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कांग्रेस सांसद गौरव गोगई व प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आज आयोजित संयुक्त प्रेस वार्ता में क्या कहा सुने लाइव वीडियो में


अजीत सिन्हा/ नई दिल्ली
पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि नमस्कार साथियों। बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे पर आज मेरे साथी, सांसद, गौरव गोगोई जी और मैं आपके सामने हैं। देश के लिए बहुत गंभीर मुद्दा है। मैं आग्रह करूंगा पहले गौरव गोगोई साहब से कि वो विषय पर अपना कुछ प्रकाश डालें और उसके बाद मैं आपसे मुखातिब होऊंगा।

गौरव गोगोई ने कहा- अभी-अभी मैं पार्लियामेंट से आया हूं, जहाँ पर हमारे रक्षा मंत्री ने सरकार का पक्ष रखा, लेकिन बिना कोई सवाल लिए वो वहाँ से चल पड़े और सरकार को जिस प्रकार से देश के सामने इस महत्वपूर्ण घटना पर जो विवरण देना चाहिए था, उस जिम्मेदारी से वो भाग गए। जैसा कि हमें पता है कि 9 दिसंबर, 2022 को चीन की सेना ने भारतीय सीमा में घुसने की साज़िश की। जिसमें हमारी भारतीय सेना के वीर जवानों ने बहुत ही ताकत और बहुत ही साहस के साथ हमारी सीमा की सुरक्षा की, तो मैं सबसे पहले हमारी सेना के उन वीर जवानों के प्रति, हमारे देश की तरफ से आभार प्रकट करना चाहूंगा और उन्हें कहना चाहूंगा कि देश हमारी सेना का समर्थन कर रहा है और कांग्रेस पार्टी भी हमारी सेना के साथ है।

लेकिन जहाँ हमने अपनी सेना के साथ समर्थन जताया, मुझे लगता है कि बीजेपी की सरकार का जो रवैया है, सरकार की तरफ से उसमें जरूर बहुत सी खामियां हैं। उन खामियों को उजागर करना हमारी जिम्मेदारी बनती है। खामियां क्या हैं- बीजेपी की सरकार देश की आवाम से सीमा पर चीन के साथ इस प्रकार का जो कॉन्फ्लिक्ट हो रहा है, उस पर जो सच्चाई है, जो तर्क है, वो छुपा रही है। BJP is deliberately hiding and obfuscating the facts on the ground from the people of India और उसी के कारण आज हमने देखा इसी सदन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी ने कबूल किया है कि भारत की हमारी सीमा के अंदर जो एरिया है, उस पर हजारों स्क्वेयर किलोमीटर पर चीन ने कब्ज़ा किया हुआ है। ये बयान स्वयं रक्षा मंत्री ने सदन में दिया हुआ है और गृह मंत्री बोलते हैं कि एक इंच भी नहीं देंगे। इस प्रकार का दो रूपी संदेश क्यों? क्यों आप सच्चाई नहीं उजागर करते, क्यों आप हमारे जो विभिन्न राजनीतिक दल हैं, जिनका अधिकार बनता है कि आपसे प्रश्न उठाएं, आपसे इनफोर्मेशन मांगे, जानकारी मांगे कि हो क्या रहा है सीमा पर। जो बार-बार कांग्रेस पार्टी उठा रही है कि सीमा के उस पार चीन अपनी सिविलियन इन्फ्रास्ट्रक्चर बना रहा है, 5जी टावर लगा रहा है, हाईवे बना रहा है, सड़क बना रहा है, चीन ने जिस प्रकार विभिन्न समय में अरुणाचल प्रदेश में हमारे लोगों का अपहरण किया है, उस पर हमारी सरकार की क्या नीति रहेगी। तो इन प्रश्नों से ये सरकार भागती क्यों है?
हम सरकार के द्वारा जानना चाहते हैं कि ये जो सदन, जिसको प्रधानमंत्री मोदी जी कहते हैं कि ये लोकतंत्र का मंदिर है, तो क्या इस मंदिर में भारत की आवाम को ये जानने का अधिकार भी नहीं कि सीमा के उस पार हो क्या रहा है? जितनी जानकारी हमें मीडिया के द्वारा मिलती है कि लद्दाख में हमारे किसान बोल रहे हैं कि जहाँ पर पहले उनकी बकरियां चरने जाया करती थीं, आज उन एरियाज़ में नहीं जा पाते हैं। इलेक्टेड काउंसलर बोल रहे हैं कि जहाँ हम पहले जाते थे, हमारी आजादी थी, वहाँ आज आजादी नहीं है। इन बातों का खुलासा, स्पष्टीकरण सरकार क्यों नहीं देना चाहती है? क्यों भाग रही है, क्यों दो रूपी एक रवैया वो सदन के अंदर दिखा रही है और भारत की आवाम को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर उनकी आंखों में क्यों वो धूल झोंक रही है? हमारी दूसरी बात है कि कहीं ना कहीं ये निर्देश आया होगा, ये जो दो रूपी रवैया इस सरकार ने अपनाया है, इसके पीछे कहीं ना कहीं प्रधानमंत्री मोदी जी का निर्देश है, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी जी ने स्वयं 2020 में ज़ूम वर्चुअल मीटिंग बुलाई थी, विभिन्न राजनीतिक दलों की, तब तो उन्होंने क्लीन चिट दे दी, चीन को। तब तो उन्होंने कह ही दिया कि चीन जो कह रहा है कि वो भारतीय सीमा के अंदर नहीं घुसा है, चीन अपनी ही सीमा के अंदर है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने उसी का समर्थन किया और उन्हीं की उन बातों को सुरक्षित रखने के लिए आज सरकार हमें गुमराह कर रही है। अफ़सोस की बात है कि जहाँ पर भारत की अखंडता का सवाल उठता है, जहाँ पर भारत की सीमा सुरक्षा का सवाल उठता है, जहाँ पर हमारे वीर जवानों की शहादत का मामला उठता है, तो आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी को अपनी छवि, अपने देश की अखंडता से ज्यादा प्यारी है। वो अपनी छवि को देश से ऊपर मानते हैं और इसलिए, हमने कहीं दुनिया में ऐसा देश नहीं देखा होगा जिसकी सीमा पर बार-बार प्रहार हो रहा है और उस देश का नेता, उस देश का प्रधानमंत्री चुप है। आप बताइए, आप देखिए रूस और यूक्रेन में किस प्रकार दोनों देशों के नेता बार-बार अपने देश का पक्ष रखते हैं। देश की आवाम को सारी जानकारी देते हैं, तथ्य देते हैं और एक हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी हैं, सदन की शुरुआत से पहले बोलेंगे, सभी मीडिया के साथ कि सदन में चर्चा होनी चाहिए और जब ऐसा महत्वपूर्ण मामला आता है, जहाँ पर देश की सीमा, देश की विदेश नीति, देश की अर्थव्यवस्था, देश की अखंडता पर सवाल उठा हुआ है, तब वो अपने मंत्रियों के पीछे छुपते हैं, कभी विदेश मंत्री के पीछे छुपते हैं, कभी रक्षा मंत्री के पीछे छुपते हैं, कभी गृह मंत्री के पीछे छुपते हैं। तो ये साफ-साफ जताता है कि प्रधानमंत्री मोदी जी को अपनी छवि अपने नैतिक कर्तव्य से ज्यादा पसंद है, ज्यादा उनको प्यारी है और आज हम देख रहे हैं कि जिस प्रकार हमारी भारतीय सरकार और चीन की सरकार लद्दाख और गलवान को लेकर, 16 बार मीटिंग कर चुके हैं, उसके पश्चात भी चीन की सेना का इतना साहस की लद्दाख को छोड़कर अब उत्तर पूर्वांचल पर अपनी नज़र रखें, अरुणाचल प्रदेश पर अपनी नज़र बनाएं। तो ये साफ-साफ जाहिर करता है कि जिस प्रकार से चीन की सरकार और हमारी सरकार के बीच में जो बातें हो रही हैं, उन बातों का कोई नतीजा हम नहीं देख पा रहे हैं, कोई ठोस नतीजा नहीं देख पा रहे हैं। आज हम देख रहे हैं कि भारतीय सरकार के कारण ऐसे प्रकार के बफर जोन बनाए जा रहे हैं, ऐसे प्रकार के डिसइंगेजमेंट एग्रीमेंट हो रहे हैं, जहाँ पर भारतीय सेना जो गलवान क्लैश होने से पहले पेट्रोलिंग करती थी, वहाँ पर पेट्रोलिंग नहीं कर पा रहे हैं। मानो भारतीय सरकार, अपनी ही सेना की जो उनकी आजादी है पेट्रोलिंग की, उनकी बाजुएं हमने बांध कर रखे हैं, उनको जकड़ कर रखा है। क्यों भारत सरकार इस प्रकार के डिसइंगेजमेंट, इस प्रकार के बफर जोन बनाने पर तत्पर है? जिसके कारण भारतीय सेना की आजादी को सीमित किया जा रहा है। इस प्रकार का कॉम्प्रोमाइज क्यों? इसीलिए तो चीन को बार-बार ये साहस मिल रहा है कि वो अब उत्तर पूर्वांचल में इस प्रकार का माहौल बनाए, उसमें भी फिर बाद में डिसइंगेजमेंट एग्रीमेंट होगा, उस पर भी बफर जोन होगा, भारतीय सेना और पीछे हट जाएगी।
तो ये सारे डिसइंगेजमेंट एग्रीमेंट और बफर जोन का फायदा किसको मिल रहा है, अंत में – चीन को। इसलिए हम बार-बार कह रहे हैं कि ये भारत की जो अखंडता है, उसकी सुरक्षा भाजपा सरकार नहीं कर पा रही है। कोई ठोस रणनीति नहीं है। समय कहाँ हैं? साम्प्रदायिक राजनीति और निर्वाचन के अलावा इनके पास समय कहाँ है, देश के बारे में सोचने के लिए। चीन ने हमारे सामने एक ऐसी समस्या खड़ी कर दी है, पूरी सरकार और सारे दलों को एक साथ करके हमें एक ठोस स्ट्रैटजी बनानी है, रणनीति बनानी है, लेकिन समय कहाँ है? आज हमारी चीन के साथ जहाँ पर बाइलेट्रल ट्रेड बढ़ता जा रहा है। आज विदेश मंत्री जयशंकर जी बोलते हैं कि नहीं, जब तक सीमा पर पहले जैसी अवस्था नहीं रहेगी, तो भारत और चीन के रिश्तों के बीच में पहले जैसा वातावरण नहीं होगा। तो बार-बार बाइलेट्रल ट्रेड क्यों बढ़ रहा है? जिस बाइलेट्रल ट्रेड से चीन को ज्यादा फायदा हो रहा है। तो हमारी इकॉनमिक स्ट्रैटजी क्या है? आपने चीन के कुछ ऐप्स को बंद कर दिया, बस। जहाँ पर चीन की कंपनियों और इकॉनमी को इंडिया की इकॉनमी के साथ ट्रेड करके फायदा हो रहा है, ये इन छोटे-छोटे ऐप्स को बंद करके आप किसको डरा रहे हैं? क्या संदेश जा रहा है ये भारत सरकार से कि जब भी चीन हमारी सीमा पर अपनी आंख उठाएगा तो हम उनके दो-तीन ऐप बंद कर देंगे और उनके साथ हम पहले जैसा ट्रेड करते रहेंगे, जिस ट्रेड के द्वारा अरबपति और सबसे अमीर व्यापारी हैं, उनका फायदा हो रहा है, हमारा कोई फायदा नहीं है, इसमें। लेकिन भारत सरकार आज चुप बैठी है। भारत सरकार की डिप्लोमेटिक स्ट्रैटजी क्या है? दक्षिण एशिया में, जहाँ पर हमारे रिश्ते कितने बुलंद थे- बांग्लादेश, श्रीलंका के साथ, उस दक्षिण एशिया में आज चीन घुस आया है। हमारी ईस्ट एशिया के साथ क्या रणनीति है? हमारी आसियान के साथ क्या रणनीति है? तो डिप्लोमेटिक स्ट्रैटजी कहाँ है, हमारी? विदेश मंत्री जी तो बातें बहुत अच्छी करते हैं, लेकिन नतीजों पर हम ध्यान देते हैं, बातों पर नहीं। हम देख रहे हैं कि दक्षिण एशिया में चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। आसियान और ईस्ट एशिया के साथ पहले जैसे हमारे रिश्ते थे, वो पहले जैसे नहीं रहे, विभिन्न कारणों से। तो अगर भारत को चीन के इस दुस्साहस का जवाब देना है, तो भारत को विभिन्न देशों की सरकारों के साथ बातचीत करनी पड़ेगी, वो हमें नहीं दिख रहा है। तो कहीं ना कहीं हम देख रहे हैं कि आज सिर्फ ध्यान भटकाने का काम हो रहा है, देश को गुमराह करने का काम हो रहा है। मीडिया का ध्यान इधर और उधर करने का हो रहा है और जिसके कारण आज एक ऐसी चुनौती हमारे सामने आ चुकी है, जिस चुनौती का उत्तर अगर हम आज नहीं देंगे, मिलकर नहीं देंगे, एक साथ होकर, एकजुट होकर नहीं देंगे, तो इसका नतीजा भविष्य में हमें भुगतना पड़ेगा और सारी की सारी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री मोदी जी को लेनी पड़ेगी। तो मोदी जी, जैसे राहुल गांधी जी बार-बार कहते हैं, डरिए मत, मुँह खोलिए, चीन का नाम लीजिए और भारत की सेना और भारत के नागरिकों को ये विश्वास दीजिए कि आपने जो पहले कहा वो गलत है और अब आप जानते हैं कि सच्चाई क्या है और भारत की सरकार पूरी तरह से इस चुनौती का मुकाबला करेगी, उसका आप विवरण करिए। तो यहीं पर मैं अपनी बातें समाप्त करना चाहूंगा। हमारे साथ पवन खेड़ा जी हैं, हमारी कुछ बातें पवन खेड़ा जी आपके सामने रखना चा

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