अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए जाति आधारित गणना के आंकड़ों से देश की राजनीतिक दिशा बदल गई है। बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए जाति आधारित गणना के आंकड़ों से भाजपा घबरा गई है। कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा कि वर्ष 2021 में होने वाली जातिगत जनगणना मोदी सरकार द्वारा क्यों नहीं करवाई गई। यूपीए सरकार द्वारा 2011 में की गई जाति जनगणना की रिपोर्ट जारी करने से मोदी सरकार क्यों डर रही है।कांग्रेस सरकार बनने पर पूरे देश में जातीय जनगणना कराई जाएगी। यह बातें ओबीसी विभाग के राष्ट्रीय चेयरमैन कैप्टन अजय सिंह यादव ने नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कहीं।
यादव ने कहा कि 2011 में हुई जाति जनगणना की रिपोर्ट जारी करने को लेकर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने दबाव बनाया, लेकिन पता नहीं भाजपा किस बात से डर रही है। बिहार में अभी जो जाति आधारित गणना हुई है, उसमें पिछड़ा वर्ग की आबादी 63 प्रतिशत दिखाई गई है। इस गणना से बिहार के गरीब लोगों को काफी मदद मिलेगी। जब बिहार सरकार यह जाति आधारित गणना करा रही थी तो आरएसएस ने उसे रोकने की पूरी कोशिश की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि इससे सामाजिक व्यवस्था बिगड़ेगी और कांग्रेस जातिगत बातें कर पाप कर रही है। ये पाप है क्या? इससे बड़ा पुण्य क्या हो सकता है कि हम आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की बात कर रहे हैं। यादव ने याद दिलाते हुए कहा कि जातिगत जनगणना करवाने के लिए 16 अप्रैल, 2023 को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक चिट्ठी भी प्रधानमंत्री मोदी को लिखी थी। कांग्रेस कार्य समिति ने 16 सितंबर, 2023 को हैदराबाद में जातिगत जनगणना कराने को लेकर एक प्रस्ताव भी पारित किया था। इसमें कहा गया था कि अनुमािनत रूप से 14 करोड़ भारतीयों को अपने भोजन के अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है। क्योंकि 2011 की जनगणना के हिसाब से जारी राशन कार्ड पर ही अभी लोग राशन ले पा रहे हैं। छत्तीसगढ़, झारखंड में ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत है, वहां आरक्षण 27 प्रतिशत करने के लिए राज्यपाल के पास बिल भेजा हुआ है। राज्यपाल छह महीने से बिल को लिए हुए बैठे हैं। क्योंकि भाजपा सोच पिछड़ा वर्ग विरोधी है। 16 अप्रैल, 2023 को राहुल गांधी जी ने प्रधानमंत्री को कहा था कि यूपीए द्वारा 2011 में की गई जातिगत जनगणना के आंकड़े सावर्जनिक किए जाएं, ताकि आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा से ज्यादा जा सके। कांग्रेस ने यह मांग भी उठाई है कि महिला आरक्षण में ओबीसी आरक्षण दिया जाए। यादव ने कहा कि केंद्र सरकार में सिर्फ तीन ओबीसी सचिव हैं। 44 सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में केवल नौ प्रोफेसर ओबीसी के हैं। एसोसिएट प्रोफेसर दो प्रतिशत हैं। न्यायपालिका में ओबीसी की भागीदारी मात्र चार प्रतिशत है। इसका कारण क्रीमी लेयर लगना है। आज इस महंगाई के दौर में क्रीमी लेयर की सीमा आठ लाख रुपये है। यह कम से कम 15-16 लाख होना चाहिए। भाजपा शासित राज्यों में पिछड़ी जातियों को छात्रवृत्ति क्यों नहीं मिलती। ओबीसी के लिए मध्यम वर्ग के उद्योग में लोन देने का प्रावधान नहीं है। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पांच सदस्यों की नियुक्तियां 18 महीने से लंबित पड़ी हुई हैं। मोदी सरकार जातिगत जनगणना को लेकर बिल्कुल खामोश बैठी हुई है।
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