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अपराध दिल्ली

हत्या के एक सनसनीखेज मामले में कोर्ट से घोषित अपराधी बिल्डरों की मदद से 31 साल बाद पकड़ा गया।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली;दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच तीन ने आज शनिवार को हत्या के मामले में अदालत घोषित एक अपराधी को 31 वर्ष के बाद उत्तर प्रदेश के कानपुर में बिल्डरों की मदद से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए अपराधी का नाम प्रेम नारायण, उम्र 51 वर्ष , निवासी बांदा, उत्तरप्रदेश है। इसने वर्ष 1993 में बेटी की शादी की बात नहीं मानने पर दिल्ली के नरेला क्षेत्र में एक शख्स की बेरहमी से हत्या कर दी थी,और वहां से फरार हो गया था। पुलिस टीम ने आरोपित के भतीजे की शादी में कट्रीन का सदस्य बनकर इसका पता लगाया और उपरोक्त अपराधी को धर दबोचा। डीसीपी क्राइम अमित गोयल ने आज जानकारी देते हुए बताया कि एफआईआर नंबर 255/1993, धारा 302/34 आईपीसी के तहत पीएस नरेला, दिल्ली में मामला दर्ज किया गया था कि बाबू लाल, चूनी लाल और प्रेम, पीड़ित शंभूदयाल पर अपनी बेटी की शादी गांव भिड़ोरा में करने के लिए उनके ऊपर दबाव डाल रहे थे। जब शंभू दयाल ने ऐसा करने से मना कर दिया तो तीनों दिनांक 17.09.1993 को उसकी झुग्गी पर गए और उसे धमकी दी तथा गाली-गलौज की. इसके बाद शंभू दयाल बाहर चला गया और वापस नहीं लौटा. दिनांक 18.09. 1993 को प्रातः लगभग 7ः00 बजे शम्भू दयाल का शव मिला। जांच के दौरान, आरोपित मुन्नी लाल, दया राम और प्रेम नारायण को 1994 में अदालत  द्वारा मामले में “घोषित अपराधी” घोषित किया गया था।गोयल कहना है कि जघन्य मामलों में वांछित/फरार आरोपितों  और पैरोल जंपरों का पता लगाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए, एसआई रितेश कुमार को ऐसे अपराधियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का काम सौंपा गया था। एसआई रितेश कुमार ने प्रेम नारायण नाम के एक व्यक्ति की पहचान की, जो 1994 से आईपीसी की धारा 302/34 के तहत एफआईआर संख्या- 255/1993, पीएस नरेला दिल्ली में घोषित अपराधी है। एसआई रितेश कुमार ने आरोपित प्रेम नारायण के बारे में जानकारी विकसित की, लेकिन पाया कि आरोपित के भतीजे की शादी दिनांक 11.07.2024 को तय हो गई है और संभावना है कि आरोपित समारोह में शामिल होगा। इसलिए, एसआई रितेश कुमार ने अपनी फील्ड संपत्ति विकसित की और वे कैटरिंग टीम के सदस्य के रूप में शामिल हुए और विवाह समारोह पर मजबूत मैन्युअल निगरानी रखी। हालांकि, आरोपित तो उपस्थित नहीं हुआ लेकिन उसकी पत्नी और बच्चे समारोह में शामिल हुए। एसआई रितेश ने आरोपित के परिवार पर निगरानी रखी और कुछ महत्वपूर्ण जानकारी मिली कि आरोपित  प्रेम नारायण कानपुर में रह रहा है और राज मिस्त्री के रूप में काम कर रहा है।उनका कहना है कि एसीपी रमेश लांबा की निगरानी में इंस्पेक्टर मनमीत मलिक के नेतृत्व में एसआई रितेश कुमार , जय कुमार एंव  विकास सोलंकी, एचसी बिजेंद्र सिंह और कॉन्स्टेबल योगेंद्र की एक समर्पित टीम का गठन किया गया और उसे कानपुर, यूपी भेजा गया। टीम ने इलाके की नाकाबंदी की, लेकिन आरोपित का पता नहीं चल सका। इसलिए एसआई रितेश कुमार ने स्थानीय बिल्डरों की मदद से इलाके में काम करने वाले राज मिस्त्रियों से संपर्क किया लेकिन आरोपित प्रेम नारायण सामने नहीं आए और अपने बेटे नितिन को भेज दिया। इसके अलावा, स्थानीय बिल्डर की मदद से बातचीत के बहाने प्रेम नारायण को उनके बेटे के माध्यम से बुलाया गया। टीम ने 48 घंटे तक बिल्डर के कार्यालय के पास जाल बिछाया और आरोपित प्रेम नारायण बिल्डर के कार्यालय में आया और उसे वर्तमान मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।उनका कहना है कि पूछताछ के दौरान आरोपित  प्रेम नारायण ने खुलासा किया कि शंभू दयाल की हत्या के बाद वह अपने पिता और चाचा के साथ अपने गांव से गायब हो गया और कानपुर चला गया। उन्होंने राज मिस्त्री के रूप में काम करना शुरू किया। उन्होंने अपना वोटर आईडी और राशन कार्ड बदल लिया और अपने परिवार के साथ कानपुर में रहने लगे। अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने अपने गांव में सभी संपर्क बंद कर दिए.

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