्रुंजय पहाड़ी पर, वहाँ पर जो हो रहा है, उन सब बातों पर प्रकाश डालें, मेरे साथी प्रदीप जैन ‘आदित्य’, पूर्व केन्द्रीय मंत्री।
प्रदीप जैन ‘आदित्य’ ने कहा कि आप सभी को नव वर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मैं कांग्रेस का एक कार्यकर्ता हूं,लेकिन मैं अति अल्पसंख्यक समाज का भी एक बेटा हूं और क्योंकि जैन समाज को महत्व देने के लिए राहुल ने, श्रीमती सोनिया गांधी जी, डॉ. मनमोहन सिंह जी ने, भारत सरकार ने जब मैं पहली बार सांसद बना, तो मंत्री भी बनाया और जैन दर्शन के अनेकों वर्षों से मन में जो पीड़ा थी, हमारे चारों संप्रदायों में, दिगंबर, श्वेतांबर, तेरापंथ, स्थानकवासी और उनकी एक मांग थी कि इस अति अल्पसंख्यक समुदाय को अनेक राज्यों में माइनॉरिटी नहीं माना गया। गुजरात में भी नहीं माना गया और भारतीय जनता पार्टी की मानसिकता ही नहीं थी कि जैन को वो अल्पसंख्यक मानें और हम लोगों को यूपीए सरकार में राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक का दर्जा मिला, जिससे राज्यों में स्वत: हमारे देव शास्त्र गुरु की उपासना के लिए जो अधिकार होते हैं, वो हमें प्राप्त हुए।
आज ऐसा अहिंसक समाज जो हमेशा राष्ट्र के निर्माण में हमारी आबादी माइक्रो लेवल पर अल्पसंख्यकों में भी सबसे कम है। 0.4 प्रतिशत हमारी जनसंख्या है, लेकिन अगर हम जीडीपी में देखें, तो टैक्सेशन में हमारा 24 प्रतिशत योगदान है। साक्षरता में भी और जितने भी चैरिटेबल वर्क हैं, उसमें भी आपने देखा होगा कि जैन समुदाय आगे बढ़कर कार्य करता है। हमारा सबसे बड़ा तीर्थ, श्री सम्मेद शिखर 24 तीर्थंकर जैन समाज में उन्होंने जन्म लिया और निर्वाण प्राप्त किया। उस पवित्र पहाड़ पर आज भारतीय जनता पार्टी के कारण एक संकट छाया हुआ है और सबसे बड़ा दुर्भाग्य इस बात का है कि संकट होने के बावजूद भी ये उस पर कोई संज्ञान नहीं ले रहे हैं। इनके जो चुने हुए सांसद हैं, जो इनके प्रतिनिधि हैं, वो गिरगिट की तरह रंग बदल रहे हैं। अगर आप देखें हमारे विश्व जैन संगठन के भाई संजय जैन लगातार दिल्ली में अनशन पर थे, आमरण अनशन पर थे। जयपुर में भी आपके संज्ञान में होगा हमारे पूज्य महाराज सुखदेव सागर जी उन्होंने अन्न,जल त्याग दिया था और उनकी समाधि भी हो गई, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के किसी भी नेता के द्वारा, माननीय प्रधानमंत्री के द्वारा इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया।आज 2018 से हम चर्चा करें, ये संकट तब से शुरू हुआ। 2018 में झारखंड सरकार में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी, रघुवर दास उसके मुख्यमंत्री थे और केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। उस समय इनके मन में एक भावना आई कि इस पवित्र तीर्थ को कैसे हम षडयंत्र रचकर आर्थिक स्त्रोत का आधार बनाएं। राज्य सरकार ने एक पूरी योजना बनाई और केन्द्र सरकार ने 2 अगस्त, 2019 को एक गजट नोटिफाई किया। हम लोग जानते हैं कि जिस तरह हमारे मुस्लिम संप्रदाय में जो मक्का मदीना का महत्व है, ईसाईयों के लिए जो वैटिकन सिटी का है, हमारे हिंदू भाईयों के लिए जिस तरह से गंगा मां और चारों धामों का है, उसी तरह जैन संप्रदाय के लिए शिखर , वंदनीय- पूजनीय और एक-एक कण पवित्र है। जब इन्होंने 2 अगस्त , 2019 को ये नोटिफाई किया, उस समय इन्होंने जो 2018 का ड्राफ्ट था, एक जिम्मेदारी होती है किसी भी सरकार की, कि अगर कोई भी गजट हो रहा है, कोई भी नोटिफिकेशन हो रहा है, तो संबंधित पक्षों से उसमें वार्ता की जाती है। लेकिन जैन समाज के किसी भी व्यक्ति से ना तो इसके बारे में पूछा गया, ना उसमें आपत्ति मांगी गई और ना उनके सामने ये बात रखी गई कि हम ये करने जा रहे हैं, इसको वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के माध्यम से इको टूरिज्म के लिए इस पहाड़ी को अधिग्रहित कर रहे हैं। मैं जानना चाहता हूं कि ये सरकार, जिस सरकार को ये मालूम था, उनके मुख्यमंत्रियों, प्रधानमंत्रियों और देश के सभी को कि जैन समाज अति अल्पसंख्यक समुदाय हैं। इसको संविधान के माध्यम से और विशेष दर्जा मिला हुआ है अल्पसंख्यक का, उनसे क्यों नहीं पूछा गया। उसके बाद यही स्थिति, क्योंकि इनकी नीयत और नीति में खोट है। अगर हम गुजरात के अंदर देखें, तो गुजरात के अंदर लगातार जो वहाँ का पवित्र स्थल है, जो शत्रुंजय, जो पालीताना का पवित्र पहाड़ है, वहाँ पर भी बहुत सारी समस्याएं दिन-प्रतिदिन उत्पन्न की जाती हैं, जानबूझकर और अभी दिसंबर के माह में वहाँ दीवार गिरा दी गई और जिस तरह से उसके अंदर ये छेड़छाड़ कर रहे हैं, उससे उनकी वो मंशा साफ ज़ाहिर होती है, जो गिरनार पर्वत के ऊपर भी इन्होंने की।हमारे संत प्रबल सागर महाराज गिरनार भी हमारे तीर्थंकर नेमिनाथ की उपासना स्थली रही और वो भी एक पूज्य पहाड़ी थी। उसमें प्रबल सागर महाराज जी को चाकुओं से मारा गया। उस समय मैं भारत सरकार में मंत्री था। कांग्रेस पार्टी की तरफ से मैं जैन समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्मल सेठी और एस के जैन, हम लोग वहाँ गए, हम लोगों ने प्रयास किया। लेकिन वहाँ पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई और ये समस्या मध्य प्रदेश के अंदर भी गोलाकोट शिवपुरी के अंदर एक तीर्थ है, उधर भी इन्होंने हिंसक कृत्य करने की अनुमति दी थी। मछली पालन की, उस पर भी समाज ने बहुत ऑब्जेक्शन किया। आज पालीताना हो, सम्मेद शिखर हो, गिरनार हो, हमारे जो तीर्थ हैं, उनकी पूजा और उपासना का हक हमें बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर के संविधान से मिला है। उसमें वोटों के लालच में माइनॉरिटी बनाम मेजोरिटी का खेल करके ये सरकार लोगों को लड़ाना चाहती है। आज पूरे जैन समाज के लोग देशभर में धरने पर हैं। इनके सांसद, चाहे झारखंड से आने वाले चौधरी जी हों, पहले 2019 में इसके समर्थन में कहते हैं कि इस पहाड़ी को अधिग्रहित करके वहाँ पर ईको टूरिज्म किया जाए और जब वहाँ पर विरोध देखते हैं, तो पिछले माह वो पत्र लिखते हैं कि नहीं इसको, जो इसका स्वरूप है पवित्रतम, वो कायम किया जाए। मनोज तिवारी , जहाँ एक ओर संसद में कहते हैं कि ये झारखंड सरकार का काम है, वहीं दूसरी ओर धरना स्थल पर आकर कहते हैं कि 15 दिन के अंदर हम इसे केन्द्र सरकार से संशोधित… और उन्होंने स्वीकारा कि जब ये नोटिफिकेशन हुआ, जब ये छेड़छाड़ की गई, उस समय झारखंड के अंदर हमारी, रघुवर दास की सरकार थी। हमारे सांसद सम्मानित प्रमोद तिवारी जी ने इसको राज्यसभा में भी उठाया। हमारे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी और कमलनाथ जी ने झारखंड सरकार और केन्द्र सरकार को पत्र भी लिखा और वार्ता भी की, क्योंकि कांग्रेस हमेशा से जैन समुदाय के प्रति संवेदनशील रही।एक बार पर्यावरण वन मंत्रालय से, क्योंकि हमारे यहाँ जो दिगम्बर संत होते हैं, वो मोर पंखी लिए रहते हैं। तो मोर पंखी की पिच्छी जो अहिंसा का एक उपकरण है, उस पर रोक लग गई थी, तो 7 दिन के अंदर जैन समाज के लोगों ने जब वार्ता की, हमने उनसे संपर्क किया, सम्मानीय जयराम रमेश जी उस समय मंत्री थे, राहुल गांधी ने भी पहल की, हम गए और वो नोटिफिकेशन रद्द कर दिया। आज जिस तरह से पूरे देश के अंदर लोग भोजन छोड़कर बैठे हैं, आमरण अनशन पर बैठे हैं। हमारे यहां आप लोग जानते हैं कि अधिकांश लोग रात्रि में पानी भी नहीं पीते और जिस तरह विश्व जैन संगठन के भाई संजय जैन लगातार जब दिल्ली में और उनके साथ मातृशक्ति भी आमरण अनशन पर थी, उस समय भी आकर एक खिलवाड़ करके इस सरकार ने बताया है कि वो जैन समाज के हितों के लिए जागरुक नहीं है।श्रीमती इंदिरा गांधी कहती थीं, वो कहती थीं- इस देश का प्रत्येक व्यक्ति जैन है, और ये बात सिद्ध हुई। चाहे हमारे अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हों, बहुसंख्यक समुदाय के लोग हों और चाहे वो जन प्रतिनिधि हों, सभी ने सम्मेद शिखर की शाश्वत पवित्रता के लिए बात कही। आज कांग्रेस पार्टी पूरे देश के सामने ये लाना चाहती है कि हम पूरी तरह से जैन समाज के साथ हैं। कल हमारे नेता राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की भारत जोड़ो यात्रा में बागपत से बड़ौत गए, बड़ौत में भाई अमित राय जैन, जो उत्तर प्रदेश और उत्तरांचल के अध्यक्ष हैं, एस जैन इन लोगों ने हमारे साथ मिलकर राहुल गांधी को ज्ञापन भी दिया, क्योंकि ये समस्या केन्द्र सरकार से है।प्रदेश की सरकारों पर जो क्रियान्वयन का है, उसके लिए भी हमारे पार्टी के लोगों ने, चूंकि गठबंधन में हम उन्हें सहयोग कर रहे हैं, हम लोगों ने अपनी भावना उन्हें बताई है कि क्रियान्वयन में भी किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए, चूंकि ये नोटिफिकेशन भारत सरकार का है और मैं तो ये नहीं समझ पा रहा कि ये कौन सा मन का खेल है? मन का खेल, अगर हम अतीत में जाएं, जब हमारे प्रधानमंत्री , नरेंन्द्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, वे एक विधेयक विधानसभा में लेकर आए थे और उस विधेयक के अंदर उन्होंने जो जैन और बौद्ध हैं, उनको हिन्दुओं में शामिल करने का एक विधेयक प्रस्तुत किया था, उनकी नीयत और नीति थी कि इनको मेजोरिटी में रख लो। हमारे देव शास्त्र गुरु की उपासना, हम इस भारत देश के स्वतंत्र नागरिक हैं। हम किसी भी जाति, धर्म, संप्रदाय के हों, हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, हमें धर्म की स्वतंत्रता है, हमें उपासना की स्वतंत्रता है। तो इनके दिमाग में उस समय से ये बात थी कि जैन, पार्ट ऑफ हिन्दूज़ हैं। हिन्दुओं का हम लोग सम्मान करते हैं, हमारे 24 में से 24 तीर्थंकर, उन्होंने कर्म को आधार मानकर, एक अनादि काल से जो धर्म था, उसको प्रतिपादित किया, लेकिन हमारी चर्या, हमारी उपासना, हमारे तीर्थ अलग हैं तो हम अति अल्पसंख्यक जैन समाज के लोग हैं, हम लोग अहिंसा में पूर्ण विश्वास रखते हैं और आज आप ये देख रहे होंगे कांग्रेस को ये इसलिए कहना पड़ा कि भारतीय जनता पार्टी इसमें कोई भी कार्रवाई नहीं कर रही। अभी आपको एक चीज और बताना चाहते हैं, ये कुचलना भी चाहते हैं।गुजरात के अन्दर जब उन्होंने देखा कि अहमदाबाद में लाखों लोग सड़कों पर हैं, सूरत में हैं, मुम्बई में हैं, दिल्ली में थे, तो इन्होंने वहां पर धारा 144 लगा दी। जिस गुजरात मॉडल की बात प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी की सरकार करती है, अगर हम अपने धर्म के लिए, हम अपने अध्यात्म के लिए, अपने तीर्थों के लिए, शिखर हो, पालीताना हो, गिरनार हो, गोलाकोट हो इसके लिए अगर कोई बात कर रहा है, शांतिपूर्ण…। आपने देखा होगा जब लाखों लोग सड़कों पर थे, एक साईकिल को भी खरोंच नहीं आई कहीं पर, चूंकि हम अहिंसात्मक लोग हैं, उस पर भी 144 लगा दी और उत्तर प्रदेश के अंदर भी हमारी, अपने आपको योगी कहने वाले मुख्यमंत्री हैं, वहां भी बाराबंकी में जब शांतिपूर्ण ढंग से