अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरुग्राम:अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख प्रमोद पेठकर ने शहरों में रह रहे लोगो से आग्रह किया कि वे वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा प्रत्येक वर्ष आयोजित वनयात्राओं मे शामिल हो कर देश के विभिन क्षेत्रो में सघन वनों में रह रहे वनवासियों के बीच जाएँ । उन्होंने कहा कि देश कि विभिन राज्यों के सुदूर वनों में रह रहे करोड़ों वनवासियों के बीच जाकर उनकी जीवन शैली को अच्छी तरह से समझा सकता है। पेठकर वनवासी कल्याण आश्रम, हरियाणा द्वारा गुरुग्राम में गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज में शनिवार सायं आयोजित ‘जनजातिये गौरव दिवस’ कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। भारतवर्ष में विभिन जंगलों में रह रहे 12 करोड़ वनवासियों के सर्वांगीण विकास व कल्याण के लिए कार्य कर सही स्वायत संस्था वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा प्रत्येक वर्ष शहरी क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए वनयात्रा का आयोजन करता है ताकि उन्हें वनवासिओं की सीधी सादी जीवन शैली के अतिरिक उनके द्वारा महसूस की जा रही शिक्षा व स्वस्थ सम्बन्धी व अन्य परेशानियों से भी अवगत कराया जा सके।
उन्होंने बताया कि वनवासी कल्याण आश्रम गत वर्षों में ओडिशा, झारखण्ड व पूर्वोत्तर राज्यों के लिए वनयात्रा का आयोजन कर चुका है जिसमे शहरीवासियों को वनवासियों कि कुटिया में रह उनके साथ कर उनके द्वारा बनाये गए विभिन व्यंजनों, उनका रहन सहन, उनका जीवनयापन के तरीके व अन्य प्रकार की जानकारिओं का प्रत्यक्ष दर्शन कराया जाता है। इस प्रकार के आयोजन में उन वन क्षेत्रों में कार्य कर रहे आश्रम के कार्यकर्ताओं का पूरा सहयोग रहता है। जनजातीय समाज के भारत की स्वतंत्रता संग्राम एवं समाज उत्थान में वनवासी वीरो के योगदान के उपलक्ष्य में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘जनजातिये गौरव दिवस’ की अध्यक्षता पवन जिन्दल, प्रांत संघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, हरियाणा ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बोधराज सीकरी, प्रसिद्ध समाजसेवी एवं वाइस चेयरमैन, सी एस आर ट्रस्ट हरियाणा रहे। इस अवसर पर ओम प्रकाश कयूरिया, प्रसिद्ध समाजसेवी एवं निदेशक ओम स्वीट्स तथा सुनील खण्डेलवाल, महा प्रबन्धक, NHK Spring India Ltd. विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित थे। प्रसिद्ध शिक्षाविद व पूर्व कुलपति डॉ. अशोक दिवाकर ने कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत की। वनवासी कल्याण आश्रम, गुरुग्राम के अध्यक्ष जगदीश ग्रोवर ने आये हुए धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बोधराज सीकरी ने अपने अभिभाषण में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर मनाये जा रहे जनजातिये गौरव दिवास पर विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा ने अपने २५ वर्ष कि छोटी सी उम्र में देश के लिए बलिदान दिया। डॉ दिवाकर ने प्रस्तावना प्रस्तुते करते हुए कहा कि भारत के स्वतंत्र संग्राम में सिर्फ उन विभूतियों का ही योगदान नहीं था जिनका नाम हम अक्सर पुस्तकों में पड़ते है बल्कि बिसरा मुंडा, तिलका माझी, रानी गांडिलू जैसे वनवासी शूरवीरों का भी अमूल्य योगदान रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण पूर्वोत्तर राज्यों से आयी महिलाओं द्वारा राष्ट्रीय ज्ञान, अरुणाचल प्रदेश के गालो जनजाति द्वारा किये जाने वाले पॉपरी लोक नृत्ये व मीज़ो गीत रहा। इसके अतिरिक्त सुश्री निधि के सामाजिक समरसता का एक गीत प्रस्तुत किया। सुश्री मंजीत कौर रंधावा ने बिरसा मुंडा पर आधारित एक झारखण्ड गीत प्रस्तुत किया। सुश्री ज्योतिर्मयी ने मोहन वीणा वादन प्रस्तुति दी। इस अवसर पर अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख प्रमोद पेठकर ने क्षेत्र पालकों को भी सम्मानित किया। इस अवसर पर कल्याण आश्रम संरक्षक श्रीनिवास शर्मा, यशपाल, कैलाश, गुरुग्राम कार्य समिति के जगदीश कुकरेजा, राजेंद्र सेठी, सुभाष दीवान, मनोहर गोस्वामी, महेश शर्मा, अशोक पाकल, शिव शंकर शिव हरे, सुरेंदर सांघी, आदर्श साईवाल, प्रकाश यादव, संजीव आहूजा, प्राण पेशिन, कुंवरजी, संजय डाटा, चमन, व अन्य का विशेष योगदान रहा।
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