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भारत-बांग्लादेश बॉर्डर से 2 लाख के जाली नोट बरामद, अधिकतर सिक्यॉरिटी फीचर्स में सेंध

 संवाददाता : सरकार ने नोटबंदी की जरूरत के पीछे एक कारण फेक करंसी के जाल को खत्म करना बताया था। बंगाल के मुर्शिदाबाद में फेक करंसी रैकिट का भंडाफोड़ होने के 6 दिन बाद बुधवार को फिर 2 लाख रुपए मूल्य के फेक नोट जब्त किए गए। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और बीएसएफ ने 2 लाख रुपए वैल्यू के नए 2000 के फेक नोट बरामद किए हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि इस बार फेक नोटों की यह बरामदगी भारत-बांग्लादेश के बॉर्डर के बहुत करीब हुई है।

इससे पहले जाली नोटों को बॉर्डर से 35 किमी दूर इस्लामपुर में बरामद किया गया था लेकिन इस बार जीरो लाइन के एक गांव से जाली नोट बरामद हुए। यह गांव बॉर्डर पर बाड़ेबंदी और अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के पिलरों के बीच स्थित है। फेक नोटों को ट्रैक करने के लिए बनी स्पेशल टीम ने इलाके से उमर फारुक को गिरफ्तार किया है। उमर मंगलवार को अपने गिरोह के दूसरे मेंबर्स से मिलने गया था। जांच करने पर टीम को पता चला कि नकली नोटों की खेप बुधवार सुबह बांग्लादेश से भारत पहुंचने वाली है।

फारुक से मिली जानकारी के बाद एनआईए और बीएसएफ की टीम ने बॉर्डर पर स्थित गांवों में जाल बिछाया और नकली नोटों की खेप को गांव पहुंचते ही जब्त कर लिया। हालांकि नकली नोटों को लेकर आने वाले को टीम नहीं पकड़ पाई और वह वापस भाग गया।

19 साल का फारुक बॉर्डर के गांव चुरियंतपुर का रहने वाला है। जांच एजेंसी का मानना है कि फारुक गिरोह का हिस्सा है जो बॉर्डर पार से नकली नोट भारत की सीमा में भेजते हैं और फिर नकली नोटों को मार्केट में मिला देते हैं। बीएसएफ और एनआईए की नजर फारुक पर 2015 से है जब उसे नकली नोटों की स्मगलिंग के आरोप में पकड़ा गया था। फारुक के पास से करीब 6 लाख रुपए के नकली नोट बरामद हुए थे।

मंगलवार को जब फारुक पकड़ा गया तब उसके पास से 3 नकली 2000 के नोट और एक फोन मिला। फारुक के परिवार के कम से कम 3 लोग नकली नोटों से जुड़े मामलों में सजा काट रहे हैं। माल्दा जिले का चुरियंतपुर गांव अपने भूगोल के कारण बांग्लादेश से आने वाले नकली नोटों का प्रवेश द्वार है। बीएसएफ के एक अधिकारी ने बताया, ‘इस गांव के अधिकतर लोगों ने फेक करंसी की तस्करी को अपने पेशा बना रखा है। नोटबंदी से इन पर काफी असर पड़ा है। लेकिन इस इलाके में नकली नोटों की तस्करी एक इंडस्ट्री जैसा काम है और ये लोग इसे इतनी आसानी से मरने नहीं देंगे।’

फेक करंसी की सप्लाइ चेन में कम से कम 25 लोग जुड़े होते हैं। फेक करंसी के बिजनस में भारी भरकम निवेश करना पड़ता है। 500 और 1000 के नोट बंद होने से इस बिजनस की कमर तो टूट गई है लेकिन मार्केट को बनाए रखने के लिए नए नोटों की जाली खेप भी मार्केट में लाई जा रही है। अधिकारी ने बताया, ‘जाली नोटों का बिजनस करने वालों के लिए यह हिट ऐंड ट्रायल जैसा है। वह यह देखना चाहते हैं कि नए नकली नोटों का रिस्पॉन्स कैसा मिलता है।’

बुधवार को बरामद किए गए जाली नोटों की क्वालिटी मुर्शिदाबाद में मिले नोटों जैसी ही है। सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि जाली नोटों का बिजनस करने वालों के लिए यह सैंपल सर्वे जैसा है। अधिकारियों ने बताया कि इन नोटों को बांग्लादेश के ही एक छोटे से गांव में बनाया जाता है न कि पाकिस्तान से लाया जाता है।

जाली नोट बनाने वालों ने नए 2000 और 500 के नोटों की काफी हद तक नकल कर ली है लेकिन कागज की क्वॉलिटी अभी भी उनकी पहुंच से दूर ही लग रही है। बीएसएफ अधिकारी ने बताया, ‘जाली नोटों की पेपर क्वॉलिटी खराब है। नए नोटों की तरह इनमें शाइन नहीं है।’

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