अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरुग्राम:गत सोमवार से देशभर के बागवानी किसान अपनी सब्सिडी को लेकर गुड़गांव स्थित राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के गुड़गांव कार्यालय सेक्टर-18 में प्रदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र आर्य दादूपुर की अगुवाई में किसानों ने दो दिन का धरना-प्रदर्शन किया। देशभर से आए 700 किसानों का कहना है कि उन्हें पिछले सवा तीन साल से करीब 225 करोड़ रुपए की सब्सिडी नहीं दी जा रही है। जबकि उनके सभी दस्तावेज पूरे हैं। किसान बार-बार बागवानी बोर्ड से अपनी सब्सिडी को लेकर मांग कर चुके हैं। सोमवार व मंगलवार को किसानों ने अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया और अपनी व्यथा को लेकर उप प्रबंध महानिदेशक को ज्ञापन सौंपा। किसानों ने आगामी 31 जुलाई तक सब्सिडी दिए जाने का अल्टीमेटम दिया है। यदि सब्सिडी इस अंतराल में नहीं दी गई तो वे आगामी एक अगस्त को सामूहिक आत्मदाह करेंगे।
मंगलवार को किसानों ने बागवानी बोर्ड के सभागार में डिप्टी डायरेक्टर बृजेन्द्र सिंह को किसानों की समस्याओं व मांगों से अवगत कराया। इससे पहले सोमवार को किसी भी अधिकारी ने किसानों को मिलने का समय नहीं दिया और पुलिस बल बुलाकर उन्हें शांत करने का प्रयास किया। लेकिन किसान केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी से मिले और उन्हें अपनी समस्या उनके समक्ष रखी। कैलाश चौधरी के आदेश पर मंगलवार को किसानों को बागवानी बोर्ड के कार्यालय में मिलने का समय दिया गया। हालांकि किसानों के आने की सूचना के बाद बागवानी विभाग के डायरेक्टर डा. मोहम्मद आरिज अहमद कार्यालय से निकल गए। इस पर किसान डिप्टी डायरेक्टर बृजेन्द्र सिंह से मिले और अपनी मांगें बताई। इस दौरान भी सभागार में भारी पुलिस बल मौजूद रहा। डिप्टी डायरेक्टर ने किसानों को कोई संतोषजनक आश्वासन नहीं दिया। उनका कहना था कि अंतिम फैसला डायरेक्टर ही करेंगे।
डिप्टी डायरेक्टर से मिलने के दौरान दिलीप चावत, साहब सिंह डबास, महेन्द्र सिंह, नरेन्द्र सिंह, मोहन, आरएस यादव, राधेश्याम, पोपन गोवडा आदि मौजूद रहे। ये है किसानों की समस्या किसान नेता राजेन्द्र आर्य दादूपुर ने बताया कि वर्ष 2016 में किसानों को बागवानी बोर्ड की अनुशंसा पर बैंकों से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर लोन दिया था। इसके लिए किसानों की जमीन को रहन पर रख दिया गया। लेकिन सरकार की ओर से समय पर सब्सिडी किसानों को नहीं दिए जाने से किसानों के खाते एनपीए हो रहे हैं। ऐसे में किसानों को उनकी जमीन कुर्क होने का डर सता रहा है। किसानों का कहना है कि जितना सरकार द्वारा सब्सिडी दी जानी थी, उससे ज्यादा राशि वे बैंकों को ब्याज के रूप में दे चुके हैं। बोर्ड के नियम अनुसार जिन किसानों के खाते एनपीए हो चुके हैं, उनके खाते में सब्सिडी भी नहीं दी जा सकती, ऐसे में किसानों का आरोप है कि बोर्ड जानबूझकर उनके खातों को एनपीए कराने पर तुला है, जिससे किसानों को सब्सिडी ना देनी पड़े।