अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद: क्या आप जानते हैं कि देश में हर साल हजारों लोगों की मौतें सिर्फ इस वजह से हो जाती हैं, क्योंकि उन्हें समय पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट नहीं मिल पाता है. अगर किसी बीमार व्यक्ति को उसके शरीर का महत्वपूर्ण अंग दान के रुप में मिल जाए तो उस आदमी की जान भी बचाई जा सकती है और देह दान मेडिकल विद्यार्थियों की पढ़ाई में सहायक है . इसी को लेकर जागरूकता फैला रही ‘दधीचि देह दान समिति’ की फरीदाबाद इकाई ने जे.सी. बोस यूनिवर्सिटी फरीदाबाद के “विवेकानंद ऑडिटोरियम” में देहदानियो के 48 वे उत्सव का आयोजन किया.
इस मौके पर देहदान कर चुके परिवारों को सम्मानित किया गया. जिन संकल्प कर्ताओं ने 2020 से अब तक नेत्र, अंग, देहदान बाबत संकल्प लिए है, उन्हे भी प्रमाण पत्र और विल दे कर सम्मानित किया गया. आए हुए महानुभावों ने अंगदान और देहदान का संकल्प लिया.कार्यक्रम की शुरुआत “सर्वे भवन्तु सुखिन” के मंत्रोंचार व दीप प्रज्वलन से की गई. जे. सी. बोस यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सभी को अंगदान और देहदान बाबत जागरूक किया .इस उत्सव में मुख्य अतिथि नरेंद्र अग्रवाल, चेयरमैन शिवालिक ग्रुप फरीदाबाद ने अपने विचार व्यक्त किए. विशिष्ठ अतिथि प्रो. सुशील कुमार तोमर, कुलपति जे. सी. बोस यूनिवर्सिटी फरीदाबाद रहे.महामंडलेश्वर स्वामी जगत प्रकाश त्यागी, अध्यक्ष अखंड परमधाम, चित्रकूट ने पहले ही नेत्रदान का संकल्प लिया हुआ है, उन्होंने नानाजी देशमुख प्रथम देहदानी की गाथा के बारे में सभी को अवगत कराया.
कर्नल (रिटायर्ड) बी के मिश्रा, (प्रो. एटोनॉमी) माता अमृतनंदमयी मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद ने बताया कि कैसे आर्मी कॉलेज में भी उन्होंने देहदानियों को सम्मान दिलवाया. मुख्य वक्ता कमल खुराना, महामंत्री दधीचि देह दान समिति, नई दिल्ली ने समिति की गतिविधियों बारे विस्तार से जानकारी दी और सभी दानी परिवारों का सम्मान के साथ आभार व्यक्त किया. अंतरकथन डॉक्टर पंकज कुमार हंस, एसोसिएट डायरेक्टर एशियन अस्पताल फरीदाबाद द्वारा दिया गया. डॉक्टर दुर्गा सिन्हा द्वारा कविता पाठ किया गया. कार्यक्रम का समापन “जीवेम शरद शतम” और राष्ट्रगान से किया गया. राजीव गोयल संयोजक फरीदाबाद ने सभी आए हुए महानुभावों और एनजीओ के प्रतिनिधियों का धन्यवाद किया. उत्सव के संयोजन में राजीव गोयल, अर्चना गोयल, विकास भाटिया, गुलशन भाटिया, हनीश भाटिया, नरेंद्र बंसल, सुनीता बंसल, संजीव गुप्ता, सुरेंद्र कुमार, अजीत अग्रवाल, इंदु बाला, मंजू प्रभा, आशीष, बी आर सिंगला, कमल खुराना, दिल्ली से आए हुए अधिकारियों, कार्यकर्ताओं और जे सी बोस यूनिवर्सिटी के छात्रों व अन्य सभी का योगदान सराहनीय है।
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