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कांग्रेस सांसद शक्ति सिंह और प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आज आयोजित प्रेस वार्ता में क्या कहा, सुने लाइव वीडियो में।

नई दिल्ली / अजीत सिन्हा
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा- ओडिशा में बालासोर में परसों हृदय विदारक जो ट्रेन हादसा हुआ, जिसमें 288 लोग मारे गए,1,100 के लगभग घायल हुए,हमारी संवेदनाएं उन तमाम परिवारों को जिन्होंने अपने प्रियजनों को गंवाया है,साथ ही ओडिशा पुलिस, एनडीआर एफ, ओडीआरएएफ और भारतीय सेना को धन्‍यवाद जो पीड़ितों की मदद के लिए तत्‍परता उन्‍होंने दिखाई और ओडिशा के लोगों की जो मानवीय छवि कल देखने को मिली, वो इस देश की मानवीय छवि है, रक्‍तदान करने कतारों में लोग खड़े थे, नौजवान लोग खड़े थे, इससे ये पता चलता है कि एक राष्‍ट्र के तौर पर हम लोग कितने सजग, कितने संवेदनशील हैं, लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि हमारी सरकार उतनी संवेदनशील नहीं दिख रही।

प्रधानमंत्री आपके रहते भारत की किस्‍मत के बारे में तो मैं कुछ नहीं कहूंगा, लेकिन आपकी किस्‍मत के बारे में 2 शब्‍द जरूर कहूंगा। आपने एक कवच अपने आस-पास खड़ा कर दिया, वो कवच आपको सीएजी रिपोर्ट से बचाता है, वो कवच आपको प्राईम टाईम डिबेट से बचाता है, वो कवच आपको किसी भी तरह की पब्लिक स्‍क्रू‍टनी, सार्वजनिक जांच से बचाता है, वो कवच देश की सीमाओं को नहीं बचाता, वो कवच ऑक्‍सीजन के लिए मारे-मारे फिर रहे लोगों को नहीं बचाता, वो कवच रेल यात्रियों को नहीं बचाता, वो कवच सिर्फ और सिर्फ आपकी छवि को बचाता है।ऐसा कवच किसी सरकार को, किसी प्रधानमंत्री को कभी नहीं मिला, काश ये कवच रेल यात्रियों को भी मिल जाता। एक जमाना था जब लाल बहादुर शास्‍त्री जैसे लोग थे जिन्होंने इस्‍तीफा दिया, माधवराव सिंधिया जी ने इस्‍तीफा दिया एक रेल हादसे पर, नितीश कुमार जी ने इस्‍तीफा दिया एक रेल हादसे पर, इस्‍तीफे का अर्थ क्‍या होता है –इस्‍तीफे का अर्थ होता है नैतिक जिम्‍मेदारी लेना। न जिम्‍मेदारी दिखती है, न नैतिकता दिखती है आपको क्‍या उम्‍मीद है यहां से कोई इस्‍तीफा आएगा। हमें तो ये नहीं समझ आ रहा हम इस्‍तीफा मांगे किससे? वो व्‍यक्ति जो एक छोटे से रेलवे स्‍टेशन का भी हरी झंडी दिखाकर उद्घाटन करते हुए दिखता है वो या वो जो कल सुबह से अपनी पब्लिसिटी में लगे हुए हों, टोपी पहनकर, कैमरा लेकर घूम रहे हों। किसका इस्‍तीफा मांगे हम, प्रधानमंत्री हम आप पर छोड़ते हैं, आप किसका इस्‍तीफा लेना चाहते हो, लेकिन ये देश उम्‍मीद करता है कि जिस तरह से लाल बहादुर शास्‍त्री जी ने, जिस तरह से नितीश कुमार जी ने, जिस तरह से माधवराव जी सिंधिया ने इस्‍तीफा दिया था, आप भी अपने रेल मंत्री से इस्‍तीफा लेंगे।सीएजी रिपोर्ट आपके सामने है, पार्लियामेंट की स्‍टैडिंग कमेटी की रिपोर्ट मेरे साथी, मेरे सहयोगी शक्तिसिंह गोहिल साहब के पास है, इस पर वो चर्चा करेंगे, सीएजी की रिपोर्ट बड़े स्‍पष्‍ट तौर पर बताती है कि 2017 से 2021 के बीच में डीरेलमेंट यानि ट्रेन के पटरी से नीचे उतर जाने की वजह से 1127 हादसे 1127 derailments between the years 2017-2021, ये सीएजी रिपोर्ट वही है जिसको आधार बनाकर आप लोग भी किसी जमाने में प्राईम टाईम डिबेट्स करते थे और यूपीए की सरकार के मंत्रियों से इस्‍तीफे मांगते थे, तब वो कवच नहीं होता था जो आज प्रधानमंत्री को कवच मिला हुआ है, आप सबकी तरफ से भी मिला हुआ है।मोदी सरकार का जो ट्रेक रिन्‍यूअल का बजट है, ये सीएजी रिपोर्ट भी हम आपको प्रेस रिलीज के मार्फत सर्कुलेट करेंगे, शायद आपके टेबलों पर, आपके संपादको ने नहीं भेजी होगी या संपादकों की टेबलों पर उनके मालिकों ने नहीं भेजी होगी, मैं आपको जरूर भेजूंगा। ट्रेक रिन्‍यूअल का बजट हर साल कम होता जा रहा है और जो बजट है उसका यूटिलाइजेशन नहीं हो रहा, हम हाई-स्‍पीड ट्रेन के खिलाफ नहीं हैं, लाईए, लेकिन 10-15 चमकती-धमकती ट्रेन को दिखाकर आप पूरा इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, पूरा ढांचा खोखला करते जाएंगे ये मंजूर नहीं है। सवाल आपकी विजन, आपकी सोच, आपकी नीयत पर है। रेल मंत्री के ट्विटर रिप्‍लाईज अगर आप देखें तो जो आम ड‍िब्‍बे होते हैं, जनरल डिब्बे होते हैं, बोगिया होती हैं उनकी स्थिति आपने देखी होंगी, यही कोरोमंडल एक्‍सप्रेस का कुछ दिन पुराना, अगर आप रेल मंत्री की टाइमलाईन पर जाएंगे तो आप देखेंगे वीडियोज, सांस लेने की जगह तक नहीं होती, ये है असलियत।आप वंदे भारत की 5-6 वो दिखा-दिखाकर क्‍या बताना चाहते हैं कि पूरी भारतीय रेल ऐसी चल रही है। 70 साल अलग-अलग सरकारों ने भारतीय रेल को एक भरोसे की सवारी बनाया था, आप मित्रजाल में फंसकर आम नागरिक की चिंता छोड़कर सिर्फ और सिर्फ चमकती-धमकती पीआर के चक्‍कर में पड़ते हैं, खुद रेलवे मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि रेल विभाग में 3,12,000 भर्तियां खाली पड़ी हैं, रेल का बजट आपने खत्‍म कर दिया, भर्तियां आप भर नहीं पा रहे, हमारा इतिहास तो देख लीजिए, उससे तो सीख लीजिए कि कैसे जिम्‍मेदारी लेते थे, कैसे नैतिकता थी, लेकिन अब आपको एक नीति छोड़नी पड़ेगी प्राण जाए पर पीआर न जाए, ये नीति छोड़नी पड़ेगी।अभी 9 फरवरी को ये एक आंतरिक रिपोर्ट है जो ऐसा ही हादसा होते-होते बचा उसके पश्‍चात की रिपोर्ट है, ये रिपोर्ट भी मैं आपको सर्कुलेट कर रहा हूं, हस्‍ताक्षर हैं, इस पर साउथ वेस्‍टर्न रेलवे के एजीएम, प्रिंसिपल चीफ ऑपरेशन मैनेजर साउथ वेस्‍टर्न रेलवे जब वो बता रहे हैं कि ये सिगनलिंग, इंटरलॉकिंग सिस्‍टम है, इसमें खोट है अगर जल्‍दी ही इस खोट को दूर नहीं किया जाए तो इस तरह के हादसे होते रहेंगे, 9 फरवरी को ये रिपोर्ट सर्कुलेट हुई रेलवे मिनिस्‍ट्री में, उसके पश्‍चात क्‍या कदम उठाए गए, ये भी हम जानना चाहते हैं। इससे पहले कि शक्ति सिंह गोहिल जी स्‍टैडिंग कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा करें हमारे 3 सवाल :-

1. क्‍या प्रधानमंत्री इस सदी की सबसे भयावह रेल दुर्घटना की जिम्‍मेदारी लेंगे?

2. क्‍या प्रधानमंत्री अपने रेलवे मिनिस्‍टर श्री अश्विनी वैष्‍ण्‍व का इस्‍तीफा लेंगे? हमारी ये स्‍पष्‍ट मांग है कि रेलवे मिनिस्‍टर को तुरंत नैतिक जिम्‍मेदारी लेते हुए इस्‍तीफा देना चाहिए।

3. सीएजी रिपोर्ट, पार्लियामेंट की स्‍टैंडिंग कमेटी रिपोर्ट, इन तमाम रिपोर्टों का और ये जो 9 फरवरी की रिपोर्ट है साउथ वेस्‍टर्न रेलवे की, इन सब रिपोर्टों पर जो सवाल उठते हैं, इन सवालों का जवाब प्रधानमंत्री जी की तरफ से कौन देगा और मैं उम्‍मीद करता हूं कि ये सवाल आप उठाएंगे।

माफ कीजिएगा अगर ये कवच प्रधानमंत्री जी के आसपास आप लोगों ने नहीं खड़ा किया होता तो ये सवाल बहुत पहले उठते, सीएजी रिपोर्ट के सवाल उठते, इस रिपोर्ट को कहीं न कहीं छपते हुए हम देखते, इस पर चर्चा और डिबेट होती तो शायद ये 288 लोग अपनी जान नहीं गंवाते। हमारा और आपका काम सरकार को जनता से बचाने का नहीं है, जनता को सरकार से बचाने का है, अभी भी समय है हम सबको ये जिम्‍मेदारी निभानी पड़ेगी, नहीं तो ये दुर्घटनाएं होती रहेंगी, लोगों की जान जाती रहेगी और यूं ही हम एक-दूसरे को ढांढस बंधाते रहेंगे।शक्ति‍ सिंह गोहिल ने कहा- साथियों आप सबका स्‍वागता है। मैं सबसे पहले जिन लोगों ने इस हादसे में जान गंवाई उनके प्रति कांग्रेस पार्टी की ओर से और निजी तौर पर श्रद्धा सुमन समर्पित करता हूं, एक दूसरी भी श्रद्धांजली देना चाहूंगा हमारे मेजर रिटायर्ड वेदप्रकाश जी ज्‍यादातर आप सबको यहां मिलते रहते थे, हर वक्‍त, हर हंसते, बड़े मिलनसार, वो अचानक से हमारे बीच से चले गए हैं, मैं उन्‍हें भी श्रद्धा सुमन समर्पित करता हूं।जो एक्‍सीडेंट में जानें गईं, उनके जाने का वक्‍त नहीं था, एक्‍सीडेंट से गई। कोई भी मुआवजा, कोई भी कंपनसेशन एक जिंदगी को वापस नहीं ला सकता है और इसीलिए जान की सुरक्षा को हर वक्‍त पर हम सबसे ऊपर रखते हैं कि अगर माल गया, प्रोपर्टी गई तो वह तो आ भी सकता है वापस, पर एक बार जिंदगी चली जाती है, वो वापस नहीं ला सकता है, कोई नहीं ला सकता है।हमारे भारतीय रेल का इतिहास बहुत पुराना है। जब देश आजाद नहीं था, अंग्रेजो का शासन था। शुरू में हमारी रेलवे प्राईवेट पार्टीज के पास थी, लेकिन उस वक्‍त अंग्रेजो ने क्‍या किया था कि प्राईवेट पार्टी रेल चलाए, पर वो तो अपना मुनाफा देखेंगे इसीलिए ये जरूरी है कि सेफ्टी के लिए उस प्राईवेट पार्टी को नहीं, अंग्रेज सरकार ने इंडिपेंडेंट इंजीनियर्स, जो सीधे सरकार के, शासक के पेरोल पर वो इसकी सुरक्षा देखते थे, वो कहते थे कि इस ट्रेक पर चलाओ, इस ट्रेक को रिपेयर करो अभी रोक दो, वो इंजीनियर्स कहते थे, वो प्राईवेट कंपनी को करना पड़ता था, ट्रेन ऐसी नहीं चलती थी।आजादी के बाद हमारी सरकारों ने सोचा कि ये ठीक नहीं है कि रेलवे तो अपना मुनाफा देखेगा तो रेलवे की सेफ्टी के लिए, पैसेंजर सेफ्टी के लिए रेलवे से हटकर, अलग डिपार्टमेंट के पास एक कमीशन होना चाहिए। रेलवे की सुरक्षा की चिंता करते हुए कमीशन रेलवे सेफ्टी अलग बना और वो रेलवे मंत्रालय के नी‍चे नहीं, इसको रखा‍ सिविल एविएशन, नागर विमान विभाग के नीचे इसको रखा और वो देखते थे।ये कहते हैं न प्रधानमंत्री जी कि जो कसूरवार हैं, उसे बक्शेंगे नहीं। मैं आपके पास जो डेमोंस्‍ट्रेट कर रहा हूं, वो दिखाएगा कि इसमें कसूरवार सीधी सरकार है और मोदी सरकार है। मैंने आप सबको एक कॉपी दी है। ट्रांसपोर्ट, टूरिज्‍म एंड कल्‍चर डिपार्टमेंट रिलेटेड स्‍टैंडिग कमेटी की ये रिपोर्ट है जो कि राज्‍यसभा में 8 दिसंबर, 2022 को पेश हुई है ये पब्लिक डॉक्‍यूमेंट है, आप पेज 2 पर देखेंगे यहां पर चेयरमेन हैं टीजी वेंकटेश जो कि बीजेपी के हैं और हमारी पार्लियामेंट्री कमेटीज जो होती हैं वो दलगत राजनीति से ऊपर होती है, वो पार्टी पॉलिटिक्‍स से ऊपर होती है इसमें ज्‍यादा मेंबर, क्‍योंकि प्रोरेटा होता है जिसके ज्‍यादा एमपीज, उसके ज्‍यादा कमेटी में मेंबर तो इसमें ज्‍यादा मेंबर भारतीय जनता पार्टी के, 5 नंबर पर मेरा नाम भी देखोगे, मैं भी इस कमेटी का हिस्‍सा था, ये कमेटी ने… मैं आपका ज्‍यादा वक्‍त नहीं लेना चाहता हूं पेज 4 पर आप आ जाइए।मैंने आपको कहा न कि आजादी के बाद सेफ्टी के लिए अलग कमीशन जो रेलवे मंत्रालय के नीचे नहीं, सिविल एविएशन के नीचे काम करता था और वो अलग कमीशन अगर कहे कि ये ट्रेक खराब है या गाड़ी नहीं चलेगी तो रोक देना पड़ता था, ट्रेक बनने के बाद तभी खुला रख सकते थे जब ये सुरक्षा के लिए अलग कमीशन जो सिविल एविएशन के नीचे है, वो परमिशन देगा Now this is fit. वो उसके अंदर टेक्‍नी‍कल एक्‍सपर्ट लोग रहते थे, मोदी सरकार ने क्‍या किया 2018 में… आप ऊपर से चौथी लाईन देखिए, 2018 में रेल मंत्रालय ने रेल सुरक्षा आयोग की राय पर विचार किए बिना, माने उनके साथ कोई बात नहीं की, जो अलग आयोग था, जिसके साथ बात करनी चाहिए, उसके साथ बा‍त किए बिना खोलने के नियमों में संशोधन किया है, महत्‍वपूर्ण संशोधनों में से एक ये था कि आयुक्‍त को भारतीय रेल आयामों की अनुसूची के उल्‍लंघन को माफ करने की शक्ति प्रदान करने का या शक्ति‍ सीआरएस माने कमीशन रेलवे सेफ्टी और सीसीआर एस माने चीफ कमिशनर ऑफ रेलवे सेफ्टी की सिफारिश के साथ रेल मंत्रालय के पास निहित थी, माने ये पावर्स जो कमिशन के पास और चीफ कमिशनर के पास थी वो पावर्स हटा दिए गए हैं।इस संशोधन की सुरक्षा निहितार्थ रेल मंत्रालय को भी बताए गए थे, माने इन्‍होंने विरोध किया आयोग को अब भी, आयोग का अभी भी वो मत है, वो कमेटी के सामने आयोग एज ए विटनेस आता है और कहते हैं कि ये संशोधन सुरक्षा के हित में नहीं है और सुरक्षा को सभी चिंता पर वरियता दी जानी चाहिए, इसलिए पुरानी व्‍यवस्‍था को बहाल कर देना चाहिए।ये किसने कहा – ये आकर कमीशन ने एज ए विटनेस कमेटी के सामने कहा और उसके बाद आप पैराग्राफ 31 उसी पेज पर देखिए कि समिति ने भी चिंता जताई, समिति ने सीआरएस माने कमीशन रेलवे सेफ्टी जिसे विशेष रूप से रेलवे सुरक्षा से संबंधित मामलों पर तकनीकी मार्गदर्शन प्रशस्त करने के लिए स्‍थापित किया गया है कि सिफारिशों/सुझावों के प्रति रेलवे बोर्ड द्वारा दिखाई गई उपेक्षा पर गंभीर चिंता व्‍यक्‍त करते हैं। कमेटी ने कंसर्न जताया, मैं खुद था उस कमेटी में हाजिर… कि आप ये क्‍या कर रहे हो? अंग्रेज भी इंडिपेंडेंट रखते थे, आज तक था और कमीशन के पावर्स आप एक नोटिफिकेशन करके हटा देते हो और कहते हो मैं ही चोर, मैं ही कोतवाल, मैं ही न्‍यायधीश, कमेटी ने इसका विरोध किया, ये 2018 में हुआ माने मोदी सरकार में।अभी मेरे साथी पवन भाई ने जो डॉक्‍यूमेंट आपको दिखाया, अगर ये नहीं होता तो ये डॉक्‍यूमेंट का संज्ञान इंडिपेंडेंट कमीशन लेता, ये हादसा नहीं होता। दूसरा कमेटी ने खुद पाया कि वहां जो डिप्‍टी कमिशनर्स हैं कमिशन में, वो रेलवे के अधिकारियों को वहां नियुक्‍त किया जाता है और उसके बाद उसको फिर से रेलवे में जाना है तो कमेटी ने अपनी सिफारिश में कहा कि ये क्‍या हुआ है? अगर एक टेक्‍नीकल आदमी आपको कहेगा कि आप गलत कर रहे हो, कल को उसको फिर रेलवे बोर्ड कर्मचारी के तौर पर आपके वहां जाना है डेपुटेशन खत्‍म होने के बाद, वो आपको कैसे कहेगा कि आपकी गलती है कि आप गलत कर रहे हो, वो भी कमेटी ने कहा और कमेटी ने सारी सिफारिशें…पेज 6 पर आप देखिए, पेज 6 पर ये सारी सिफारिशें, जिसमें एक तो ये कहा गया कि आपने गलत किया 2018 में, इंडिपेंडेंट क‍मीशन के पावर्स ले लिए, दूसरा कमेटी ने कहा कि आप जो डि‍प्‍टी कमिशनर रेलवे के लेते हो, वो आपकी गलती दिखा नहीं पाएंगे, क्‍योंकि उनको बेचारों को डेपुटेशन खत्‍म होने के बाद आप ही के रेलवे में आपकी सत्ता के नीचे काम करना है। तीसरा कहा कि सेफ्टी के लिए इंटरनेशनल जो मैजर्स है उसको आप क्‍यों इस्‍तेमाल नहीं कर रहे हो, All over the world latest equipments latest coaches जो बन रहे हैं कि अगर खुदा न खास्‍ता कोई ऐसा हादसा भी हुआ तो पैसेंजर सेफ्टी के लिए जो पैरामीटर हैं उसको आप क्‍यों इम्‍प्‍लीमेंट नहीं कर रहे हो?कमेटी ने ये भी कहा कि आप स्‍पीडी रेल लाओ उसकी दिक्‍कत नहीं है, पर इससे पहले हमारा इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर जो है उसको उसके अनुरुप तो कीजिए, आप उसको ट्रेनिंग तो दीजिए कि जो उसके लिए ठीक ट्रेनिंग हो। ये मैंने आपको ये डॉक्‍यूमेंट दिया है जो पार्लियामेंट में 8 दिसंबर, 2022 को पेश हुआ और अगर उस वक्‍त पर ये संज्ञान लेते हैं, उस वक्‍त पर ये चिंता करते तो आज ये हादसा नहीं होता। तो मोदी जी कहते हैं कि जिम्‍मेदार को नहीं बक्‍शा जाएगा ये सारा डेमोनस्‍ट्रेट करता है कि वहां छोटे से कोई सिगनल के टेक्‍नीशन या वहां काम करने वाला छोटा कर्मचारी नहीं है मोदी जी, कमेटी के कहने के बावजूद आपकी सरकार ने गलतियां नहीं सुधारी, 2018 में जो इंडिपेंडेंट कमिशन रेलवे सेफ्टी था उसको आपने इंडिपेंडेंट रहने नहीं दिया काम करने के लिए, उसके पावर्स लेकर रेलवे को दे दिए तो ये गवर्नमेंट का डिसीजन लेने वाले इसमें जिम्‍मेदार हैं और जो 9 फरवरी, 2023 का ये जो अंदरूनी रिपोर्ट है, जिस रिपोर्ट में लिखा है, क्‍लीयर लिखा है, आपको इसकी कॉपी भी सांझा हम कर देंगे और कॉपी भी आपको हम भेज देंगे, इसमें क्‍लीयर लिखा है The signaling cables are first brought, to the junction box in the yard, and then brought to the relay room, which make them vulnerable for meddling and interacting with interlocking. माने पूरा इंटरलॉकिंग सिस्‍टम इससे खराब होगा और जो सिग्‍नल की सेफ्टी नहीं है और गलत तरीके से जो ये यहां हुआ हादसा वो सिग्‍नल के गलत ऑपरेशन से हुआ, इसमें ये कहा है कि if the signal monitoring system, is not monitored and corrected immediately. आप इसका पैराग्राफ लाईन जरूर हाईलाईट कीजिएगा जो कहा है कि If, the signal maintenance system is not monitored and controlled immediately, then it would lead to happening of such a recurrence, a serious accident. माने ये रिपोर्ट खुद कहती है कि अगर आपने ये सिग्‍नल का काम ठीक नहीं किया तो बहुत सीरियस बड़ा एक्‍सीडेंट हो सकता है, वो प्रिंसीपल चीफ ऑपरेशन मैनेजर, साउथ वेस्‍टर्न रेलवे वो खुद लिखकर देता है और फिर भी मोदी सरकार कुछ नहीं करती है। ये साफ दिखाता है कि इसके लिए जिम्‍मेदार यही लोग हैं। कांग्रेस पार्टी द्वारा रेलमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर पूछे एक प्रश्न के उत्तर में पवन खेड़ा ने कहा कि हम लोग इनसे अलग हैं। हम राजनीति में भी मानवीय संवेदना का स्थान बनाने की चेष्टा करते हैं। वो मानवीय संवेदना में भी राजनीति फैलाते हैं। ये अंतर है और ये अंतर स्पष्ट है, लोगों को दिखना चाहिए। जो मैंने आपको तीन उदाहरण दिए, माधव राव सिंधिया जी का, लाल बहादुर शास्त्री जी का, नीतिश कुमार जी का। क्यो वो उस वक्त की विपक्ष की राजनीति का शिकार थे- जी नहीं। अपनी नैतिकता के आधार पर इस्तीफा इन्होंने दिया। या तो ये मान लें कि इनके पास न नैतिकता है, न कोई जिम्मेदारी लेने की क्षमता है, तो हम समझ लेंगे, पूरा देश समझ लेगा और या फिर ये कह दें कि उस वक्त के विपक्ष ने कोई गलत राजनीति की थी और उस वक्त के रेलवे मंत्रियों से इस्तीफा मांगा था, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया। इनसे आप पूछिए कि इनका जवाब क्या है?

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