अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
ग्रेटर नोएडा स्थित जापान की ऑटो कंपनी होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड ने अपना प्रोडक्शन यूनिट को बंद कर दिया है हालांकि, होंडा कार्स ने इस मामले में अभी तक कोई सार्वजनिक रिपोर्ट जारी नहीं की है। बताया जा रहा है कि चुनौतीपूर्ण माहौल और बाजार में कारों की घटते मांग के चलते कंपनी ने यह फैसला लिया है। कंपनी 20 से 25 वर्षों से इसी कंपनी में काम कर रहे थे और अचानक से कंपनी ने वर्करों को बुलाकर जबरन वीआरएस दे दिया, 900 स्थायी और 2000 अस्थाई को जिन्हे निकाला गया है उनके सामने बेरोजगारी के साथ जीवन यापन की समस्याएं खड़ी हो गई है।
वर्करों ने इसकी शिकायत उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित जिले के आला अधिकारियों से की है मगर अभी तक कोई रिजल्ट निकल के सामने नहीं आ पाया है सुलेमान राणा और सुरेश कुमार ग्रेटर नोएडा में होंडा प्लांट के सामने खड़े है जिसको उन्होने अपने जीवन के 20 से 25 वर्षों साल दे दिए और आज उन्हे होंडा कंपनी ने बुला कर जबरन वीआरएस दे दिया जिसके चलते उनका और उनके परिवार का पालन पोषण चल रहा था।कंपनी में काम करने वाले वर्करों का कहना है कि कोरोना काल में लॉक डाउन के दौरान भी उन्होंने कंपनी में काम करते समय 100 गाड़ियां प्रतिदिन के हिसाब से बनाने का काम किया है लेकिन अचानक से कंपनी बंद करने के आदेश आने के बाद उनके सामने बेरोजगारी की समस्या खड़ी हो गई है, वही वर्करों के सामने भुखमरी की नौबत आ गई है। वर्करों का आरोप है कि जबरन वीआरएस दिलवाए जा रहे है जिसके चलते उन्हें डराया और धमकाया भी जा रहा है लेकिन जब इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की तो प्रशासन ने कोई भी सुनवाई नहीं की।
ग्रेटर नोएडा में इस प्लांट की स्थापना 1997 में की गई थी. तब सालाना 30,000 कारें बनती थीं। होंडा का यह प्लांट 150 एकड़ की जमीन में फैला है. इस होंडा कार्स की प्रोडक्शन यूनिट में होंडा सिटी, Civic और CR-V जैसी भारतीय बाजारों में बिकने वाली कारों का प्रोडक्शन होता था. होंडा कार्स इंडिया से सालाना लगभग 1 लाख कारें बनकर निकलती थीं. चुनौतीपूर्ण माहौल और बाजार में कारों की घटते मांग के चलते कंपनी ने यह फैसला लिया है। जिसके चलते यहां के प्लांट को बंद कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि कंपनी का कॉर्पोरेट कार्यालय और आरएंडडी विभाग ग्रेटर नोएडा से काम करना जारी रखेगा।