अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा सहित अपने कई विभूतियों को आज रविवार को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने सम्मानित किया। “पूर्व विद्यार्थी वृहद् समागम- 2022” कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, प्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्पीकर विपिन सिंह परमार,एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया, वाइस चांसलर एस पी बंसल, हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी एल्युमिनाई एसोसियेशन के चेयरमेन पी के अहलूवालिया सहित कई गणमान्य व्यक्ति एवं विश्व विद्यालय के कई पूर्व छात्र उपस्थित थे। इस कार्यक्रम के दौरान हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का विजन डॉक्यूमेंट 2030 भी लॉन्च किया गया और च होगा और एल्युमिनाई भवन की आधारशिला भी रखी गई।
राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को जनसेवा के क्षेत्र में योगदान के लिए “एलुमिनस आफ द ईयर” अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में अपने सम्मान से अभिभूत नड्डा ने कहा कि मैं विश्वविद्यालय को दिल की गहराइयों से धन्यवाद देता हूँ कि मुझे इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया और मुझे आप सब के बीच आने का सौभाग्य मिला। बीत गई सो बात गई और समय निकल जाने के बाद कौन किसको याद करता है लेकिन आपने मुझे आमंत्रित किया। जो आदर और सम्मान आपने मुझे दिया है, उसे मैं अपनी पूँजी और ताकत संजो कर रखूंगा। यह मुझे देश हित और समाज के हित में काम काम करने के लिए स्फूर्ति एवं ऊर्जा देगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि इस कार्यक्रम के साथ न्याय करना बड़ा कठिन है। अपने-अपने क्षेत्र के सभी दिग्गज यहाँ उपस्थित हैं। मंच छोटा पड़ गया है। नीचे बैठे लोग भी किसी से कम नहीं हैं,वे भी मंचासीन होने चाहिए। इस कार्यक्रम में भावनाओं का जो ज्वार उमड़ा है, उस के साथ भी न्याय करना काफी कठिन है। कहाँ से चले थे, कहाँ से पहुंचे हैं। कैसे मंजर और कैसे रास्तों से गुजरते हुए यहाँ तक पहुंचे हैं। कब गिरे, कब उठे, कब चले, किसने साथ दिया, किसने छोड़ दिया और संघर्ष करते हुए कारवां बनता चला गया। कुछ ऐसी ही कहानी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की भी है। यह विश्वविद्यालय पहाड़ी पर जीर्णावस्था के कई मकानों में चला करता था।
मैं इस विश्वविद्यालय के शैशवावस्था से ही जुड़ा हुआ हूँ। 1970 में यह यूनिवर्सिटी बनी और 1980 मैं इसका छात्र। तब केवल सायंस ब्लॉक की दो बिल्डिंगें ही हुआ करती थी।
नड्डा ने अपने विद्यार्थी काल के समय को याद करते हुए कहा कि उस समय अपने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में केवल 11 डिपार्टमेंट हुआ करते थे। आज 44 डिपार्टमेंट बन चुके हैं। अब यह विश्वविद्यालय 242 बीघे में फैला हुआ है। अब तो विश्वविद्यालय का कायाकल्प हो चुका है। मैं आज जब यहाँ आया तो पहचान ही नहीं पाया। वर्तमान में यूनिवर्सिटी में 16 एकेडमिक चेयर्स हैं, रिसर्च स्टडीज सेंटर हैं और लगभग 135 एकेडमिक प्रोग्राम हैं। एक बात हम सबको ध्यान में रखनी चाहिए कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय केवल सुंदर जगह पर अवस्थित एक विश्वविद्यालय नहीं है बल्कि यह आज विद्या और संस्कार का महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है। राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद अर्थात् नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (NAAC) का ग्रेड वन लेना कोई छोटी बात नहीं है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की 53 वर्ष की गौरवमयी यात्रा से हम सभी अभिभूत हैं। मैं अपने आप को इसलिए भी गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ क्योंकि मुझे भी इस यात्रा में शामिल होने का मौक़ा मिला है। चाहे एडमिनिस्ट्रेशन सेक्शन की बात हो, ज्यूडिशियरी की बात हो, मेडिकल क्षेत्र की बात हो, पॉलिटिक्स की बात हो, रिसर्च की बात हो, कॉमर्स की बात हो, बिजनेस का क्षेत्र हो या फिर आर्ट एवं कल्चर की बात हो, हर क्षेत्र में इस विश्वविद्यालय ने अपना लोहा मनवाया है, अपनी छाप छोड़ी है। मैं पॉलिटिक्स या अपने बारे में बात नहीं करना चाहता लेकिन आनंद शर्मा
एवं कई और व्यक्ति जिन्होंने इस यूनिवर्सिटी में कंट्रीब्यूट किया है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और हिमाचल प्रदेश विधानसभा तो पर्यायवाची से बन चुके हैं। यह विश्वविद्यालय सभी विचारधाराओं और सभी वर्गों को अपने में समेटे हुए है। उन्होंने पीएल भटनागर जी को याद किया, अश्वनी कुमार को याद किया जो बाद में सीबीआई के डायरेक्टर भी रहे।
उन्होंने पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस श्री संजय करोल को भी नमन किया और बताया कि कैसे वे मेरे जेल में रहने के दौरान जेल में पढ़ाने आये थे। उन्होंने कहा कि मैंने लॉ का एग्जामिनेशन जेल से दिया था और लॉ मैं इसलिए कर पाया क्योंकि मुझे जेल हुई थी और आदरणीय श्री संजय करोल जी मुझे वहां आकर पढ़ाते थे।
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