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गुडगाँव

(हरेरा) गुरुग्राम ने आज ‘एश्योर्ड रिटर्न’ देने के वायदे से संबंधित 26 मामलों में ऐतिहासिक फैसला सुनाया।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
गुरुग्राम: हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (हरेरा) गुरुग्राम ने आज प्रमोटर अथवा डिवलेपर या बिल्डर द्वारा रियल एस्टेट इकाई की बिक्री के समय ‘एश्योर्ड रिटर्न’ देने के वायदे से संबंधित 26 मामलों में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। चेयरमैन डा. के के खंडेलवाल की अध्यक्षता में प्राधिकरण ने एश्योर्ड रिटर्न नहीं देने वाले प्रमोटरों अथवा डिवलपरो पर बहुत सख्त होते हुए कहा है कि प्रमोटर अथवा डेवलपर्स को बिल्डर-बायर एग्रीमेंट के अनुसार सुनिश्चित रिटर्न अर्थात एश्योर्ड रिटर्न का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। निर्णय सुनाते समय, प्राधिकरण ने मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा ‘नीलकमल रियल्टर्स सबअर्बन्स मामले’ का हवाला देते हुए कहा कि रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 में पार्टियों के बीच संविदात्मक दायित्वों को फिर से लिखने का कोई प्रावधान नहीं है। 

इसलिए प्रमोटरों, डेवलपर्स अथवा बिल्डरों को यह दलील देने की अनुमति नहीं दी जा सकती है कि रेरा अधिनियम, 2016 के प्रभाव में आने के बाद आवंटियों को सुनिश्चित रिटर्न की राशि का भुगतान करने के लिए कोई संविदात्मक दायित्व नहीं था या इस संबंध में एक नया समझौता निष्पादित किया जा रहा है। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि जब किसी आवंटी को सुनिश्चित रिटर्न की राशि का भुगतान करने के लिए प्रमोटर का दायित्व है, तो वह केवल रेरा अधिनियम, 2016 या किसी अन्य कानून को लागू करने की दलील देकर उस स्थिति से बाहर नहीं निकल सकता है।  हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी, गुरुग्राम का यह फैसला गलती करने वाले प्रमोटरों पर देय करोड़ों रुपये का अलाटियों को भुगतान करवाने में मददगार होगा। ऐसे बिल्डरों ने सुनिश्चित रिटर्न का भरोसा दिलाकर भोले-भाले आवंटियों को फलैट अथवा दुकान खरीदने के लिए आकर्षित किया था। उनके झांसे में आकर अलाटियों ने शुरुआत में ही लगभग 100 प्रतिशत राशि एग्रीमेंट होते ही जमा करवा दी थी। इस प्रकार तय किए गए मामले काफी हद तक एक प्रमुख डेवलपर अर्थात् वाटिका लिमिटेड से संबंधित हैं।  प्राधिकरण का यह निर्णय बहुत महत्वपूर्ण है और यह सुनिश्चित रिटर्न योजनाओं जैसी संदिग्ध जमा योजनाओं के माध्यम से धन जुटाने के प्रमोटरों द्वारा कदाचार को रोकने अथवा विनियमित करने में एक महत्वपूर्ण राह दिखाएगा। गौरतलब है कि हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी, गुरुग्राम के समक्ष बड़ी संख्या में ऐसे मामले दायर किए जा रहे हैं, जिनमें पीड़ित आवंटियों ने आरोप लगाया है कि प्रमोटर ने उन्हें अपनी अचल संपत्ति परियोजना में निवेश करने के लिए प्रतिफल के रूप में जमा किए गए धन पर मासिक रिटर्न की एक निश्चित दर का वादा करके लालच दिया था।  इकाई के लिए एश्योर्ड रिटर्न स्कीम अक्सर खरीदार को बहुत ही आकर्षक लगती है क्योंकि उसे ब्याज की सुनिश्चित दर का वादा किया जाता है और पूरा होने की सहमत तिथि पर संपत्ति का कब्जा भी मिलेगा।  फ्लोटिंग एश्योर्ड रिटर्न स्कीम्स द्वारा प्रमोटर या डेवलपर या बिल्डर्स आवंटियों से लगभग 100 प्रतिशत भुगतान शुरुआत में ही प्राप्त कर लेते हैं और उनके बीच बिल्डर बायर एग्रीमेंट हो जाता है। अचल संपत्ति के कई खरीदार ऐसी योजनाओं के शिकार हो गए हैं और संपत्ति प्राप्त करने में विफल रहे हैं। अब वे एश्योर्ड रिटर्न को छोड़कर  प्रमोटर या डेवलपर से अपने पैसे की वापसी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हरियाणा रीयल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी का यह फैसला उन पीड़ित आवंटियों को न्याय दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा, जिन्हें गुमराह करने वाले प्रमोटरों/डेवलपर्स/बिल्डरों द्वारा उनकी करोड़ों रूपए की मेहनत की कमाई लूटी गई है।

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