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दिल्ली नई दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय वीडियो

कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने आयोजित प्रेस वार्ता में सीएम अरविन्द के बारे में क्या कहा, सुने इस वीडियो में।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली के अंदर शराब घोटाले के बारे में चर्चा है, सीबीआई ने केस रजिस्टर किया है और इसके अंदर कौन-कौन लोग जिम्मेदार हैं, इस बात को जनता के सामने पहुंचाना बहुत जरुरी है। लेकिन सबसे पहले केजरीवाल का ये 26 नवम्बर, 2014 का वीडियो मैं दिखाऊं, उससे पहले मैं आप लोगों को याद दिलाना चाहूँगा कि आम आदमी पार्टी का जन्म इंडिया एगेन्स्ट करप्शन के माध्यम से हुआ था और उस वक्त इन्होंने केवल दो बातों का वायदा लोगों को किया था। पहला, भ्रष्टाचार मुक्त करेंगे, लोकपाल लेकर आएंगे और दूसरा, स्वराज लेकर आएंगे और ये दिल्ली की लिकर पॉलिसी और शराब घोटाला, स्वराज और भ्रष्टाचार दोनों के जो आम आदमी पार्टी के जो फाउंडिंग प्रिंसीपल्स थे, उनके खिलाफ है और जो बात लोगों के बीच लेकर आए थे, उसके भी खिलाफ है।

दुख की बात ये है कि आज जब शराब घोटाले की बात करते हैं, तो वो उसका जवाब नहीं देंगे, वो शिक्षा की बात करेंगे। जब हम शिक्षा के अंदर घोटाले की बात करेंगे, तो वो शिक्षा की बात नहीं करेंगे, वो चिकित्सा की बात करेंगे और जब हम चिकित्सा के घोटाले की बात करेंगे, तो वो किसी और चीज के ऊपर बात करेंगे, वो उसकी बात नहीं करेंगे। तो आज हम केजरीवाल जी से ये पूछना चाहते हैं, उनकी सरकार से ये पूछना चाहते हैं कि शराब घोटाले के बारे में उनका क्या कहना है, उनको सीधे-सीधे इसके ऊपर जवाब देना चाहिए।

दूसरा, शुरु में ही मैं प्रिजेंटेशन इसके बारे में जैसे कर रहा हूँ, तो आप लोगों को मैं ये भी कहना चाहूंगा कि इसमें भाजपा भी अपने आप को इस भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं कर सकती। भाजपा के एमसीडी और डीडीए भी इसमें संलिप्त हैं और भाजपा की डीडीए और एमसीडी कैसे इसमें संलिप्त है, उसके बारे में मैं आपको बताऊँगा, लेकिन सबसे पहले अरविंद केजरीवाल जी का 26 नवम्बर, 2014 का ये वीडियो आप लोग जरुर देख लें। शुरुआत में आपको आईडिया लग जाएगा और सवाल इसके बाद में ये होगा कि केजरीवाल जी पिछले 8 वर्षों के अंदर इतना कैसे बदल गए? इनके विचार मुख्यमंत्री बनने से पहले और आज मुख्यमंत्री बने हुए 7-8 साल हो गए, तो कैसे उनके विचार इसमें बदल गए?

(वीडियो दिखाया गया…)

जो महत्वपूर्ण बात आती है, जो इन्होंने कहा रेजिडेंशियल इलाके के अंदर दारू के ठेके। मैं आप लोगो को एक चीज बताना चाहता हूँ, पूरी जिम्मेदारी के साथ कि दिल्ली के अंदर चार सरकारी एजेंसीज़ टूरिज्म की, डीएसआईआईडीसी (DSIIDC) की, सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन, ये चार एजेंसीज दिल्ली के अंदर ऐसी हैं, कॉर्पोरेशन्स ऐसी हैं, जो सरकार के रिटेल का कारोबार करती हैं और उसके अलावा कांग्रेस के समय में प्राईवेट लोगों को भी कुछ लोगों को रिटेल में काम करने का, इंडिविजुअल्स को काम करने के लिए लाइसेंस दिए गए थे और ये सारे के सारे लाइसेंस या तो डीडीए के लोकल शॉपिंग सेन्टर्स या कॉमर्शियल मॉल्स में थे, कोई भी रेजिडेंशियल एरिया के अंदर शराब के ठेके खोलना बैन था, नेगेटिव लिस्ट के अंदर था और ये मास्टर प्लान के अंदर 2007 में बतौर शहरी विकास मंत्री जब मैं लेकर आया था, ये उसके अंदर था और मैं उसको अब आप लोगों के सामने दिखाना चाहता हूँ। एमपीडी 2021 का 15 नंबर का चैप्टर मिक्स यूज रेगुलेशन्स का है और 15.1 इसकी शुरुआत हुई, मिक्स यूज का मतलब, मिक्स यूज मीन्स, The provision for non residential activity in residential premises. कि रेजीडेंशियल प्रिमिसेस के अंदर क्या-क्या एक्टीविटी अलाऊ करी जाएंगी, ये उसके अंदर लिखा हुआ था। अब 15.6.2 the following activity shall not be allowed under mixed use. ये नेगेटिव लिस्ट थी, 7 आईटम्स की, जो कि अलाऊड नहीं थी मिक्स लैंड यूज के अंदर, रेजिडेंशियल एरिया के अंदर और इसके अंदर 5वां नंबर, लिकर शॉप, लिकर शॉप मास्टर प्लान के हिसाब से बैन था, किसी भी मिक्स यूज प्रोवीजन के हिसाब से किसी भी रेजिडेंशियल एरिया में और ये 2007 का मास्टर प्लान मैं बतौर शहरी विकास मंत्री लेकर आया, मेरे सिग्नेचर से हुआ और ये वो मास्टर प्लान का मैं आप लोगों को हिस्सा दिखा रहा हूँ, जो उसके अंदर था। तो लिकर शॉप नेगेटिव लिस्ट में था, shall not be allowed. अब दिल्ली के अंदर जो 460 लगभग खोले हैं, 849 इनका टार्गेट था, 460 के करीब खुले हैं, इनमें से 90 प्रतिशत से ज्य़ादा ये रेजिडेंशियल एरिया में हैं। तो 90 प्रतिशत से ज्यादा जो रेजिडेंशियल एरिया में है, ये मास्टर प्लान की वायलेशन है औऱ इस वायलेशन को भारतीय जनता पार्टी की कॉर्पोरेशन औऱ डीडीए सील कर सकती थी औऱ इन्होंने उसमें से एक भी दुकान को सील नहीं किया। तो सबसे पहले तो आज मैं भाजपा, जिन्होंने सीबीआई में किया है, ठीक है, अच्छा किया, लेकिन उनको ये भी जवाब देना चाहिए कि जो रेजिडेंशियल एरिया में मास्टर प्लान की वायलेशन के हिसाब से, जिसको अभी मैंने बताया है, जो खोला गया है तो 460 में से क्या उन्होंने एक भी दुकान डीडीए ने या एमसीडी ने सील की है, और अगर नहीं की है, तो उस चीज का जिम्मेदार कौन है? एमपीडी 2021 के बाद, जैसे मैंने कहा कि कांग्रेस के रिजीम में लिकर शॉप सिर्फ डीडीए शॉपिंग सेन्टर्स और मॉल्स के अंदर अलाउड थे और खुलते थे औऱ रेजिडेंशियल एरिया में नहीं थे, क्योंकि हम मास्टर प्लान को फॉलो करते हैं, तो ये पूरी तरह से भाजपा की और आम आदमी पार्टी दोनों की मिलीभगत है औऱ दोनों ने मिलकर दिल्ली के अंदर, पूरे रिहायशी इलाकों के अंदर जिसको केजरीवाल जी 2014 में कहते थे, गड़बड़ है रिहायशी इलाकों के अंदर, महिलाएं अगर कहीं भी डिमांड करेंगी, तो हम लोग उसमें पीछे नहीं हटेंगे, हटा देंगे, बंद कर देंगे, ये पॉलिसी लेकर आएंगे और आज दिल्ली के अंदर हमने देखा कि जब रेजिडेंशियल इलाकों में इन्होंने खोला, सब जगह पर महिलाएं जब प्रदर्शन कर रहीं थी, इनके कान पर जूं नहीं रेंग रही थी। अब इसके अंदर भ्रष्टाचार की बात जो सबसे महत्वपूर्ण है, वो कैसे है? एक कमेटी, 2020 सितम्बर में बनाई गई, एक्सपर्ट कमेटी, जिसको कहा गया कि लिकर के अंदर किस तरीके से रेशनलाइज किया जा सकता है, लिकर पॉलिसी कैसे बेहतर बनाई जा सकती है, उसके सुझाव दीजिए और उसके दो महत्वपूर्ण सुझाव हैं, एक होलसेल और एक रिटेल के बारे में जिसको इन लोगों ने नहीं माना, दरकिनार करके फायदा पहुंचाया लिकर माफियाओं को, जिसके ऊपर सीबीआई का केस और उसके बारे में मैं अभी बताऊँगा, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण इसके अलावा 144.36 करोड़ वेव ऑफ कर दी लाइसेंस फीस शराब माफियाओं की और ये कहा कि कोविड में इन बेचारों का बहुत नुकसान हुआ है, इसलिए इनके 144 करोड़ रुपए माफ कर दिए जाएं।अब हम केजरीवाल जी से ये पूछना चाहते हैं कि आपने लिकर माफियाओं का 144 करोड़ रुपया माफ कर दिया, दिल्ली के अंदर छोटे दुकानदार कोविड के समय बिजली के फिक्स चार्जेस देते रहे, लगातार मांग करते रहे कि हमारे फिक्स चार्जेस माफ कर दिए जाएं, आपने किसी को भी नहीं किया। जो स्कूल चलाने वाले लोग थे, वो कहते थे कि हमें टीचर्स को तनख्वाह देनी पड़ रही है, लेकिन बिजली के बिल हमारे आ रहे हैं, हमको फीस नहीं मिल रही है, तो हमारी मदद की जाए, स्कूल के लोगों की तरफ आपका ध्यान नहीं गया। छोटे दुकानदारों की तरफ आपका ध्यान नहीं गया, किराएदारों की तरफ आपका ध्यान नहीं गया, मकान मालिकों की तरफ आपका ध्यान नहीं गया, केवल और केवल लिकर माफियाओं का आपने 144 करोड़ वेव ऑफ कर दिया, तो ये पॉलिसी शराब की पॉलिसी है, शराब माफियाओं के हक की पॉलिसी है और आप उसके बाद महात्मा गांधी पर जाकर इसका ध्यान मोड़ने की कोशिश करते हैं, तो ये कहाँ की राजनीति है और कैसी राजनीति है?30 करोड़ रुपए अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट एयरपोर्ट का माफ कर दिया गया, क्योंकि वो खोल नहीं पाया, वहाँ पर उसके ऊपर दया आ गई और उसके बाद वो कोर्ट गया, तो कोर्ट से भी उसको कोई राहत नहीं मिली। लेकिन 30 करोड़ रुपया उसका माफ कर दिया, क्योंकि हमारे केजरीवाल को और सिसोदिया को इनके ऊपर दया आ गई। मार्जिन ऑफ प्रॉफिट इनका रिटेल सेक्टर में 5 प्रतिशत था, बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। 10 प्रतिशत इनहान्समेंट लाइसेंस फीस की लेना चाहते थे, वो भी इन लोगों की नहीं बढ़ाई और पहला क्वार्टर, 2022 में इसका…, हमारे यहाँ पर दिल्ली में व्हिस्की की सेल, शराब की सेल 59.6 प्रतिशत बढ़ गई और हमारे वाइन की सेल 87.25 प्रतिशत बढ़ गई, लेकिन हमारा जो टार्गेट है, 1,870 करोड़ रुपए के हमारे टार्गेट में कमी आई। तो जब हमारे सेल लिकर की बढ़ गई, टार्गेट में 1,870 करोड़ रुपए की इन्हीं की नीतियों की वजह से कमी आई है, ये भ्रष्टाचार नहीं है तो क्या है?जैसा मैंने कहा कि एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई, 4 सितम्बर को और रिपोर्ट 13 अक्टूबर को दी, दो बड़े मेजर रिकमेंडेशन इसके थे, होलसेल पर था कि सरकार को कर्नाटक में जिस तरह से होल सेल ट्रेड हमारे समय से बहुत पहले से चली आ रही है, कर्नाटक में होल सेल ट्रेड सरकार के पास में है, तो इनका ये कहना था कि दिल्ली का होल सेल कार्टेलाइजेशन रोकने के लिए प्राईवेट से नहीं, बल्कि सरकार को करना चाहिए। रिटेल के बारे में इनका ये कहना था कि इंडिविजुअल्स को दिए जाने चाहिए, कंपनी को नहीं दिए जाने चाहिए औऱ एक इंडिवजुअल्स को मैक्सिमम दो दिए जाने चाहिए। दो से ज्यादा किसी को भी रिटेल वैंड्स नहीं दिए जाने चाहिए और लॉटरी से दिए जाने चाहिए, जैसे राजस्थान में दिया जाता है। राजस्थान में लॉटरी सिस्टम से देने से 1,000 करोड़ रुपए हर साल सरकार को इंडिविजुअल्स को दिया जाता है, दो से ज्यादा नहीं दिए जाए और राजस्थान का मॉडल उन्होंने कहा कि दिल्ली में लागू करना चाहिए और ये कोट मैंने उसमें से किया है जिसमें उन्होंने कहा है अगर हाईलाइटेड पोर्शन में आप देखें, which is not possible without complicity of the wholesale dealer causing revenue loss to the government. कि जितने भी यहाँ पर लीकेजेस होते हैं, वो होल सेल डीलर की वजह से होते हैं औऱ रेवेन्यू लॉस होता है इसलिए कर्नाटक मॉडल फॉलो करते हुए, प्राईवेट को नहीं, बल्कि सरकार को दिया जाना चाहिए, ये एक्सपर्ट कमेटी की राय थी। इसी की वजह से उन्होंने कहा कि I feel trade should be revamped by bringing entire whole sale operation under one government entity. उसी तरीके से रिटेल के बारे में उन्होंने कहा कि there should be regular rotation of licenses, also the licenses should be granted to only one eligible individual who fulfill certain criteria और आगे ये कहा है कि दो से ज्यादा लाइसेंस किसी के नहीं हो सकते।अब इन्होंने दो से ज्यादा लाइसेंस नहीं हो सकते, 850 लगभग लाइसेंस होने थे, तो 425 लाइसेंस लगभग दिल्ली के अंदर होने चाहिए थे। इन्होंने 425 की जगह केवल 32 लाइसेंस इन्होंने दिए, पूरी दिल्ली को 32 जोन में बांटकर केवल 32 लाइसेंसेज दिए और इसी वजह से ये किया गया ताकि कार्टेलाइजेशन हो। अब हो ये गया है दिल्ली के अंदर कि जो मैन्यूफेक्चर्स हैं, दिल्ली के बाहर उन्होंने कंपनी अपनी बनाकर अलग से होल सेल पर उन्होंने कब्जा कर लिया औऱ कुछ लेकर रिटेल जोन पर भी कब्जा कर लिया। तो जो एक्सपर्ट कमेटी थी, वो कहती थी कि होल सेल सरकार के हाथ में हो और रिटेल इंडीविजुअल्स के हाथ में हो, दो से ज्यादा न हो, ताकि कार्टेलाइजेशन न हो। जब कार्टेलाइजेशन होती है, तो उसका नुकसान ये होता है कि सरकार को रेवेन्यू लॉस होता है औऱ जनता को भी नुकसान होता है, क्योंकि जो मैन्यूफेक्चर्र है, वही होलसेलर है और वही रिटेलर है, तो वही ब्रांड पुशिंग एक करता है और आपको लिहाजा कुछ ब्रांड की जगह पर मिलेंगे और कुछ जगहों पर नहीं मिलेंगे और रेवेन्यू लॉस और लीकेजेस सरकार को उसके अलावा अलग से…।तो उस वजह से जितने भी इस वक्त दिल्ली के अंदर चार्जेस इन पर लगे हैं, वो केवल इस वजह से लगे हैं कि इन्होंने जो एक्सपर्ट कमेटी की जो प्रमुख एडवाइस थी, दो होल सेल और रिटेल सेक्टर की, उन्होंने उसको नहीं माना। तो इसलिए सीधे-सीधे हमारा ये कहना है कि जब ये खोले गए थे, तो रेजिडेंशियल एरिया के अंदर, जैसे मैंने आपको पहले बताया, खुल ही नहीं सकते थे, उसकी ये वायलेशन थी, मास्टर प्लान की वायलेशन थी, जिसके ऊपर कॉर्पोरेशन और डीडीए को कदम उठाना चाहिए था, उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया। तो भाजपा अब सीधे-सीधे इनके ऊपर केवल उंगली नहीं उठा सकती, उनको खुद भी जवाब देना पड़ेगा कि उन्होंने क्यों नहीं इनके ऊपर एक्शन लिया?

दूसरा, जो करप्शन के चार्जेस इनके ऊपर लगे हैं, वो केवल इस वजह से हैं कि इन्होंने पॉलिसी में मेजर चेंजेस करे हैं और जो एक्सपर्ट कमेटी इनकी बनाई गई थी, उस एक्सपर्ट कमेटी का कहना इन्होंने खुद ही नहीं माना।तो ये पूरी तरीके से भ्रष्टाचार का मामला है और हैरानी का बात ये है कि पिछले दो महीने में आपने केजरीवाल और सिसोदिया के मुंह से इनके बारे में एक शब्द नहीं सुना होगा। जब एक्साइज पॉलिसी और भ्रष्टाचार के बारे में पूछें, तो वो दूसरी बातें करनी शुरु कर देते हैं। तो ये आप लोगों के सामने इसलिए हम लेकर आए हैं कि आपके माध्यम से जनता को हम बताना चाहते हैं कि ये सरकार, पार्टी भ्रष्टाचार हटाने के नाम पर, स्वराज के नाम पर आई थी और ये दोनों चीजों में पूरी तरह से विफल है और इनकी जो पॉलिसी है और जो भ्रष्टाचार इसके अंदर हुआ है, उसमें पूरी तरह से ये लोग संलिप्त पाए गए हैं।रेजिडेंशियल एरिया में शराब की दुकानें खोलने को लेकर पूछे एक प्रश्न के उत्तर में श्री अजय माकन ने कहा कि मेरा मानना ये है और मेरा कहना ये है कि 460 में से 90 प्रतिशत से ज्यादा दुकानें वो रेजिडेंशियल एरिया के अंदर हैं। आप लोग भी जब बाहर निकलकर जाएं, कहीं पर भी देखें, तो वो 460 में से 90 प्रतिशत दुकानें ऐसी हैं। तो ये 400 से ऊपर दुकानें इसके अंदर सील होनी चाहिए क्योंकि सिर्फ और सिर्फ जो डीडीए के लोकल शॉपिंग सेंटर्स और मॉल्स हैं, वहीं पर इजाजत है। रेजिडेंशियल इलाकों में, मिक्स लैंड यूज की सड़कों पर भी, कहीं पर भी, चाहे वो कॉमर्शियल सड़क भी हो गई हो, वो मिक्स लैंड यूज ही माना जाएगा, क्योंकि वो रेजिडेंशियल एरिया के अंदर है। तो इस वजह से सभी जगहों पर वो नहीं कर सकते थे, ये इल्लीगल था। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में माकन ने कहा कि मैंने अभी आपके सामने पावर प्वाइंट प्रिजेंटेशन की है पूरी और मैं सीना ढोककर कह रहा हूँ, ये है घोटाला और मैंने इसमें फिगर्स दिए हैं। इसके अंदर मैंने अपने मास्टर प्लान का कोट दिया है। इसके अंदर जो कमेटी उन्होंने ही बनाई है, उसका कोट दिया है औऱ इनकी अपनी खुद की लिकर पॉलिसी जो थी, उसकी शुरुआत उन्होंने कहा है कि उन्होंने कमेटी बनाई है और उस कमेटी की रिकमेंडेशन के हिसाब से लिकर पॉलिसी बनाई जा रही है। तो मैंने तो बहुत स्पेसिफिक…, सिर्फ छाती पीटने से कि कुछ घोटाला नहीं है- कुछ घोटाला नहीं है, कहने से घोटाला दब नहीं जाता है। मैं स्पेसिफिक बात कर रहा हूँ, पावर प्वाइंट प्रिजेंटेशन मैंने दी है, मेरे 8 स्लाइड्स हैं, तो मेरे हर स्लाइड का जवाब दे दें। तो मैं तो उनको ये कह रहा हूँ कि मेरे हर स्लाइड का जवाब दे दें, केजरावील जी, तो जितनी स्लाइड्स हैं, उनका जवाब दे दें, तो अपने आप पता चल जाएगा कि घोटाला…, और ये घोटाला तो यही है, जो मैंने स्लाइड्स में बताया है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि बिल्कुल मैं डिबेट के लिए चैलेंज करता हूँ, केजरीवाल को, आएं, डिबेट करें इसके ऊपर। सिर्फ इसी के ऊपर करें, मैं बताऊँगा क्या है घोटाला। मैं केजरीवाल जी को चैलेंज करता हूँ कि आएं, डिबेट करें मेंरे से इसके ऊपर। मैं बताऊँगा कि ये है घोटाला। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि जिस चीज में भी भ्रष्टाचार है, बगैर भ्रष्टाचार के ये सारी चीजों में से कुछ भी संभव नहीं है, तो किसको किसके साथ, एक के साथ एक फ्री मिल रहा है, किसको 144 करोड़ के साथ कितना करोड़ फ्री मिल रहा है, ये तो केजरीवाल जी और उन्हीं की पार्टी बताए।

सीबीआई द्वारा दिल्ली लिकर घोटाले की जांच को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में माकन ने कहा कि हम लोग जांच का समर्थन करते हैं और हम साथ में ये भी मांगकरते हैं कि जांच इस बात पर भी होनी चाहिए कि एमसीडी और डीडीए ने जो मास्टर प्लान की वायलेशन में जो दुकानें चल रहीं थी, उन दुकानों को सील क्यों नहीं किया। सिर्फ सीबीआई जांच करे, लेकिन जांच के अंदर जहाँ पर बीजेपी और डीडीए की भी संलिप्तता नजर आती है, क्योंकि 460 में से अधिकतर दुकानें मास्टर प्लान की वायलेशन में खुली हुई थीं, उसके अंदर डीडीए और एमसीडी के अधिकारियों के ऊपर भी कार्रवाई होनी चाहिए, सीबीआई को वो भी जांच करनी चाहिए, इसके साथ-साथ। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में माकन ने कहा कि हमारा मानना ये है कि जांच होनी चाहिए और केजरीवाल जी के जो पुराने अवतार थे, जिसमें केजरीवाल जी, जब वो आरोप लगाया करते थे, कांग्रेस की सरकार में, तो उनका ये कहना था कि जब तक मंत्री इस्तीफा न दे दे, तब तक जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती। ये हम तो आज कह रहे हैं, केजरीवाल जी 2012-13 में कहा करते थे, मनमोहन सिंह जी जैसे ईमानदार प्रधानमंत्री के बारे में। तो आज हम केजरीवाल जी को याद दिलाना चाहते हैं कि जब वो कांग्रेस के मनमोहन सिंह के समय पर ये कहा करते थे कि जिस मंत्री के ऊपर आरोप लग जाए, जांच तभी निष्पक्ष होगी, जब वो इस्तीफा दे। तो आज हम केजरीवाल जी को वही भाषा और वही भाषण उनको याद दिलाना चाहते हैं, जो उस वक्त मनमोहन सिंह जी जैसे ईमानदार प्रधानमंत्री के बारे में कहा करते थे और अब जब उनका एक मंत्री जेल के अंदर, जेल मंत्री है, दूसरा मंत्री उनका सीबीआई के केसेस उनके ऊपर हो रहे हैं और प्राइमा फेसी ये इस्टेब्लिश हो गया है कि वो इसके अंदर इन्वॉल्व्ड हैं, फायदा पहुंचाया गया है लोगों को, तो उनको अपने पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। मनीष सिसोदिया को हटा देना चाहिए अगर वो खुद इस्तीफा नहीं दे रहे हैं, लेकिन केजरीवाल जी इसलिए हटाने की हिम्मत नहीं कर रहे, शायद कि फिर मनीष सिसोदिया जी भी जब मुंह खोलेंगे, तो तार वो सीधे केजरीवाल जी तक भी जाएंगे। तो इस वजह से उनको नहीं हटाया जा रहा, इसके अलावा कोई कारण नहीं है।एक अन्य प्रश्न के उत्तर में माकन ने कहा कि मैं इसको जो डिसीजन कैबिनेट लेती है, वो सामूहिक होता है, लेकिन प्रिसाइड कैबिनेट मुख्यमंत्री करता है। मैं उसको उतना खराब नहीं मानता, जितना मैं इस बात को भी सही नहीं मानता कि मुख्यमंत्री खुद साइन न करके किसी भी फाइल के ऊपर अपने अधिकारी से साइन करवा रहा है कि मुख्यमंत्री ने अप्रूव कर दिया। ये गलत है, मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर फाइल्स के ऊपर होने चाहिए, विभाग वो रखें न रखें, क्योंकि कैबिनेट के डिसीजन्स मुख्यमंत्री के सिग्नेचर और मुख्यमंत्री के माध्यम से ही उपराज्यपाल के पास में फाइल्स जाती है। तो जो मुख्यमंत्री के माध्यम से उपराज्यपाल के पास जो फाइल्स जाएं या उनसे परमिशन के लिए जो फाइल्स उनके पास आएं, उसमें सिग्नेचर मुख्यमंत्री के ही होने चाहिए और मुख्यमंत्री के बिहाफ पर किसी ऑफिसर के कंधे पर बंदूक रखकर चलाई जाए, ये ज्यादा गलत है बनिस्बत विभाग अपने पास में न रखने के।

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